Mahashivratri 2026 Shiv Kuber Mantra : सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व केवल शिवजी की उपासना का ही नहीं, बल्कि जीवन की समस्त दरिद्रता और अभावों को दूर करने का भी एक विशेष अवसर माना जाता है। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भगवान शिव केवल वैराग्य के ही देवता नहीं हैं, बल्कि वे समस्त संपदाओं के स्वामी भी हैं, क्योंकि धन के देवता कुबेर स्वयं भगवान शिव के परम मित्र और सेवक माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर जी को ‘धनपति’ होने का वरदान भगवान शिव की कठोर तपस्या और आशीर्वाद से ही प्राप्त हुआ था। इसलिए, जब कोई भक्त महाशिवरात्रि की पावन रात्रि में भगवान शिव के साथ-साथ श्री कुबेर जी का भी स्मरण करता है, तो उसके जीवन से आर्थिक संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। शिव और शक्ति के मिलन की इस रात्रि में किया गया कुबेर मंत्र का जाप अत्यंत शीघ्र फलदायी होता है, क्योंकि इस समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है और भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना, चाहे वह मोक्ष की हो या लक्ष्मी की, बहुत जल्दी पूरी कर देते हैं।
इस साधना का सबसे मुख्य आधार वह विशेष मंत्र है जो शिव और कुबेर दोनों की शक्तियों को एक साथ जागृत करता है। महाशिवरात्रि की रात को स्नान आदि से निवृत्त होकर, भगवान शिव के शिवलिंग या चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर बैठना चाहिए। पूजा में बिल्वपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाने के बाद आपको पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ इस चमत्कारी मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र भगवान शिव को नमन करते हुए कुबेर जी से धन की प्रार्थना करता है। वह विशेष मंत्र इस प्रकार है:
“ॐ नमः शिवाय श्री कुबेराय मम धनम् में देहि देहि शिवाय नमः ॐ”
इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान शिव को नमन करते हैं और उनसे जुड़े हुए धनपति कुबेर से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें धन और ऐश्वर्य प्रदान करें। इस मंत्र में ‘देहि-देहि’ शब्द का प्रयोग बार-बार धन प्राप्ति की तीव्र इच्छा और प्रार्थना को दर्शाता है। महाशिवरात्रि की पूरी रात या निशिता काल में इस मंत्र का यथाशक्ति (जितना संभव हो सके) जाप करना चाहिए। यदि संभव हो तो रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 या 21 माला जाप करना सर्वोत्तम माना गया है।
महाशिवरात्रि के बाद इस साधना को एक नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना लेना जीवन में स्थाई सुख-समृद्धि ला सकता है। अक्सर लोग साधना को केवल एक दिन करके छोड़ देते हैं, जिससे उसका पूर्ण फल नहीं मिल पाता। शास्त्रों और अनुभवों के आधार पर, यदि साधक महाशिवरात्रि से शुरुआत करके बाद में प्रतिदिन सुबह या शाम को इस मंत्र की एक या दो माला का निरंतर जाप करता रहे, तो उसे ‘अक्षय धन संपदा’ की प्राप्ति होती है। ‘अक्षय’ का अर्थ है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो। यह साधना धीरे-धीरे व्यक्ति के आय के स्रोतों को खोलती है, कर्ज से मुक्ति दिलाती है और घर में बरकत बनाए रखती है। भगवान शिव की कृपा से कुबेर जी उस भक्त के घर के भंडारे कभी खाली नहीं होने देते, बशर्ते भक्त का मन पवित्र हो और वह निरंतरता के साथ इस मंत्र का जाप करता रहे।














