Dhanda Yakshini Sadhna : भारतीय तांत्रिक परंपरा में यक्षिणियों का विशेष स्थान माना गया है। इन यक्षिणियों में धनदा यक्षिणी (Yakshini) का नाम सर्वोच्च प्रभावशाली यक्षिणियों में लिया जाता है। धनदा यक्षिणी (Yakshini) को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यह साधना पूर्ण निष्ठा, ब्रह्मचर्य और श्रद्धा से की जाए तो साधक के जीवन में धन-संपत्ति की कमी नहीं रहती।
🪔 धनदा यक्षिणी (Yakshini) साधना का उपयुक्त समय
दीपावली के पाँच दिनों में से किसी भी एक दिन इस साधना को करना अत्यंत शुभ माना गया है। साधना के लिए मध्याह्न 12:00 बजे से लेकर रात्रि 12:00 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। इसी समय साधक धनदा यक्षिणी (Yakshini) की कृपा प्राप्त करने हेतु मंत्र जप करता है।
🌳 साधना की विधि
- स्थान चयन: किसी शांत और पवित्र स्थान पर पीपल के वृक्ष के नीचे पीला वस्त्र या पीला आसन बिछाएं।
- यंत्र एवं माला: अपने पास धनदा यक्षिणी (Yakshini) यंत्र रखें और धनदा यक्षिणी (Yakshini) की माला से जप करें।
- मंत्र जप:
मंत्र — “ॐ ऐं हीं श्रीं धनं धनं धनं कुरु कुरु स्वाहा।”
इस मंत्र का 100 माला (लगभग 10,000 बार) जप एक ही आसन पर बैठकर करें। - ध्यान: मन में धनदा यक्षिणी (Yakshini) की दिव्य मूर्ति का ध्यान करें और अपने जीवन में आर्थिक समृद्धि की कामना करें।
- आसन न छोड़ें: पूरी साधना के दौरान आसन न छोड़ें, एकाग्रता और स्थिरता अत्यंत आवश्यक है।
🕉️ साधक के लिए आवश्यक नियम
- साधना के दौरान और साधना पूर्ण होने तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें और लोभ, क्रोध, ईर्ष्या जैसी भावनाओं को साधना में न आने दें।
- यह साधना केवल धन की सकारात्मक वृद्धि और आर्थिक स्थिरता के लिए करें।
⚠️ सावधानियाँ एवं आचार संहिता
धनदा यक्षिणी (Yakshini) साधना एक अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक साधना मानी जाती है। इसलिए—
- इस साधना का दुरुपयोग किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए न करें।
- किसी को वशीभूत करने, परेशान करने या गलत लाभ लेने के लिए इसका प्रयोग वर्जित है।
- साधना में असावधानी या नकारात्मक भाव से किया गया कार्य उल्टा प्रभाव भी डाल सकता है।
🌟 धनदा यक्षिणी (Yakshini) की कृपा के लाभ
- आर्थिक अभाव और धन से जुड़ी रुकावटों का अंत होता है।
- व्यापार, करियर और धन आगमन के नए मार्ग खुलते हैं।
- साधक के जीवन में समृद्धि, स्थिरता और आत्मबल का संचार होता है।
ध्यान रखें, साधना तभी फलित होती है जब साधक का उद्देश्य शुद्ध हो और श्रद्धा पूर्ण हो। धनदा यक्षिणी (Yakshini) की साधना कोई सामान्य प्रयोग नहीं है — यह एक गूढ़ तांत्रिक साधना है, जिसे आस्था, नियम और संयम से करने पर ही सिद्धि प्राप्त होती है।
🪔 “धर्मपूर्ण मार्ग से अर्जित धन ही स्थायी और सुखद होता है।” 🪔
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