बरसात में मुर्गियों को बीमारियों से कैसे बचाएं? जानें महत्वपूर्ण उपाय!

बरसात के मौसम में पोल्ट्री फार्मिंग में संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मुर्गियों की सुरक्षा के लिए बाड़े की सफाई, आहार का ध्यान और टीकाकरण अनिवार्य है। नमी और उमस से मुर्गियों को बचाने के लिए विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।

बरसात में मुर्गियों को बीमारियों से कैसे बचाएं? जानें महत्वपूर्ण उपाय!

बरसात के मौसम में पोल्ट्री फार्मिंग (poultry farming) एक बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाता है। इस दौरान मुर्गे और मुर्गियों की देखभाल में अत्यधिक सतर्कता बरतनी पड़ती है, क्योंकि इस मौसम में संक्रमण (infection) और बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। यह समस्या केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर के पोल्ट्री फार्मरों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि बरसात के मौसम में पोल्ट्री फार्मिंग के सामने कौन-कौन सी समस्याएं आती हैं, और उनसे बचाव के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं।

सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि बरसात के मौसम में मुर्गियों की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) क्यों कमजोर हो जाती है। दरअसल, इस मौसम में वातावरण में उमस (humidity) और नमी बढ़ जाती है, जो बैक्टीरिया (bacteria) और वायरस (virus) के पनपने के लिए अनुकूल होती है। इन सूक्ष्मजीवों के कारण मुर्गियों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अगर एक बार किसी मुर्गी में संक्रमण फैल गया, तो यह अन्य मुर्गियों में भी तेजी से फैल सकता है। मुर्गियों का रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) इस समय कमजोर हो जाता है, और वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

इस मौसम में मुर्गियों के लिए सबसे अधिक घातक साबित होने वाली बीमारियों में फंगल इंफेक्शन (fungal infection), बैक्टीरियल इंफेक्शन (bacterial infection), और परजीवी (parasite) से होने वाली बीमारियां शामिल हैं। इन बीमारियों का समय पर पता नहीं लगाया जाए, तो यह पूरे पोल्ट्री फार्म को प्रभावित कर सकती हैं। इससे फार्म के मालिक को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

उमस और नमी के कारण मुर्गियों के आहार में भी फंगस और बैक्टीरिया पनप सकते हैं। जब मुर्गियां सड़े हुए आहार का सेवन करती हैं, तो उनके शरीर में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, बरसात के मौसम में कीड़े और परजीवी भी तेजी से बढ़ते हैं, जो मुर्गियों के स्वास्थ्य को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मुर्गियों के बाड़े (poultry coop) में भी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बरसात के मौसम में बाड़े में पानी जमा होने की संभावना रहती है, जिससे नमी बढ़ जाती है। नमी की अधिकता से कीड़े-मकौड़े, फंगस, और अन्य परजीवी उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, गीले और नम वातावरण में मुर्गियों के पैरों में सड़न (foot rot) की समस्या भी हो सकती है, जो उनके चलने-फिरने में परेशानी उत्पन्न करती है।

इन सब समस्याओं से निपटने के लिए पोल्ट्री फार्म मालिकों को कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। सबसे पहले, मुर्गियों के बाड़े को हमेशा सूखा और स्वच्छ रखना चाहिए। बाड़े में पानी जमा नहीं होने देना चाहिए और नमी को नियंत्रित करने के लिए बाड़े में उचित वेंटिलेशन (ventilation) की व्यवस्था करनी चाहिए। बाड़े में प्लास्टिक सीट का पर्दा लगाकर बरसात से मुर्गियों को बचाया जा सकता है। इसके अलावा, बाड़े के आसपास की जगह को भी साफ और सूखा रखना चाहिए ताकि वहां पर कीड़े-मकौड़े और फंगस न पनप सकें।

