Powerful Sabar Mantra : मंत्र एक काम अनेक!

By NCI
On: October 9, 2025 4:21 PM
sabar mantra siddhi

भारतीय तांत्रिक परंपरा में शाबर मंत्रों (Sabar Mantra) का विशेष और अत्यंत प्रभावशाली स्थान माना गया है। ये मंत्र सीधे साधारण जनमानस की भाषा में होते हैं, जिससे इनका उच्चारण और प्रयोग किसी भी व्यक्ति के लिए सरल हो जाता है। शाबर मंत्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें किसी कठिन वेदिक संस्कृत में नहीं लिखा गया होता, बल्कि बोलचाल की भाषा में होता है ताकि बिना कठिन दीक्षा और जटिल विधियों के भी व्यक्ति इनका लाभ ले सके। माना जाता है कि इन मंत्रों की रचना सिद्ध संतों और तांत्रिक महात्माओं ने लोककल्याण और आत्मरक्षा के लिए की थी।

इस शाबर मंत्र’ का प्रयोग जीवन में आने वाली अनेक प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है। इसका जप करने से नकारात्मक शक्तियाँ, अदृश्य बाधाएँ, भूत-प्रेत, तंत्र-दोष और दुष्प्रभाव स्वतः दूर हो जाते हैं। यह मंत्र सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है और व्यक्ति को चारों ओर से आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसका प्रभाव अत्यंत तीव्र और तुरंत माना गया है। इस मंत्र का प्रयोग घर में, बाहर यात्रा के दौरान, जंगल या श्मशान जैसे असुरक्षित स्थानों में विशेष रूप से लाभकारी होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा घेरा बना सकता है। इतना ही नहीं, यह मंत्र रोग-व्याधि, अज्ञात भय, मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जाओं को भी समाप्त करने में सहायक होता है। सदियों से साधक, तांत्रिक और ग्रामीण जन इन शाबर मंत्रों का प्रयोग आत्मरक्षा, आरोग्य और समृद्धि के लिए करते आ रहे हैं। यह न केवल एक तांत्रिक साधना का हिस्सा है बल्कि एक गहन लोक-आस्था और अनुभव पर आधारित प्रभावी उपाय भी है। श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया इसका जप व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।

मंत्र- 

ॐ नमो आदेश गुरु को, ईश्वर वाचा।
अजरी बजरी बाड़ा बज्जरी, मैं बज्जरी बाँधा दशो दुवार छवा।
और के धालो, तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे।
पहली चौकी गणपति, दूजी चौकी हनुमंत, तीजी चौकी में भैरों,
चौथी चौकी देह, रक्षा करन को आवे श्रीनरसिंह देव जी।
शब्द-सांचा, पिंड काँचा, चले मन्त्र ईश्वरी वाचा।

प्रयोग (1) — घर-बाहर, देश-विदेश, जंगल या श्मशान जैसे किसी भी स्थान पर रहने की स्थिति में यदि इस मंत्र का जप करके शांत मन से बैठ जाएं या रात में सो जाएं, तो विषैले जीव, हिंसक प्राणी, आक्रमण करने वाले, लूटपाट करने वाले या कोई भी आघात पहुंचाने वाला पास नहीं आ पाता। वे दूर ही ठहर जाते हैं और शरीर को छू भी नहीं सकते। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए यदि अपने चारों ओर एक रेखा खींच ली जाए या जल का छिड़काव किया जाए, तो यह एक अदृश्य ‘सुरक्षा कवच’ बना देता है, जो हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और खतरे से रक्षा करता है।


प्रयोग (2) — यदि कोई व्यक्ति किसी व्याधि से पीड़ित हो, अत्यधिक पीड़ा से तड़प रहा हो या किसी अज्ञात कारणवश उसका शरीर अकड़ने लगे, बेहोशी (मूर्छा) आ जाए, तो इस शाबर मंत्र के प्रयोग से उसे शीघ्र राहत मिल सकती है। मंत्र का जप करते हुए झाड़ा देने पर रोगी का शरीर धीरे-धीरे सामान्य होने लगता है और वह व्यक्ति तुरंत स्वस्थ एवं प्रसन्न हो जाता है। इस उपाय को लोक परंपरा में अत्यंत प्रभावी और त्वरित परिणाम देने वाला माना गया है।


प्रयोग (3) — यदि किसी घर में धन, संतान, पशु या समृद्धि की वृद्धि न हो रही हो, लगातार कोई-न-कोई रोग, बाधा या अशुभ प्रभाव बना रहता हो और लोग उस घर को अशुभ मानकर छोड़ने की सोच रहे हों, तो इस स्थिति में एक प्रभावी उपाय किया जा सकता है। सबसे पहले घर में जितने भी द्वार हों, उतनी ही लोहे की कीलें तथा एक मुट्ठी उड़द के दाने एकत्र करें।

इसके बाद इन लोहे की कीलों और उड़द के दानों को अलग-अलग उक्त शाबर मंत्र से अभिमंत्रित करें। फिर मंत्र का जप करते हुए घर के सबसे भीतरी कमरे में प्रवेश करें। उड़द के दाने फेंकते हुए धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलें और दरवाजे की चौखट पर वही मंत्र पढ़ते हुए एक लोहे की कील गाड़ दें। इसी प्रकार क्रमवार प्रत्येक कमरे में जाएं — भीतर मंत्र पढ़ते हुए उड़द फेंकें और बाहर आकर चौखट पर मंत्र के साथ कील गाड़ते जाएं। अंत में मुख्य द्वार पर भी यही प्रक्रिया दोहराएं। आंगन और बरामदे में केवल उड़द के दाने बिखेरना पर्याप्त होता है, वहाँ कील ठोकने की आवश्यकता नहीं होती। विश्वास और श्रद्धा से की गई यह क्रिया घर में विद्यमान नकारात्मक ऊर्जा, गृह दोष और अदृश्य बाधाओं को दूर कर देती है। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय से घर का वातावरण शुद्ध, शांत और शुभ बन जाता है तथा धन, सुख और समृद्धि का प्रवेश होता है।

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