लेखक- उमा जी झा via NCI
Never Share These 2 Things: आज के दौर की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हम उस युग में जी रहे हैं जहाँ अगर आपने अपनी खुशी का स्टेटस नहीं लगाया, तो दुनिया मानती ही नहीं कि आप खुश हैं। लेकिन सयाने और समझदार लोग सदियों से एक बात कहते आ रहे हैं, जिसे आज हम भूल चुके हैं। वह बात यह है कि जीवन में दो चीजों पर हमेशा ‘प्राइवेसी’ का ताला लगा होना चाहिए – एक आपका ‘भान’ (मन के भाव, आपकी भीतरी दुनिया) और दूसरा आपका ‘धन’ (आपकी तिजोरी, आपकी कमाई)। जिसने इन दोनों को बाजार में नुमाइश की वस्तु बना दिया, समझो उसने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं, बल्कि पूरी आरी चला दी।
मन की बातें: खुली किताब बनोगे, तो रद्दी के भाव बिकोगे
अक्सर हम भावनाओं के आवेग में आकर किसी को भी अपना हमराज मान बैठते हैं। हमें लगता है कि दिल का हाल सुना देने से मन हल्का हो जाएगा, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि हर सुनने वाला कान ‘दोस्त’ का नहीं होता। जब आप अपने मन के ‘भान’, अपनी कमजोरियां, अपनी योजनाएं और यहां तक कि अपने आध्यात्मिक अनुभवों को भी हर किसी के सामने खोलकर रख देते हैं, तो आप खुद को बहुत सस्ता बना देते हैं। लोग आपकी भावनाओं को नहीं, आपकी कमजोरियों को नोट कर रहे होते हैं। वे जान जाते हैं कि आपको कहाँ दबाना है, कहाँ छेड़ना है और कब आपका मजाक बनाना है। जिस तरह खुली तिजोरी चोरों को निमंत्रण देती है, वैसे ही खुला हुआ मन दुनिया भर के चालाकों को निमंत्रण देता है कि “आओ और मेरी भावनाओं से खेलो।” याद रखिये, जो व्यक्ति अपनी हर छोटी-बड़ी बात का ढिंढोरा पीटता है, उसका वजन लोगों की नजरों में अपने आप कम हो जाता है। उसकी गंभीरता खत्म हो जाती है और वह महज एक मनोरंजन का साधन बनकर रह जाता है।
धन का दिखावा: अमीरी का शोर और कंगाल होती शांति
दूसरी सबसे खतरनाक गलती जो इंसान करता है, वह है ‘धन’ का प्रदर्शन। प्रभु ने अगर आपको संपन्नता दी है, तो वह आपके सुख के लिए है, पड़ोसियों को जलाने के लिए नहीं। लेकिन विडंबना देखिये, लोग महंगी गाड़ी इसलिए नहीं खरीदते कि उन्हें सफर आरामदायक चाहिए, बल्कि इसलिए खरीदते हैं ताकि मोहल्ले की चार आंखें फटी की फटी रह जाएं। जब आप अपनी कमाई, बैंक बैलेंस और वैभव का ऊंचे स्वर में बखान करते हैं, तो आप अनजाने में अपने आसपास गिद्धों को इकट्ठा कर रहे होते हैं। कुछ लोग आपसे जलेंगे, कुछ आपसे उधार मांगने की जुगत लगाएंगे और कुछ केवल इसलिए आपसे रिश्ता रखेंगे क्योंकि आपकी जेब गर्म है। ऐसे में सच्चे रिश्ते तो रेत की तरह फिसल जाते हैं और मतलबी रिश्तों की भीड़ लग जाती है। जो इंसान बार-बार अपना धन दिखाकर खुद को सिद्ध करने की कोशिश करता है, वह दरअसल भीतर से बहुत गरीब और असुरक्षित होता है। उसे लगता है कि उसकी इज्जत उसके पैसों से है, उसके चरित्र से नहीं। और जिस दिन पैसा थोड़ा भी डगमगाया, वह इज्जत भी हवा हो जाती है।
