17 अक्टूबर 2025 का दिन ज्योतिष और धर्म के लिहाज से अत्यंत विशेष और शुभ माना जा रहा है। इस दिन दो बड़े धार्मिक और ज्योतिषीय संयोग एक साथ बन रहे हैं – रमा एकादशी (Rama Ekadashi) का व्रत और सूर्य देव (Sun Transit) का गोचर, यानी सूर्य का राशि परिवर्तन। ऐसे संयोग कम ही देखने को मिलते हैं, जहां भक्तों को एक ही दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (Vishnu) और ग्रहों के राजा सूर्य देव (Surya) दोनों की उपासना और कृपा का अवसर मिलता है। इस विशेष मौके पर किए गए धार्मिक कार्य, पूजा (Worship), व्रत (Fasting), और दान-पुण्य (Charity) का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि 17 अक्टूबर क्यों इतना खास है, रमा एकादशी का व्रत और सूर्य गोचर के इस दुर्लभ संयोग में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, कौन-कौन सी पूजा और कर्म असरदार माने जाते हैं, और यह दिन जिंदगी में क्या सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
17 अक्टूबर 2025: दो महायोग का संगम
सबसे पहले पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार देखें तो 17 अक्टूबर 2025 को कार्तिक (Kartik) महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस तिथि को रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है, जिसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी (Lakshmi) की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। दूसरी ओर, इसी दिन ग्रहों के राजा सूर्य का राशि परिवर्तन, जिसे सूर्य गोचर (Surya Transit) कहा जाता है, भी होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग बहुत ही कम बनता है जब कोई पवित्र व्रत और अहम ग्रहीय गोचर एक ही दिन पड़ते हैं। इस वजह से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
सुर्य गोचर (Surya Gochar) का महत्व
सूर्य गोचर को ज्योतिष में बहुत ही अहम स्थान प्राप्त है। सूर्य देव 17 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर अपनी राशि बदलकर तुला से निकलकर वृश्चिक राशि (Scorpio Sign) में प्रवेश करेंगे। यह राशि मंगल (Mars) की है और ठीक एक महीने तक, यानी 16 नवंबर 2025 तक सूर्य इसी राशि में रहेंगे। इस संयोग को वृश्चिक संक्रांति (Vrishchik Sankranti) भी कहा जाता है।ता
सूर्य और मंगल दोनों अग्नि तत्व (Fire Element) के ग्रह हैं और इनका मिलन साहस (Courage), ऊर्जा (Energy), इच्छाशक्ति (Will Power) और आत्मविश्वास (Confidence) को मज़बूत करता है। सूर्य गोचर के प्रभाव से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य में सुधार, नई जिम्मेदारियों की प्राप्ति और समाज में सम्मान मिल सकता है।
सूर्य गोचर के ज्योतिषीय प्रभाव
वृश्चिक राशि में सूर्य का प्रवेश किन-किन राशियों (Zodiac Signs) के लिए शुभ होगा, इसका वर्णन भी जरूरी है। सूर्य जब मंगल की राशि में आते हैं तो वे विशेष तौर पर निम्नलिखित चीज़ों को प्रभावित करते हैं:
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आत्मबल और साहस में वृद्धि
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नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति का उन्नयन
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स्वास्थ्य संबंधी लाभ, विशेषकर आंखों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं में आराम
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सरकारी कामों में सफलता और मान-सम्मान प्राप्ति
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झगड़ा, विवाद या कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत मिलने के योग
विशेषकर उन राशियों के जातकों के लिए यह समय बेहद अनुकूल साबित हो सकता है, जिनकी कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति मजबूत है। हालांकि, जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर या अशुभ भाव में है, उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए और सूर्य-मंगल से संबंधित उपाय करने की सलाह दी जाती है।
सूर्य गोचर पर करें विशेष उपाय
ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि सूर्य के राशि परिवर्तन के दिन कुछ खास उपाय और पूजा-पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प (Red Flowers), लाल चंदन (Red Sandalwood) और थोड़ा सा गुड़ (Jaggery) डालकर अर्पित करें। आदित्य हृदय स्त्रोत (Aditya Hriday Stotra) का पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
सूर्य से जुड़ी वस्तुएं जैसे- गेहूं (Wheat), लाल वस्त्र (Red Clothes), गुड़ आदि का दान करने से पिता, सरकारी कार्य और सेहत में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। सूर्य को अर्घ्य (Arghya) देने के समय तेज आवाज़ में ‘ॐ सूर्याय नमः’ इस मंत्र का उच्चारण करें। इस दिन गाय, ब्राह्मण या जरूरतमंदों को दान देने से भी पुण्य मिलता है।
रमा एकादशी (Rama Ekadashi) व्रत की महिमा
रमा एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी मानी गई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का पूजा-पाठ अनुभव करने से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता (Poverty), कष्ट (Obstacles) और संकट दूर होते हैं। घर में सुख-शांति (Happiness) और समृद्धि (Prosperity) बनी रहती है।
रमा एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों के लिए यह भी माना जाता है कि उनके सारे पाप कट जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष (Salvation) की प्राप्ति होती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की इस एकादशी का विशेष महत्व है। विशेषतः इसी तिथि को श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी, तुलसी (Holy Basil) और दीपदान (Lamp Donation) का अद्वितीय फल मिलता है।
Rama Ekadashi Tithi Begins - 10:35 AM October 16, Ends - 11:12 AM, October 17
रमा एकादशी व्रत-विधि (Rama Ekadashi Vrat Vidhi)
