Asabari Devi Mantra Sadhna : अक्सर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले साधकों के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब वे किसी विशिष्ट मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम करते हैं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिल पाती। यदि आप भी किसी मंत्र को बार-बार सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं और हर बार आपको असफलता ही हाथ लग रही है, तो निराश होने के बजाय आपको तंत्र शक्ति से भरपूर इस विशेष प्रयोग को आजमाना चाहिए। यह महान दिव्य शक्ति से परिपूर्ण साधना है जो मंत्र सिद्धि प्रदान करने में एक अचूक भूमिका निभाती है। यह साधना मुख्य रूप से उन लोगों के लिए एक वरदान समान है जो पूजा-पाठ में तो विश्वास रखते हैं, लेकिन तकनीकी जटिलताओं या विधि-विधान की कमी के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते। इस प्रयोग का चमत्कारिक परिणाम आज भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है और यह सोई हुई शक्तियों को जगाने का कार्य करता है।
साधना का समय और तैयारी
इस विशेष साधना को करने के लिए किसी बहुत बड़े आडंबर की आवश्यकता नहीं है, लेकिन समय और पवित्रता का ध्यान रखना अनिवार्य है। शास्त्रों और तंत्र विधियों के अनुसार, रविवार की रात इस मंत्र साधना के लिए सबसे उपयुक्त और शक्तिशाली मानी गई है। साधना शुरू करने से पहले साधक को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होकर माता असाबरी देवी की विधि-पूर्वक पूजा-आराधना करनी चाहिए। साधना के लिए आपको एक कांसे की थाली (Bronze plate) की आवश्यकता होगी। पूजा के दौरान माता के सामने बैठकर उस कांसे की थाली के ऊपर कुमकुम से उस विशेष मंत्र को लिखना होता है जिसे नीचे बताया गया है। यह विधि पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ की जानी चाहिए, क्योंकि तंत्र में विश्वास ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
मंत्र और जाप विधि
जब आप कांसे की थाली पर कुमकुम से मंत्र लिख लें, तो आपको एकाग्र चित्त होकर उस मंत्र का केवल 21 बार जाप करना है। यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए इसका उच्चारण शुद्धता से करें। वह मंत्र इस प्रकार है:
“ॐ असाबरी असाबरी पूरण करो हमारी कामना , सिद्धि दीजो , रखियो लाज , असाबरी मैया की दुहाई ।”
इस (Asabari Devi Mantra Sadhna) मंत्र का 21 बार जाप करने के बाद, अब उस मुख्य प्रक्रिया का समय आता है जिसके लिए आप यह साधना कर रहे हैं। यानी, आप जिस भी अन्य मंत्र की सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं (वह मंत्र जिसमें आप पहले असफल हो रहे थे), अब आपको उस मंत्र का जाप करना है। उसी कांसे की थाली के सामने बैठे रहें और अपने इच्छित मंत्र का 108 बार जाप करें। यह प्रक्रिया माता असाबरी की ऊर्जा को आपके मूल मंत्र के साथ जोड़ देती है, जिससे उसमें चेतना आ जाती है।
समर्पण और साधना का समापन
मंत्र जाप की गिनती पूरी कर लेना ही साधना का अंत नहीं है, बल्कि असली परीक्षा तो इसके बाद शुरू होती है जब आपको अपनी विद्वता और अहंकार को शून्य करना होता है। जब आप अपने 108 मंत्रों का जाप पूरा कर लें, तो एक अबोध बालक की तरह माता के समक्ष आत्मसमर्पण कर दें। यह क्षण तकनीक का नहीं, बल्कि भाव का है। अपनी आँखों को बंद करें और पूरी दीनता के साथ, दिल की गहराइयों से माता से यह निवेदन करें— “हे देवी, ना मैं मंत्र जानता हूँ, ना तंत्र, ना मेरे अंदर आपको पूजा पाठ करने में भक्ति है, ना शक्ति… कृपा करो माता, हे महादेवी आप जाग्रत हो, और सिद्धि प्रदान करो माता।” इस प्रार्थना के तुरंत बाद, खैर (Khair) की लकड़ी से उस कांसे की थाली पर प्रहार करें। याद रखें, यह केवल एक आवाज नहीं है, बल्कि यह ‘नाद’ है जो ब्रह्मांड में गूंजकर आपकी सोई हुई किस्मत को जगाने का काम करता है। थाली से निकली वह तीव्र ध्वनि सीधे ईश्वरीय चेतना से टकराती है और निश्चय ही इस (Asabari Devi Mantra Sadhna) विधि से आपका वह मंत्र तत्काल प्रभाव से जागृत हो उठता है, जो अब तक निष्क्रिय पड़ा था।













