एलोन मस्क की कंपनी xAI द्वारा विकसित ग्रोक एआई हाल ही में विवादों में आ गया है। इसका कारण यह है कि इस एआई ने हिंदी भाषा में अनुचित और अपमानजनक जवाब दिए हैं। यह घटना एआई सुरक्षा, नैतिकता और बहुभाषी मॉडरेशन की सीमाओं को उजागर करती है। ग्रोक को टेस्ला और स्पेसएक्स के संस्थापक एलोन मस्क के नेतृत्व में विकसित किया गया था और इसका उद्देश्य एक ऐसा चैटबॉट बनाना था जो इंसानों की तरह संवाद कर सके। लेकिन हाल की घटनाओं से पता चलता है कि इसकी भाषा मॉडरेशन प्रणाली में खामियां हैं।
ग्रोक एआई का काम चैट जीपीटी की तरह है, लेकिन इसमें कुछ अनोखी विशेषताएँ जोड़ी गई हैं। इसमें तीन मुख्य मोड हैं: डीप सर्च, थिंक और बिग माइंड। ये मोड उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रकार के सवालों के लिए बेहतर उत्तर प्रदान करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, थिंक मोड में किसी भी प्रश्न का चरण-दर-चरण उत्तर दिया जाता है, जबकि बिग माइंड मोड जटिल समस्याओं को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अलावा, इसमें एक पर्सनालिटी मोड भी जोड़ा गया है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी पसंद के अनुसार एआई का व्यवहार सेट कर सकते हैं।
हालांकि, ग्रोक एआई के काम करने के तरीके को लेकर कई चिंताएँ भी उठी हैं। इसका सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि यह कभी-कभी अनुचित भाषा का उपयोग करता है और इसका व्यवहार अत्यधिक अनियमित हो सकता है। हाल ही में यह देखा गया कि जब इससे कुछ राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर सवाल पूछे गए, तो इसने अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। यह समस्या विशेष रूप से तब सामने आई जब हिंदी भाषा में पूछे गए सवालों पर इसने अनुचित शब्दों का प्रयोग किया। यह दिखाता है कि एआई को विकसित करते समय भाषाई मॉडरेशन और नैतिकता पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।
ग्रोक एआई और चैट जीपीटी के बीच तुलना की जाए, तो चैट जीपीटी अधिक परिष्कृत और सुरक्षित प्रतीत होता है। चैट जीपीटी आमतौर पर एक तटस्थ और पेशेवर भाषा में उत्तर प्रदान करता है, जबकि ग्रोक एआई अधिक “ह्यूमन-लाइक” उत्तर देने की कोशिश करता है, जिससे इसमें गलतफहमियां और समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। ग्रोक को वास्तविक समय में अपडेट किए गए डेटा तक पहुंच प्राप्त है, जो इसे ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर तेज उत्तर देने की क्षमता देता है, लेकिन इसकी सामग्री की सटीकता और सुरक्षा को लेकर संदेह बना हुआ है।
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी है कि इस तरह के एआई सिस्टम का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा। एआई के बढ़ते उपयोग से साइबर सुरक्षा, डेटा चोरी और नौकरी के अवसरों में कमी जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 93% भारतीय व्यवसायों को इस बात की चिंता है कि एआई का अति प्रयोग डेटा सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इसके अलावा, एआई से संबंधित राजनीतिक और सामाजिक विवाद भी बढ़ रहे हैं।
हाल ही में, ग्रोक एआई से कुछ उपयोगकर्ताओं ने राजनीतिक सवाल पूछे, और इसके जवाबों ने काफी विवाद खड़ा कर दिया। उदाहरण के लिए, जब इससे “तड़ी पार” शब्द का अर्थ पूछा गया, तो इसने भारतीय गृह मंत्री अमित शाह से संबंधित एक संदर्भ दे दिया। इससे सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई कि क्या एआई जानबूझकर पक्षपाती उत्तर दे रहा है।
इससे यह सवाल उठता है कि क्या एआई को राजनीतिक और सामाजिक मामलों पर राय व्यक्त करनी चाहिए? क्या यह एक निष्पक्ष माध्यम होना चाहिए, या फिर यह एक इंसान की तरह राय बना सकता है? एआई की बढ़ती लोकप्रियता के बीच, यह आवश्यक है कि इसे नैतिक रूप से विकसित किया जाए और इसमें ऐसी कोई त्रुटि न हो जो समाज में गलत जानकारी फैलाए।
अंततः, ग्रोक एआई एक नई तकनीक है जो चैटबॉट्स की दुनिया में बदलाव ला सकती है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। यदि इसे सही ढंग से विकसित किया जाए और इसकी भाषा मॉडरेशन प्रणाली को मजबूत किया जाए, तो यह एक बेहतरीन उपकरण बन सकता है। लेकिन अभी के लिए, चैट जीपीटी और अन्य एआई सिस्टम की तुलना में यह कम सुरक्षित और अधिक विवादास्पद साबित हो रहा है।
भविष्य में, यदि xAI इस तकनीक को सुधारने में सफल होता है, तो यह एआई इंटरैक्शन का एक नया युग शुरू कर सकता है। लेकिन इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई सिस्टम नैतिकता, सुरक्षा और निष्पक्षता के उच्च मानकों का पालन करें।