![]() |
Watermelon Farming |
तरबूज की खेती भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है, जो न केवल गर्मी के मौसम में फलों की मांग को पूरा करती है बल्कि किसानों को अच्छी आमदनी का भी अवसर प्रदान करती है। 2025 में अगेती तरबूज की खेती की सही प्रक्रिया, समय और मुनाफे के विभिन्न पहलुओं पर इस लेख में विस्तार से चर्चा की गई है। यह जानकारी किसानों को सही दिशा में खेती करने में मदद करेगी।
अगेती तरबूज की खेती का सबसे उपयुक्त समय दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी के अंतिम सप्ताह तक होता है। यदि बीजों की बुवाई फरवरी में की जाए, तो भी यह उपयुक्त मानी जाती है। हालांकि, अगेती खेती के लिए दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बीजों की बुवाई अधिक लाभदायक साबित होती है। ठंड और पाले से फसल को बचाने के लिए सही समय पर तैयारी जरूरी है।
खेत की गहरी जुताई और रोटावेटर का उपयोग खेत को समतल बनाने के लिए आवश्यक है। बेड मेकर की सहायता से बेड बनाकर, बेड के बीच 5 फीट और बीजों के बीच 1.5 से 2 फीट की दूरी रखें। अगेती तरबूज के लिए बीज का चुनाव महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित किस्में उपयुक्त मानी जाती हैं:
तरबूज की खेती में 350 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। विभिन्न किस्मों के 50 ग्राम पैकेट की कीमत लगभग ₹1300-1500 होती है। खेत की तैयारी, रोटावेटर, कल्टीवेटर, मल्चिंग पेपर और लो टनल लगाने का कुल खर्च लगभग ₹90,000 होता है। यदि लो टनल का उपयोग नहीं किया जाए, तो यह लागत कम हो सकती है।
अगेती तरबूज की फसल ठंड और पाले से बचाने के लिए लो टनल का उपयोग किया जाता है। यह फसल को उचित वातावरण प्रदान करता है और कीट एवं रोगों से बचाव करता है। पोषण के लिए बेसल डोज और वॉटर सॉल्यूबल फर्टिलाइजर का उपयोग किया जाता है। साथ ही, प्लांट ग्रोथ टोनिक का उपयोग फसल की बेहतर वृद्धि के लिए किया जाता है।
अगेती फसल से प्रति एकड़ 200-250 क्विंटल तरबूज का उत्पादन लिया जा सकता है। मार्च के महीने में तरबूज का बाजार भाव ₹10 प्रति किलो तक होता है। औसतन, एक एकड़ फसल से ₹2,60,000 तक की कमाई हो सकती है।
कुल लागत और आमदनी के आधार पर, अगेती तरबूज की खेती से ₹81,000 तक का शुद्ध लाभ हो सकता है। यह मुनाफा फसल की अच्छी देखभाल, समय पर पोषण और उचित बाजार भाव पर निर्भर करता है।
तरबूज की अगेती खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है, जो सही जानकारी और तकनीक के उपयोग से बेहतर परिणाम दे सकती है। ठंड के मौसम में फसल की सुरक्षा और उत्पादन बढ़ाने के लिए लो टनल और उन्नत खेती तकनीकों का उपयोग करना अत्यंत लाभकारी है। यह न केवल किसानों की आमदनी में वृद्धि करेगा बल्कि बाजार की मांग को भी पूरा करेगा।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। यहां दी गई सामग्री को किसी भी प्रकार की कानूनी, वित्तीय, या व्यावसायिक सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। पेड़ों की खेती और संबंधित विषयों पर निर्णय लेने से पहले स्थानीय विशेषज्ञों, कृषि विभाग, या पेशेवर सलाहकारों से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। इस लेख में दिए गए सभी तथ्य और आंकड़े समय के साथ बदल सकते हैं। लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार की हानि, नुकसान या अप्रत्याशित परिणामों के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे, जो इस जानकारी के आधार पर किसी भी कार्यवाही या निर्णय के परिणामस्वरूप हो सकते हैं। कृपया अपने विवेक का उपयोग करें और उचित जानकारी प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त स्रोतों का सहारा लें।