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Kalabhairav Ashtami 2024: जानें पूजा विधि और कथा का रहस्य

NCIRN5 months ago

Kalabhairav Ashtami 2024

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कालभैरव अष्टमी के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि भगवान कालभैरव सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आएं। मुख्यमंत्री ने इस पर्व पर नकारात्मकता, विषमता और कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना की और प्रदेश के लोगों के कल्याण और समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने ‘ॐ भैरवाय नमः’ का उल्लेख करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट भी साझा किया। इस संदेश में उन्होंने भगवान कालभैरव के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हुए लिखा, “भगवान श्री काल भैरव अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। नकारात्मकता, विषमता एवं कष्टों से श्री काल भैरव जी आप सभी की रक्षा करें और जीवन में सुख, समृद्धि और संपन्नता प्रदान करें।” मुख्यमंत्री का यह संदेश न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि प्रदेशवासियों के प्रति उनके जुड़ाव को भी प्रदर्शित करता है।


कालभैरव अष्टमी, जिसे ‘भैरव जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव के उग्र और रौद्र स्वरूप कालभैरव की पूजा का विशेष दिन है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अपने कालभैरव स्वरूप में प्रकट होकर अधर्म और अन्याय का नाश किया था। कालभैरव को ‘कालों के काल’ कहा जाता है, अर्थात वे समय और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले देवता हैं। इस दिन उनकी आराधना करने से भक्तों को भय, नकारात्मकता और जीवन के कठिन समय से मुक्ति मिलती है।

कालभैरव अष्टमी का विशेष महत्व यह है कि इसे धर्म और न्याय के संरक्षक पर्व के रूप में देखा जाता है। कालभैरव को न्याय के देवता माना जाता है, और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्त को मानसिक शांति, आत्मबल और भयमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का एक अवसर भी है। कालभैरव की पूजा से व्यक्ति को कठिन समय में विजय प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मकता लाने की शक्ति मिलती है।


कालभैरव की पौराणिक कथा

कालभैरव अष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा का उल्लेख पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के बीच श्रेष्ठता का विवाद उत्पन्न हुआ। भगवान ब्रह्मा ने स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए अन्य देवताओं का अपमान किया। इस पर भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से उग्र स्वरूप कालभैरव को उत्पन्न किया। कालभैरव ने भगवान ब्रह्मा के अभिमान को समाप्त करने के लिए उनके पांचवें सिर को काट दिया। ब्रह्मा के सिर को काटने के कारण कालभैरव को ब्रह्महत्या का पाप लगा। इस पाप के निवारण के लिए कालभैरव ने पूरे ब्रह्मांड की यात्रा की और अंततः काशी में पहुंचे। काशी में भगवान कालभैरव को पाप से मुक्ति मिली। यही कारण है कि काशी में कालभैरव को ‘काशी के कोतवाल’ के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा के बिना काशी यात्रा अधूरी मानी जाती है।

यह कथा कालभैरव के महत्व को दर्शाती है और यह भी बताती है कि उनका स्वरूप न केवल भयमुक्ति का प्रतीक है, बल्कि न्याय और धर्म की स्थापना के लिए भी है। कालभैरव का यह स्वरूप हमें अन्याय और अहंकार से बचने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


कालभैरव अष्टमी पर पूजा-विधि

कालभैरव अष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान कालभैरव की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं। उन्हें जल, फूल, अक्षत, धूप और नैवेद्य अर्पित करें। पूजा में विशेष रूप से सरसों का तेल और उड़द का उपयोग किया जाता है। कालभैरव को काले तिल, काले वस्त्र और काले कुत्ते का दान अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान ‘ॐ कालभैरवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।

इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। व्रती को दिनभर उपवास रखते हुए भगवान की आराधना करनी चाहिए। संध्या समय में भजन-कीर्तन और कथा का आयोजन करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। रात्रि जागरण कर भगवान के नाम का स्मरण करना और उनकी लीला का गुणगान करना भक्त को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।


कालभैरव अष्टमी के लाभ

कालभैरव अष्टमी पर व्रत और पूजा करने से कई प्रकार के आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।

  1. भय से मुक्ति: भगवान कालभैरव की आराधना से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के भय, असुरक्षा और नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।
  2. न्याय और धर्म की प्राप्ति: कालभैरव न्याय के देवता हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को जीवन में न्याय और धर्म की प्राप्ति होती है।
  3. आध्यात्मिक उत्थान: कालभैरव की आराधना से आत्मा शुद्ध होती है और भक्त को आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
  4. जीवन में सकारात्मकता: भगवान कालभैरव की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कठिन समय में भी व्यक्ति आत्मबल और साहस प्राप्त करता है।

काशी और कालभैरव

काशी (वाराणसी) का कालभैरव मंदिर भगवान कालभैरव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर भक्तों के लिए उनकी कृपा पाने का प्रमुख स्थान है। यहां यह मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से कालभैरव की पूजा करता है, उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। काशी के कोतवाल के रूप में प्रसिद्ध कालभैरव यहां के सभी निवासियों और यात्रियों की रक्षा करते हैं। यह मंदिर भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।


कालभैरव अष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह धर्म, न्याय और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि वह जीवन में नकारात्मकता और कठिनाइयों से भी बचा रहता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इस पावन पर्व पर दी गई शुभकामनाएं और उनके संदेश ने इस पर्व के महत्व को और भी अधिक रेखांकित किया है। इस कालभैरव अष्टमी पर हमें भगवान की भक्ति और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए। यह पर्व हमें सिखाता है कि ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति से जीवन की हर कठिनाई का समाधान संभव है।

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