लेखक- अभिषेक झा via NCI
आप सभी को जय श्री महाकाल!। वर्तमान समय में बहुत से लोग महसूस करते हैं कि उनके जीवन में किसी न किसी प्रकार की बाधा, समस्या या रुकावट बनी हुई है और वे यह सोचते हैं कि इसका कारण किसी तांत्रिक क्रिया के माध्यम से उन पर तंत्र बाधा कराना (Tantra Black Magic) हो सकता है। कई बार लोग स्वयं अनुभव करते हैं कि अचानक उनकी ज़िंदगी में मुश्किलें (Difficulties) बढ़ गई हैं, काम में रुकावट आ रही है, स्वास्थ्य (Health) खराब हो रहा है, या पारिवारिक जीवन (Family Life) में तकरार (Conflict) बढ़ रहा है। वे बार-बार पूजा-पाठ या विशेष अनुष्ठान (Special Rituals) करवाते हैं लेकिन अपेक्षित फल नहीं मिल पाता।
इस स्थिति में लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है की क्या पूजा-पाठ (Daily Pooja) से तंत्र बाधा हट जाती है या फिर इसके लिए कोई विशेष तांत्रिक विधि की आवश्यकता है? बहुत से लोग केवल पूजा-पाठ करके समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं। किसी भी समस्या के निदान (Cure) के लिए सबसे महत्वपूर्ण है सही कारण (Root Cause) को जानना और उसी अनुसार इलाज (Treatment) करना। उदाहरण के लिए यदि किसी को बीमारी (Disease) है तो उसका सही उपचार (Proper Treatment) आवश्यक है। इसी तरह तंत्र बाधा का सही उपचार भी तंत्र विधि से ही करना चाहिए। जिस प्रकार लोहा लोहे को काटता है , ठीक उसी प्रकार तंत्र बाधा के उपचार के लिए उसी प्रकृति की तंत्र विधि को अपनाना पड़ता है। यह विचार करना चाहिए कि जो व्यक्ति तंत्र विधि (Tantric Method) से किसी को नुकसान पहुँचाता है, उसने भी विशेष देवी-देवताओं की आराधना (Worship) करके या करवा कर ही ऐसी शक्ति जुटाई है। ऐसे में सामान्य पूजा-पाठ या नित्य आराधना हर परिस्थिति में तंत्र बाधा दूर नहीं कर पाती। तंत्र बाधा के प्रभाव को कमजोर जरूर कर सकती है, लेकिन जड़ से नष्ट (Completely Remove) करने के लिए तांत्रिक विधि की आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियाँ भी है जो आपको सभी तरह की तंत्र बाधा से बचा सकता है जिसे हम आपको आगे बताएंगे ।
नित्य पूजा-पाठ का महत्व और उसकी सीमा
बहुत सारे लोग प्रतिदिन अपनी आस्था (Faith) के अनुसार आराध्य देवी-देवताओं (Worshiped Deities) की नित्य पूजा करते हैं। इसमें मंत्रोच्चार, ध्यान, भजन और प्रसाद भेंट करने जैसा धार्मिक कार्य (Religious Work) शामिल होता है। हनुमान चालीसा का पाठ , दुर्गा सप्तशती, या अन्य धार्मिक ग्रंथों का नियमित अध्ययन भी लोग करते हैं। यह सही है कि पूजा-पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) आती है और सामान्य नकारात्मकता (Negativity) दूर होती है। कई बार यदि किसी के ऊपर निगेटिव इम्पैक्ट है तो हनुमान चालीसा जैसे धार्मिक ग्रंथों के पाठ (Chanting) से कुछ राहत (Relief) संभव है। परन्तु, यदि तंत्र विधि से कोई नकारात्मक क्रिया की गई है, तो सामान्य पूजा-पाठ केवल प्रभाव को कम (Reduce) कर सकते है, पूरी तरह से खत्म नहीं कर पाते। ये बात आपको आज तक सबने बताया होगा और कुछ मामलों मे ये सही भी है । लेकिन जो व्यक्ति हनुमान चालीसा, दुर्गा सप्तशती, श्री हरि सहस्त्रनाम मे से किसी भी चीज का नियमित रूप से पाठ करता है तो उसपर तंत्र बाधा हो ही नहीं सकता है । आपको समझने की जरूरत है की जब आप धर्म के पथ पर चलते है और हरि शरण मे रहते है तो आप सुरक्षित रहते है । अगर आप माँ दुर्गा के सप्तशती का पाठ करते है तो एक बात समझ लीजिए की किसी भी तरह का तंत्र आप पर असर नहीं कर सकता है । आप हनुमान चालीसा का पाठ करते है, भगवान शिव को रोज जल और राम नाम लिख के बिल्व पत्र चढ़ाते है तो विश्वास रखिए कोई तंत्र बाधा आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।
