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Pune’s Shocking Murder Mystery :बंद सोफे से निकला महिला का शव!

NCIcrime6 months ago

 

महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। एक कैब ड्राइवर की पत्नी स्वप्नाली पवार का शव उनके घर में ही बंद सोफे के अंदर से मिला, जिसे देखकर हर कोई सन्न रह गया। यह कहानी 7 नवंबर से शुरू होती है, जब पति उमेश पवार, जो एक कैब ड्राइवर था, पुणे में रहने वाली अपनी पत्नी स्वप्नाली को फोन पर कॉल करता है। उस दिन दोनों ने बातचीत की, और इसके बाद उमेश अपने काम में व्यस्त हो गया। उमेश उस समय बीड़ में अपनी सवारी छोड़ने गया था और पूरी तरह काम में जुट गया था। अगले दिन जब उमेश ने स्वप्नाली से संपर्क करने की कोशिश की, तो उसका फोन स्विच ऑफ मिला। इसके बाद उमेश ने आसपास के लोगों से पूछताछ की, लेकिन किसी को उसकी पत्नी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। गुमशुदा पत्नी की चिंता में उमेश ने पुणे वापस आने का फैसला किया, ताकि वह स्वप्नाली को खोज सके।

उमेश पवार ने 8 नवंबर को पुणे आकर अपनी पत्नी की तलाश शुरू कर दी। पहले उसने अपने कुछ रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों से संपर्क किया, लेकिन किसी के पास उसकी पत्नी का कोई सुराग नहीं था। वह दिनभर बाइक पर शहर के विभिन्न इलाकों में घूमता रहा, हर जगह जाकर उसने लोगों से स्वप्नाली के बारे में पूछा। उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी, लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा था। उमेश ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी की जानकारी अपने रिश्तेदारों और करीबी लोगों को दी और उनसे सहायता मांगी। रिश्तेदारों से बात करने के बाद भी उसे कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई, जिससे उसकी बेचैनी और बढ़ती जा रही थी। आखिरकार, दो दिन तक इसी तरह घूमने और पूछताछ करने के बाद भी जब कुछ पता नहीं चला, तो उसने घर की अच्छे से तलाशी लेने का मन बनाया।

9 नवंबर की सुबह लगभग सात बजे, उमेश ने अपने घर की तलाशी लेने का निर्णय किया। उसने सोचा कि वह स्वप्नाली के ज्वेलरी (गहनों) को ढूंढेगा, शायद उसमें से कुछ सामान गायब हो। इसी दौरान उसने सोफा-कम-बेड खोला और उसमें छुपा हुआ कुछ सामान देखने की कोशिश की। जैसे ही उसने सोफा खोला, एक भयावह दृश्य उसके सामने था जिसने उसकी चीखें निकलवा दीं। सोफे के अंदर उसकी पत्नी स्वप्नाली का शव पड़ा हुआ था, जो पिछले दो दिनों से लापता थी। यह वही सोफा था, जिस पर उमेश दो रातों से सो रहा था, जबकि वह अपनी पत्नी को बाहर ढूंढने में लगा हुआ था। इस खौफनाक दृश्य ने उमेश के होश उड़ा दिए और वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसकी पत्नी के साथ यह सब कैसे हुआ। इस अनहोनी ने उसे पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया था, और तुरंत पुलिस को बुलाया गया।

पुणे के फुरसुंगी पुलिस थाने की टीम ने इस हत्याकांड की जांच शुरू की। पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर सारी परिस्थितियों का मुआयना किया। उन्हें सोफे में छिपाई गई स्वप्नाली का शव मिला, जो पहले ही मारा जा चुका था। पुलिस ने शव को फौरन पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा ताकि मौत के कारणों का पता चल सके। प्रारंभिक जांच में पुलिस को कुछ उंगलियों के निशान और खून के कुछ धब्बे मिले। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, स्वप्नाली की मौत गला घोटने से हुई थी। पुलिस ने इस आधार पर हत्या के मामले में संदेहियों की तलाश शुरू कर दी। घटना स्थल पर मौजूद सुरागों के आधार पर पुलिस ने वहां से कुछ साक्ष्य जुटाए। इसके बाद, पुलिस ने मामले की जांच में कोई कसर नहीं छोड़ी और हर कोण से इसे सुलझाने की कोशिश शुरू की। इस जघन्य हत्या ने पूरे इलाके में भय का माहौल पैदा कर दिया था।

