Bamboo Farming : बांस की खेती से बने लखपति! जानिए कैसे
बांस की खेती ( Bamboo Farming ) कम लागत और कम देखभाल के साथ अधिक लाभ देती है। यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है और लंबे समय तक आय का स्रोत बनती है। बड़े पैमाने पर खेती करके किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं।
मानसून के मौसम में कई प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण फसल है बांस (bamboo) की खेती। बांस की खेती में खर्च बहुत कम होता है और इसकी देखरेख की आवश्यकता भी कम होती है। इसके अलावा, यह पर्यावरण को भी शुद्ध करता है। यहाँ हम बांस की खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें बांस का पौधा लगाने से लेकर उत्पादन और लाभ तक की जानकारी दी जाएगी।
बांस की खेती की तैयारी
बांस की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले उन्नत किस्म का चयन करना आवश्यक है। बाजार में बांस की कई प्रजातियाँ हैं, लेकिन व्यवसायिक तौर पर तीन प्रमुख किस्में उगाई जाती हैं: बंबूसा बालकोवा, बंबूसा बंबूस, और बंबूसा टडा। इन तीनों में से बंबूसा बालकोवा और बंबूसा टडा की बाजार में सबसे अधिक मांग है। इन दो किस्मों में से किसी एक या दोनों का चुनाव कर सकते हैं।
पौधों की प्राप्ति के लिए चार प्रमुख विधियाँ हैं:
- बीज से पौधा उगाना, जो सबसे अधिक समय लेता है।
- तने की कटाई करके पौधा बनाना, जिसमें भी काफी समय लगता है।
- टिशू कल्चर लैब से सीधा पौधा खरीदना।
- राइजोबियम कल्चर के माध्यम से पौधा उगाना।
टिशू कल्चर लैब से पौधे खरीदना सबसे उपयुक्त रहता है।
बांस की खेती में लागत
बांस का एक पौधा टिशू कल्चर लैब में लगभग 25 रुपये में मिलता है। पहले साल में एक पौधे पर लेबर का खर्च लगभग 10 रुपये होता है, जिसमें पौधारोपण और देखरेख शामिल है। इस प्रकार, पहले साल में एक पौधे पर कुल लागत 35 रुपये आती है। दूसरे से चौथे साल तक प्रति पौधा खाद और देखरेख का खर्च लगभग 5 रुपये आता है। इस प्रकार, चार साल की कुल लागत लगभग 50 रुपये होती है।
बांस की खेती से उत्पादन
बांस की फसल से उत्पादन चौथे साल से शुरू होता है। पहले तीन साल तक कोई उत्पादन नहीं होता। चौथे साल से बांस की कटाई शुरू होती है। एक पौधे से चौथे साल में पांच कलमें मिलती हैं, पाँचवे साल में सात, और छठे साल में आठ कलमें मिलती हैं। उत्पादन हर साल बढ़ता है और यह सिलसिला 40 से 50 साल तक चलता है।
बांस की कलम की बिक्री
बांस की कलम को कई कंपनियों को बेचा जा सकता है। उदाहरण के लिए, आर्टी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड जो मध्य प्रदेश के देवास शहर में स्थित है, आपकी कलम खरीद सकती है। इस कंपनी से संपर्क करके आप अपनी बांस की कलम बेच सकते हैं। इसके अलावा, अन्य कंपनियाँ भी बाय बैक एग्रीमेंट करती हैं, जिससे आप कांट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से भी लाभ उठा सकते हैं।
बांस की खेती से आमदनी
चौथे साल में एक बांस के पौधे से 5 कलमें मिलती हैं, जिनकी बिक्री से 250 रुपये की आमदनी होती है। पाँचवे साल में 7 कलमें मिलने से 350 रुपये और छठे साल में 8 कलमें मिलने से 400 रुपये की आमदनी होती है। साल दर साल आमदनी बढ़ती जाती है, क्योंकि लागत स्थिर रहती है लेकिन उत्पादन बढ़ता है।
अगर आप 100 पौधे लगाते हैं, तो चौथे साल की लागत 3500 रुपये होगी और आमदनी 25000 रुपये होगी। इसी तरह, पाँचवे साल में 35000 रुपये और छठे साल में 40000 रुपये की आमदनी होगी। अधिक पौधे लगाने पर आमदनी और अधिक बढ़ेगी।
निष्कर्ष
बांस की खेती कम लागत में अधिक लाभ देने वाली होती है। इसकी देखरेख की आवश्यकता कम होती है और यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होती है। बांस की खेती को बड़े पैमाने पर करके किसान अच्छे लाभ कमा सकते हैं। यह खेती एक दीर्घकालिक निवेश है जो कई वर्षों तक लाभ देती है।
वासुकल्पतरुः सर्वजनहितकारकः।
अल्पव्ययेन लभ्यते, बहुजनसमृद्धिकारकः॥
बांस एक कल्पवृक्ष के समान है, जो सभी के लिए लाभकारी है। यह अल्प व्यय में प्राप्त होता है और बहुजन की समृद्धि का कारण बनता है। यह श्लोक बांस की खेती की विशेषताओं को दर्शाता है, जैसे कि कम लागत में अधिक लाभ, पर्यावरण को शुद्ध करने की क्षमता, और दीर्घकालिक लाभ देने की क्षमता।