एक बहुत बड़ी बात आपको समझने की जरूरत है की जब आप पूजा पाठ करते है तो आपके कुल की देवी आपसे प्रसन्न रहती है । और जब तक आपकी कुल की देवी आपसे प्रसन्न रहती है तब तक आप पर कोई तंत्र बाधा हो ही नहीं सकता । कोई भी व्यक्ति आपके ऊपर अगर शक्तिशाली तंत्र विद्या का इस्तेमाल करता है तो वो सबसे पहले आपके कुल की देवी को बांधता है जिसमे वो कई तरह की तामसिक भोगों का प्रयोग करता है । लेकिन अगर आप नियमित रूप से सात्विक तरीके से पूजापाठ करते है तो कुल की देवी आपसे प्रसन्न रहती है और किसी भी तामसिक भोग को स्वीकार नहीं करती है । आपकी कुल की देवी ही आपकी सबसे बड़ी रक्षक है और उनके रहते कोई भी तंत्र विद्या आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है । कलयुग मे नाम जप को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है, अगर आप अपने इष्ट देव या देवी का नियमित रूप से नाम जप करते है तो भी निश्चिंत रहिए, आप सुरक्षित है । तांत्रिकों के लिए आप तब खुला मैदान बन जाते है जब आप धर्म के पथ पर नहीं चलते और पूजा पाठ नियमित रूप से नहीं करते ।
तंत्र बाधा का सही समाधान
अगर तब भी कोई व्यक्ति तांत्रिक पद्धति से ही समाधान चाहता हो तो सबसे पहले ये समझिए की तंत्र बाधा का सही समाधान (Solution) तभी सम्भव है जब उसके मूल कारण (Root Cause) को समझा जाए और उसी अनुसार तंत्र विधि का उपयोग किया जाए। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि तंत्र शक्तियों (Tantric Energies) का प्रभाव काफी गहरा होता है, और उसे काटने के लिए उसी ऊर्जा (Energy) का उपयोग करना जरूरी होता है। यदि कोई व्यक्ति तंत्र में दीक्षित है और उसके पास सही विधि-विधान (Correct Process) की समझ है, तो वह तंत्र बाधा को काट सकता है। इसे ऐसे समझिए की मान लीजिए किसी व्यक्ति पर कोई तंत्र क्रिया की गयी है और ये बहुत बड़े स्तर पर किया गया है तो इसमे कुछ विद्वानों का मत है की विपरीत प्रत्यंगिरा के द्वारा इसे पलटाया जा सकता है और उसके बाद जिस क्रिया को आपके खिलाफ इस्तेमाल किया गया है वही क्रिया और भी भयानक रूप ले के उस व्यक्ति पर वार करेगी जिससे उसका बच पाना असंभव होगा ।
सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्म-विश्वास
यह जरूरी नहीं है कि जीवन की हर समस्या का कारण तंत्र बाधा ही हो। कई बार फाइनेंसियल इश्यू (Financial Issues), बीमारी (Illness), पारिवारिक विवाद (Family Dispute) या अन्य किसी समस्या (Other Problem) का कारण सामान्य जीवन के उतार-चढ़ाव भी होते हैं। हर चुनौती (Challenge) को तंत्र बाधा मानकर डरना या घबराना उचित नहीं है। जीवन का रंग और आनंद तो समस्याओं और संघर्षों से ही आता है। इसलिए हर परिस्थिति में सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। ब्रह्माण्ड का एक नियम (Universal Law) है कि हर परिस्थिति बदलेगी—अच्छा समय भी आएगा और बुरा समय भी चला जाएगा। इसलिए किसी समस्या को देखकर कमजोर न पड़ें, डर को काबू में रखें और उपाय (Remedies) करते हुए धैर्य और सकारात्मकता (Positivity) बनाए रखें।
तंत्र विधि का चुनाव कब जरूरी है?