मुर्गियों के आहार में भी विशेष ध्यान देना चाहिए। बरसात के मौसम में आहार को सूखा और ताजा रखना चाहिए। सड़े हुए या नमी वाले आहार को तुरंत हटा देना चाहिए, क्योंकि इससे मुर्गियों में संक्रमण फैलने की संभावना होती है। आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा होना भी आवश्यक है, ताकि मुर्गियों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे।

मुर्गियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए टीकाकरण (vaccination) भी एक महत्वपूर्ण कदम है। बरसात के मौसम में मुर्गियों का समय-समय पर टीकाकरण करवाना चाहिए, ताकि उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। टीकाकरण के साथ-साथ, पोल्ट्री फार्म मालिकों को मुर्गियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच (health check-up) भी करवानी चाहिए। अगर किसी मुर्गी में बीमारी के लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत अलग कर देना चाहिए ताकि अन्य मुर्गियां संक्रमण से बच सकें।

बरसात के मौसम में मच्छरों (mosquitoes) और मक्खियों (flies) का प्रकोप भी बढ़ जाता है। यह कीट मुर्गियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। मच्छरों और मक्खियों से बचाव के लिए बाड़े में मच्छरदानी (mosquito net) लगाई जा सकती है और नियमित रूप से कीटनाशक (insecticide) का छिड़काव किया जा सकता है। इसके अलावा, बाड़े के आसपास की जगह को भी साफ रखना चाहिए ताकि वहां पर इन कीटों का प्रजनन न हो सके।

पोल्ट्री फार्मिंग में सफाई और स्वच्छता (hygiene) का अत्यधिक महत्व है, खासकर बरसात के मौसम में। बाड़े में गंदगी जमा नहीं होनी चाहिए और नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। फर्श और दीवारों को भी कीटाणुनाशक (disinfectant) से साफ करना चाहिए ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके। इसके साथ ही, मुर्गियों के पानी पीने के बर्तन (water troughs) को भी नियमित रूप से साफ करना चाहिए, क्योंकि गंदे पानी से भी बीमारियों का खतरा होता है।

मुर्गियों के बाड़े की संरचना (structure) भी इस मौसम में महत्वपूर्ण होती है। बाड़े की छत को इस तरह से डिजाइन करना चाहिए कि बारिश का पानी अंदर न आ सके। बाड़े की दीवारों को भी मजबूत और पानी-रोधी (waterproof) बनाना चाहिए। अगर बाड़े में पानी रिसता है, तो यह मुर्गियों के लिए हानिकारक हो सकता है।

बरसात के मौसम में पोल्ट्री फार्मिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है नियमित निरीक्षण (regular inspection)। फार्म मालिकों को अपने फार्म का नियमित निरीक्षण करना चाहिए और किसी भी समस्या को समय रहते पहचान कर उसका समाधान करना चाहिए। अगर बाड़े में कहीं पर नमी, गंदगी, या पानी जमा हो, तो उसे तुरंत साफ कर देना चाहिए।

इन सब सावधानियों को अपनाकर पोल्ट्री फार्मिंग को बरसात के मौसम में भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है। यह न केवल मुर्गियों को स्वस्थ रखेगा, बल्कि फार्म मालिकों को भी आर्थिक नुकसान से बचाएगा। पोल्ट्री फार्मिंग एक लाभदायक व्यवसाय है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी और सतर्कता भी आवश्यक है। बरसात के मौसम में इन सभी बिंदुओं का ध्यान रखना फार्मिंग की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

वर्षायामेऽपि सतर्कः स्याद्, यः कुक्कुटपालकः ।
संरक्षणं च कर्तव्यं, रोगेभ्यो रक्षते सदा ॥

वर्षा ऋतु में भी सतर्क रहने वाला, जो मुर्गियों का पालन करता है, उसे रोगों से बचाने के लिए हमेशा संरक्षण करना चाहिए।  यह श्लोक लेख के मूल विषय से मेल खाता है, जिसमें बताया गया है कि बरसात के मौसम में पोल्ट्री फार्मिंग में विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है। मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिए उचित संरक्षण और देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है।