सबर मंत्र ( Sabar Mantra ) भारतीय तांत्रिक परंपरा का एक अनोखा हिस्सा हैं। ये मंत्र कठिन संस्कृत श्लोकों की तरह नहीं होते, बल्कि सरल और आम भाषा में रचे जाते हैं, ताकि कोई भी इन्हें आसानी से पढ़कर, समझकर और जप करके अपने जीवन में प्रयोग कर सके। कहा जाता है कि ये मंत्र साधक के जीवन में जल्दी प्रभाव डालते हैं और मन, शरीर तथा आत्मा को संतुलित करते हैं।
विशेष रूप से बवासीर (पाइल्स) जैसी शारीरिक समस्याओं से राहत पाने के लिए भी कुछ विशेष सबर मंत्रों का प्रयोग किया जाता है, जिनमे से एक आज हम आपको बताएंगे। नियमित रूप से इन मंत्रों का उच्चारण करने से शरीर को आराम मिलता है, रोग और पीड़ा कम होती है, और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। यही कारण है कि ये मंत्र केवल आध्यात्मिक साधना के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और दैनिक जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए भी उपयोगी माने जाते हैं।
साबर मंत्र-
ॐ नामों आदेश गुरु को ।
खुरासान सूं आया वीर, छप्पन सूर सङ्ग् मे तीर।
सीस कटे और खून ना आवै, टपका एक पड़न नहीं पावै ।।
खूनी बादी कैसी होय, करो दूर पीड़ा कम होय ।
शब्द साँचा पिंड काँचा, फुरो मंत्र ईश्वरों वाचा ।।
जाप विधि-
धूप और कपूर जलाकर इस सबर मंत्र का जाप 10,000 बार करना चाहिए। इसके बाद रोगी को आराम से बिठाकर, मंत्र का उच्चारण करते हुए चाकू की मदद से भूमि या सतह पर धीरे-धीरे लकीरें खींचनी चाहिए। इस प्रक्रिया को 31 बार दोहराना होता है, यानी 31 मंत्रों के उच्चारण के साथ 31 लकीरें बनाई जाती हैं। कहा जाता है कि इस विधि से बवासीर के मस्से धीरे-धीरे कम हो जाते हैं और खून निकलने की समस्या भी नियंत्रित हो जाती है।
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