यदि किसी को यह अनुभव हो कि नित्य पूजा-पाठ, उपवास, और धार्मिक अनुष्ठान (Rituals) के बाद भी उनके जीवन में समस्याएँ बनी हुई हैं, घर में कलह बढ़ रही है या स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है, तो यह संकेत है कि कुछ तांत्रिक प्रभाव उपस्थित हो सकता है। ऐसे में केवल सामान्य पूजा-पाठ से ही संतुष्ट न हों बल्कि अपने आराध्य का विशेष संकल्प के साथ जप , पूजा करें और किसी योग्य तांत्रिक साधक से परामर्श करें। तंत्र मंत्र की दुनिया अत्यन्त गूढ़ और शक्तिशाली होती है। इसमें सामान्य पूजा और साधारण विधियों से ज्यादा गहराई और विधि-विधान का चलन होता है। यदि किसी ने तंत्र बाधा के लिए विशेष पूजा अथवा साधना कराई है, तो उसका तोड़ भी उसी मार्ग से करना अधिक कारगर रहेगा।
पूजा-पाठ और तंत्र बाधा: मनोवैज्ञानिक पक्ष
पूजा-पाठ और तंत्र बाधा के संदर्भ में मानव मन की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। आम तौर पर लोग पूजा-पाठ के दौरान श्रद्धा (Devotion) तो रखते हैं, लेकिन उनके मन में संदेह बना रहता है—क्या पूजा सचमुच काम करेगी? क्या मेरी समस्या हल हो सकती है? यही सबसे बड़ी भूल है। पूजा-पाठ का सबसे मूल अंग है आत्म श्रद्धा और दृढ़ विश्वास । यदि व्यक्ति ने पूजा के पश्चात् यह सोच लिया कि अब परिणाम आएगा या नहीं, तभी संदेह जन्म लेता है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इसलिए पूजा के साथ-साथ आत्म-विश्वास और परम श्रद्धा (Ultimate Faith) जरूरी है। मनोवैज्ञानिक स्तर (Psychological Level) पर यह आपके कार्यों में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार (Transmission) करता है।
अंत मे यही कहूँगा की आप खुद पर और अपने इष्ट पर विश्वास रखिए, खुद को अपने इष्ट समर्पित कर दीजिए। आप जिस भी देवी या देवता को मानते है उन्हे कह दीजिए की आज से मैं आपका और आप मेरे, बस दिल से इतना कह दीजिए और फिर विश्वास के साथ कदम बढ़ाइए । मानता हूँ की एक दम से सब कुछ सही नहीं होगा धीरे-धीरे होगा लेकिन एक दिन जरूर होगा। धर्म कछुए की तरह धीरे-धीरे जरूर चलता है लेकिन विजय उसी की होती है, अधर्म खरगोश की तरह कितना भी उछल ले जीत नहीं सकता है । निरंतर नियमित रूप से पूजा पाठ और ध्यान आपको हर नेगटिव ऊर्जा से मुक्त कर देगा और प्रभु के करीब ले जाएगा । हर व्यक्ति को ये सोचना चाहिए की जीवन मृत्यु के इस चक्र से मुक्त होकर प्रभु के धाम को प्राप्त होना ही पहला और आखरी उद्देश्य होना चाहिए । वैसे भी एक बात तो तय है की जो कोई भी किसी के खिलाफ तंत्र करता या करवाता है उसका और उसके परिवार का बहुत भयानक हाल होता है। कोई प्रभु के भक्ति मार्ग पर चल रहा हो और उससे बैर करना दुर्गति को निमंत्रण देना होता है । तत्काल तो लगेगा की सफल हो गए लेकिन ऐसा भीषण परिणाम विधि लेकर आती है की इन लोगों के परिवार मे कोई दीपक जलाने वाला भी नहीं बचता है । ऐसे लोगों को प्रभु के क्रोध का सामना करना ही पड़ता है। जैसे महाभारत मे पांडव प्रभु श्री कृष्ण के शरण मे थे और जिस-जिस ने उनसे बैर किया वो सब मारे गए। बिल्कुल ऐसे ही तंत्र मंत्र का हिस्सा बनने वाले लोग बस अपने दिन गिनते रहे, प्रारब्ध का जितना सुख है सब भोग लो उसके बाद महाकाल का क्रोध बरसेगा और संसार की कोई शक्ति ऐसे लोगों को बचा नहीं पाएगी । महाकाल के भक्तों के साथ गलत कर्म करने वालों के पूरे कुल का नाश हो जाता है । इसलिए गलत काम मत कीजिए और हरि-हर की भक्ति कीजिए, माँ जगदम्बा की आराधना कीजिए। आपका मंगल होगा । जय श्री महाकाल!
डिस्क्लेमर
इस वेबसाइट पर प्रकाशित सभी धार्मिक, तंत्र-मंत्र और ज्योतिष संबंधी सामग्री केवल शैक्षिक एवं जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। इसे आस्था और परंपरा के रूप में देखा जाए, वैज्ञानिक या चिकित्सीय सत्यापन के रूप में नहीं। यहाँ दी गई जानकारी मान्यताओं और परंपरागत स्रोतों पर आधारित है। ambebharti.page किसी भी जानकारी या मान्यता की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल धार्मिक ज्ञान और संस्कृति का प्रसार करना है, न कि किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करना या अंधविश्वास फैलाना। किसी भी जानकारी या उपाय को अमल में लाने से पहले संबंधित योग्य विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। यहाँ दी गई जानकारी के प्रयोग से होने वाले किसी भी परिणाम की जिम्मेदारी पाठक की स्वयं की होगी।