पुलिस ने अपार्टमेंट की ओर जाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालना शुरू किया, क्योंकि जिस अपार्टमेंट में यह घटना हुई वहां सीसीटीवी कैमरा या सुरक्षा गार्ड नहीं था। पुलिस का मानना था कि स्वप्नाली की हत्या किसी ऐसे व्यक्ति ने की, जिसे वह अच्छी तरह जानती थी। सीसीटीवी फुटेज के जरिए पुलिस ने घटना से पहले और बाद के समय में अपार्टमेंट की ओर जाने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी। इसके साथ ही, पुलिस ने यह भी पता लगाने की कोशिश की कि उमेश के फ्लैट में और कौन-कौन आता-जाता था। पुलिस ने घटनास्थल से जुटाए गए सुरागों का इस्तेमाल करते हुए हर पहलू की गहनता से जांच की। पुलिस को ऐसा शक था कि यह हत्या किसी नजदीकी व्यक्ति द्वारा ही की गई है, जिसने स्वप्नाली के विश्वास का गलत फायदा उठाया।

पुलिस ने आस-पास के लोगों और उन सभी लोगों से पूछताछ की जो उमेश और स्वप्नाली के करीबी थे। पुलिस ने इस मामले में हर उस व्यक्ति को बुलाया, जिसने उमेश और स्वप्नाली के साथ किसी भी तरह का संपर्क रखा हो। इसके अलावा, पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया और उनसे गहन पूछताछ की। पुलिस को शक था कि शायद किसी करीबी व्यक्ति ने ही स्वप्नाली का विश्वास तोड़कर उसे जान से मार दिया। पुलिस ने इस केस में हर संभव साक्ष्य का विश्लेषण किया और यह जानने की कोशिश की कि आखिर स्वप्नाली के साथ ऐसा क्यों हुआ। गवाहों के बयान पुलिस को आगे की जांच में बहुत मददगार साबित हो रहे थे। पुलिस को संदेह था कि इस घटना में कुछ ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो अक्सर उमेश और स्वप्नाली के घर आते-जाते रहते थे।

उमेश और स्वप्नाली के फ्लैट में अक्सर कुछ लोग आते-जाते रहते थे, जिनमें से कुछ तो कभी-कभी रात भी वहां रुक जाते थे। पुलिस ने इन लोगों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की और उनसे पूछताछ की। पुलिस को एक ऐसी व्यक्ति की तलाश थी, जिसे स्वप्नाली बखूबी जानती थी और उस पर भरोसा करती थी। पुलिस ने उन सभी संदिग्ध व्यक्तियों को नोटिस भेजा, जिनके बारे में उन्हें जानकारी मिली थी। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि इस घटना से पहले स्वप्नाली और उमेश के बीच कुछ बहस भी हुई थी। पुलिस इस बात का भी पता लगाने में जुटी थी कि क्या इन बहसों का संबंध इस हत्याकांड से है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हर छोटी-बड़ी जानकारी को ध्यान में रखकर जांच को आगे बढ़ाया।

इस घटना ने पुणे पुलिस को और भी सतर्क कर दिया, क्योंकि एक मासूम महिला की हत्या को अंजाम देने वाला शातिर अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहा था। पुलिस ने उन सभी सुरागों का विश्लेषण किया जो घटनास्थल से मिले थे, और इसके आधार पर अपराधी तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। पुलिस ने इस मामले में संदेहियों पर नजर रखने के लिए कई टीमें गठित कीं। इसके अलावा, पुलिस ने आस-पास के इलाकों में भी गुप्तचर तैनात किए ताकि अपराधी का कोई सुराग मिल सके। जांच टीम ने अपराधी के बारे में कई संभावित धारणाएं बनाई और हर एंगल से जांच को आगे बढ़ाया। इस हत्याकांड ने शहर के लोगों को हिला कर रख दिया था, और सभी को इस बात का इंतजार था कि आखिरकार पुलिस कब अपराधी को गिरफ्तार करेगी।

यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमें हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है। समाज में हर व्यक्ति को अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए, खासकर तब जब उनके आस-पास कोई अनजान व्यक्ति मौजूद हो। इस घटना ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा करना खतरनाक साबित हो सकता है।

अविज्ञातहस्ते निपुणा हि नाशाय, हन्ति नृणां विश्वसनेन मूढं

इस श्लोक का अर्थ है कि अज्ञात व्यक्ति की क्षमता यदि नाश के लिए प्रयुक्त हो, तो वह घातक हो सकती है। अंधे विश्वास का परिणाम विनाशकारी होता है। यह श्लोक लेख की उस घटना को सार्थक करता है, जिसमें विश्वासघात और अंधे भरोसे ने जान ली। पति ने जिस सोफे पर सोचा कि वह सुरक्षित है, वही घातक साबित हुआ, और अंधे विश्वास ने उसे उस दुखद स्थिति में पहुंचा दिया।

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