रमा एकादशी का व्रत प्रातः काल स्नान करके शुरू किया जाता है। व्रती सबसे पहले स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को साफ कर लें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को पीले वस्त्र पहनाकर, फूल, तुलसी, फल, मिठाई, धूप-दीप अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम (Vishnu Sahasranama) और श्री हरि के अन्य नामों का उच्चारण करें। हार्दिक श्रद्धा से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ (Om Namo Bhagavate Vasudevaya) मंत्र का जाप करें।
तुलसी पत्र (Tulsi Leaves) अर्पित करना अनिवार्य है क्योंकि बिना तुलसी के भगवान विष्णु को भोग स्वीकार नहीं होता। शाम को दीपदान करें, जिसमें घर, मंदिर, नदी या तालाब के किनारे दीप जलाकर प्रभु से सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है। इस दिन हरिनाम संकीर्तन (Harinam Sankirtan) और भजन-कीर्तन (Bhajan-Kirtan) का भी विशेष महत्व है।
एकादशी व्रत के नियम (Ekadashi Vrat Rules)
एकादशी के व्रत में शुद्ध आहार और सात्विकता (Purity) पर विशेष ध्यान देना चाहिए। व्रती को प्याज, लहसुन, मांस, शराब, अन्न, दालें, चावल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। केवल फल, दूध, और एकादशी के लिए बने हुए विशेष आहार का प्रयोग करें। व्रत से पूर्व दशमी तिथि को हल्का भोजन करें और यथासंभव उपवास में रहें। व्रतधारी का मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना, बड़ों का सम्मान और दीन-दुखियों की सहायता करना भी अत्यंत जरूरी है। रात को जागरण और प्रभु का स्मरण करना पुण्यदायी माना गया है। अगले दिन द्वादशी के दिन अन्न या फल आदि ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
सूर्य गोचर और रमा एकादशी का संयोग: विशेष महत्व
जब एक ही दिन सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन और रमा एकादशी व्रत आते हैं, तो यह विशेष पुण्यकारक योग बनाता है। सूर्य देव को जहां ऊर्जा, सफलता, स्वास्थ्य और मान-सम्मान का प्रतीक माना जाता है, वहीं रमा एकादशी जीवन से गरीबी, मनोविकार और बाधाओं को मिटाने वाली तिथि मानी जाती है। इस महान संयोग में की गई आराधना और दान-पुण्य का फल कई गुना बढ़ जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में माना गया है कि इस तरह के दुर्लभ योग में दोनों देवताओं का संयुक्त पूजन, साधना और व्रत करने से जीवन में समस्त सुख-समृद्धि आती है। नया उत्साह, आत्मबल, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा घर-परिवार में बनी रहती है।
17 अक्टूबर के दिन क्या करें (To-do List)
इस शुभ अवसर पर नीचे दिए गए उपायों और कर्मों को अपनाया जाए तो जीवन में निश्चित ही शानदार बदलाव देखे जा सकते हैं:
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प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र पहनें।
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ताम्र पात्र में जल, लाल पुष्प, गुड़ और चावल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
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आदित्य हृदय स्तोत्र अथवा सूर्य मंत्र का जाप करें।
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सूर्य-मंगल से संबंधित वस्तु जैसे- गेहूं, लाल वस्त्र, मसूर, गुड़ आदि का दान करें।
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विष्णु मंदिर जाएं या घर पर ही भगवान विष्णु की पूजा करें, तुलसी के पत्ते और पीले फूल अवश्य अर्पित करें।
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श्री विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तुति-स्तोत्र का पाठ करें।
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संध्या समय दीपदान करें, जिसमें घी के दीपक जलाएं और उसे भगवान के चरणों में अर्पित करें।
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हरिनाम संकीर्तन एवं भजन-कीर्तन करें।
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जरूरतमंदों, गाय, ब्राह्मण, या वृद्धजनों को यथासंभव अन्न, वस्त्र, या दक्षिणा दान करें।
जीवन में आने वाले लाभ
सूर्य गोचर और रमा एकादशी के इस महान योग का पालन करने वाले भक्तों को जीवन में निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं:
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पारिवारिक सुख-शांति और आर्थिक उन्नति
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स्वास्थ्य में सुधार और पुरानी बीमारियों से निजात
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सरकारी क्षेत्र, नौकरी, व्यवसाय आदि में सफलता
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नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं और शत्रुओं पर विजय
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दरिद्रता, कर्ज अथवा आर्थिक समस्याओं का समाधान
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घर में समृद्धि, धन-धान्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार
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संतान सुख, शिक्षा और करियर में आगे बढ़ने का मार्ग प्रसस्त
वे उपाय, जिनसे बचें (Things to Avoid)
इस शुभ दिन पर कुछ चीजों से भी बचना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे:
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किसी भी तरह का नकारात्मक भाव, क्रोध, छल-कपट न करें।
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झूठ बोलना, मांस-मछली, शराब-सिगरेट या तामसिक भोजन से दूरी रखें।
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घर-परिवार में कलह या किसी का मन दुखाना अशुभ माना जाता है।
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सूर्योदय के बाद देर तक ना सोएं और शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें।
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अनुशासन और संयम से ही पूजा-पाठ और व्रत करें।