Jammu & Kashmir : 10,000 लड़कियों ने रचा इतिहास! जानिए कैसे…

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Jammu & Kashmir  में हाल ही में एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो महिलाओं की सहभागिता और उनके सामूहिक प्रयासों का एक अनोखा उदाहरण बना। इस कार्यक्रम में 10,000 लड़कियों ने एक साथ कश्मीर के लोकप्रिय गाने पर नृत्य किया। यह आयोजन जम्मू कश्मीर के बारा मला जिले में हुआ, जहां स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले जिला प्रशासन की मदद से चिनार कोर के डागर डिवीजन ने इस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम की योजना बनाई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना था बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना भी था।

इतनी भारी संख्या में लड़कियों का एक साथ नृत्य करना, अपने आप में एक अद्वितीय उपलब्धि है। यह पहली बार था जब 10,000 लड़कियां एक साथ मंच पर कश्मीर के लोकप्रिय गाने ‘कशर रिवाज’ पर नृत्य करती नजर आईं। इस गाने पर एक साथ नृत्य करने का यह अनोखा प्रयास, कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकट करता है। इस कार्यक्रम ने न केवल एक विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया बल्कि यह भी दिखाया कि किस प्रकार सांस्कृतिक गतिविधियां लोगों को एकजुट कर सकती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।

इसके अलावा, इस आयोजन ने स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक अवसर भी प्रदान किए। बड़ी संख्या में दर्शकों के आगमन के कारण स्थानीय व्यापारियों को लाभ हुआ। स्थानीय हस्तशिल्प, खाद्य पदार्थ और परिधान विक्रेताओं ने भी इस कार्यक्रम से काफी लाभ उठाया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी सफल रहा।

इस कार्यक्रम के माध्यम से जम्मू कश्मीर की महिलाएं अपनी कला और संस्कृति को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने में सफल रहीं। यह आयोजन इस बात का भी प्रमाण है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के समान ही उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाली लड़कियों ने कठोर परिश्रम और समर्पण का परिचय दिया, जिसके परिणामस्वरूप यह आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

दूसरी ओर, देश के कई राज्यों में इस समय बाढ़ और भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। राजस्थान के अलवर में भारी बारिश के बाद हालात बेहद खराब हो गए हैं। यहां पर्यटक स्थल अलेवा धाम और बराश धाम में अचानक पानी का बहाव बढ़ गया है। इस बढ़ते जलस्तर के कारण न केवल स्थानीय निवासी बल्कि पर्यटक भी परेशानी में पड़ गए हैं। बाढ़ के कारण कई इलाकों में सड़कों और घरों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासनिक स्तर पर राहत कार्य जारी हैं, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।

वहीं, कुछ लोग अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज करते हुए सेल्फी और रील बनाने के लिए जोखिम उठा रहे हैं। तेज बहाव में नहाते हुए रील बनाना और सेल्फी लेना कई युवाओं के लिए एक खतरनाक खेल बन गया है। इन खतरनाक गतिविधियों के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। प्रशासन द्वारा लगातार चेतावनी दिए जाने के बावजूद लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।

राजधानी दिल्ली में भी बारिश के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। न्यू कोंडली इलाके में बारिश के चलते एक सरकारी स्कूल की दीवार गिर गई, जिससे वहां खड़ी कई गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं। इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन गाड़ियों को भारी नुकसान पहुंचा है। दीवार गिरने की घटना ने सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूकता और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। हमें यह समझना होगा कि प्राकृतिक आपदाएं न केवल हमारे दैनिक जीवन को बाधित करती हैं बल्कि आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को भी प्रभावित करती हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम सभी मिलकर इन चुनौतियों का सामना करें और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के प्रयास करें। प्रशासनिक स्तर पर भी सतर्कता और तैयारियों की आवश्यकता है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सफलता और प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न चुनौतियां, दोनों ही हमारे समाज के दो पहलू हैं, जो हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए प्राकृतिक आपदाओं के प्रति भी सजग रहना चाहिए। यही संतुलन हमारे समाज को मजबूत और समृद्ध बनाता है।

शक्तिरुपास्ते स्त्रीणां, गृहे गृहे ये कृत्ये तत्पुरःस्थिता।
अवनीं धारयन्त्यः सर्वाः, तासां नृत्यं विशेषतः॥

“स्त्रियों की शक्ति हर घर में उपस्थित होती है, वे हर कार्य में अग्रणी होती हैं। वे ही पृथ्वी को धारण करती हैं, और उनके नृत्य का विशेष महत्व है।” यह श्लोक इस बात को दर्शाता है कि स्त्रियाँ अपनी अद्वितीय क्षमता और सामर्थ्य से समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जम्मू कश्मीर के इस कार्यक्रम में 10,000 लड़कियों का सामूहिक नृत्य इसी शक्ति का प्रमाण है। उन्होंने अपनी कला और संस्कृति के माध्यम से समाज को प्रेरित किया है।