गोपनीयता का आध्यात्मिक और व्यावहारिक जादू
आध्यात्मिक जगत का एक ही नियम है – “गुमनाम रहो और बादशाह की तरह जियो।” साधना, भक्ति और प्रभु से जुड़ाव एक ऐसा बीज है जो जमीन के भीतर अंधेरे में ही पनपता है। अगर आप बीज को खोद-खोद कर सबको दिखाते रहेंगे, तो वह कभी वृक्ष नहीं बन पाएगा। ठीक वैसे ही, जब आप अपने अच्छे कर्मों, अपनी पूजा-पाठ या अपनी गुप्त दान-दक्षिणा का प्रचार सोशल मीडिया या बातों में करने लगते हैं, तो वहां से ‘पुण्य’ गायब हो जाता है और ‘अहंकार’ सिंहासन पर बैठ जाता है। गोपनीयता में एक अजीब सी ताकत होती है। जब आप चुपचाप अपनी तरक्की करते हैं, बिना शोर मचाए मेहनत करते हैं, तो आपकी ऊर्जा बिखरती नहीं है, बल्कि एक जगह केंद्रित होती है। असली सफल लोग समुद्र की तरह होते हैं—गहरे और शांत। वे छलकते नहीं हैं। उनकी योजनाएं उनके दिमाग में होती हैं और परिणाम दुनिया के सामने। उन्हें चिल्लाकर बताने की जरूरत नहीं पड़ती कि वे कौन हैं, उनका काम और उनका आचरण इतनी जोर से बोलता है कि दुनिया को सुनना ही पड़ता है।
ईर्ष्या की आग और परिवार का सुकून
जब आप भान और धन का प्रदर्शन करते हैं, तो आप अनजाने में अपने ही शत्रुओं का निर्माण कर रहे होते हैं। दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आपकी खुशी देखकर दुखी होते हैं। आपकी चमक-दमक किसी की आंखों में चुभ सकती है और वही चुभन ईर्ष्या, द्वेष और षड्यंत्र का रूप ले लेती है। दिखावे की यह होड़ केवल आपको ही नहीं, आपके पूरे परिवार को एक ऐसे दलदल में धकेल देती है जहाँ ‘सादा जीवन’ अपमानजनक लगने लगता है। बच्चों में भी वही संस्कार जाते हैं—दिखावे के, तुलना के और होड़ के। घर की शांति वहां खत्म हो जाती है जहां तुलना शुरू होती है। असली आनंद तो संतुलन में है। भीतर से राजा बनें, बाहर से फकीर न सही, लेकिन सादगी से भरे रहें। जब आप लोगों की नजरों में चढ़ने का मोह त्याग देते हैं, तब आप सच में स्वतंत्र होते हैं। अंत में, जीवन का सार यही है कि अपनी खुशियों और अपनी संपत्ति को नजर न लगने दें। भान को छुपाकर रखना कोई कपट नहीं है, बल्कि अपनी आत्मा की सुरक्षा है। धन को छुपाकर रखना कंजूसी नहीं है, बल्कि समझदारी है। खुश रहने का मंत्र बहुत सीधा है—अपने प्रभु से सब कुछ कहो, लेकिन दुनिया के सामने एक रहस्य बने रहो। जो व्यक्ति अपनी गहराई को भीड़ से बचाकर रखता है, वही शांत रहता है। इसलिए, अपनी योजनाओं का शोर मत मचाइए, बस खामोशी से कर्म करते चलिए। जब आप खुद को ‘प्रदर्शन’ की नहीं, बल्कि ‘दर्शन’ (आत्म-चिंतन) की वस्तु बना लेंगे, तो देखेंगे कि जीवन कितना हल्का, सुरक्षित और आनंदमय हो गया है। याद रखें, जंगल में शिकार उसी का होता है जो बेवजह आवाज करता है, शेर भी शिकार करने के लिए खामोश ही रहता है।
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