Angarak yog : ज्योतिष शास्त्र में अंगारक योग को सबसे खतरनाक और ऊर्जावान योगों में से एक माना जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है ‘अंगारक’ यानी ‘अंगारा’ या आग। यह योग तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल (Mars) और राहु (Rahu) एक ही घर में साथ-साथ बैठ जाते हैं। मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है, जो ऊर्जा, साहस, रक्त और क्रोध का प्रतीक है। वहीं, राहु को एक ऐसा ग्रह माना जाता है जो किसी भी चीज को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है, यह धुएं और भ्रम का कारक है। अब जरा कल्पना कीजिए, मंगल रूपी ‘आग’ को जब राहु रूपी ‘हवा’ मिल जाए, तो क्या होगा? आग और भड़क जाएगी। ठीक यही स्थिति अंगारक योग वाले व्यक्ति के जीवन में होती है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति के अंदर ऊर्जा का ज्वालामुखी होता है। अगर यह ऊर्जा सही दिशा में न जाए, तो यह विनाशकारी बन जाती है, लेकिन अगर इसे सही रास्ता मिल जाए, तो ऐसा व्यक्ति जीवन में असंभव को भी संभव कर सकता है। यह योग व्यक्ति को निडर बनाता है, लेकिन यही निडरता कई बार लापरवाही में बदल जाती है।
गुस्सा, वाणी और रिश्तों पर असर
इस योग का सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव और गुस्से पर पड़ता है। अंगारक योग वाले लोग अक्सर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते। उन्हें बात-बात पर गुस्सा आता है और कई बार यह गुस्सा इतना तेज होता है कि वे अपना आपा खो बैठते हैं। मंगल की गर्मी और राहु का पागलपन मिलकर व्यक्ति को बहुत जिद्दी और आक्रामक बना देता है। ऐसे लोग अक्सर “पहले काम करो, बाद में सोचो” की नीति पर चलते हैं, जिसके कारण उन्हें जीवन में कई बार पछताना पड़ता है। उनकी वाणी अक्सर कड़वी हो सकती है, जिससे उनके अपने परिवार और दोस्तों के साथ संबंध खराब हो जाते हैं, खासकर भाई-बहनों के साथ। रिश्तों में भी यह योग गलतफहमी और शक पैदा करता है। चूंकि राहु भ्रम है, इसलिए व्यक्ति को लगता है कि सामने वाला उसे धोखा दे रहा है या उसकी बात नहीं समझ रहा, और इसी खींचतान में छोटे-छोटे झगड़े बड़े विवाद का रूप ले लेते हैं।
दुर्घटना, सेहत और पुलिस केस का डर
दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अंगारक योग को बहुत संवेदनशील माना गया है। मंगल रक्त और चोट का कारक है, और राहु आकस्मिक घटनाओं का। इसलिए, जब ये दोनों मिलते हैं, तो व्यक्ति को वाहन चलाते समय या मशीनों के साथ काम करते समय बहुत सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। ऐसे लोगों में धैर्य की कमी होती है, वे गाड़ी बहुत तेज चलाते हैं या जल्दबाजी में नियम तोड़ते हैं, जिससे एक्सीडेंट या चोट लगने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, सर्जरी, खून से जुड़ी बीमारियाँ या एसिडिटी की समस्या भी इन्हें परेशान कर सकती है। जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर इन्हें कोर्ट-कचहरी या पुलिस के मामलों का सामना भी करना पड़ सकता है, क्योंकि उनका आक्रामक स्वभाव उन्हें लड़ाई-झगड़ों की ओर खींच ले जाता है। लेकिन, यहाँ यह समझना भी जरूरी है कि हर अंगारक योग बुरा नहीं होता। अगर व्यक्ति पुलिस, सेना, स्पोर्ट्स या किसी साहसिक कार्य (Adventure) के क्षेत्र में है, तो यह योग उसे अजेय बनाता है। उसकी यही आक्रामकता उसे मेडल और सम्मान दिलाती है।
शांति पाने के अचूक उपाय
अंगारक योग के दुष्प्रभावों को शांत करने के लिए व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में शांति और संयम लाना बहुत जरूरी है। सबसे बड़ा और अचूक उपाय है हनुमान जी की शरण में जाना। हनुमान जी मंगल के स्वामी हैं और बल-बुद्धि के दाता हैं, उनकी आराधना करने से मंगल की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक शक्ति में बदल जाती है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना और सिंदूर चढ़ाना बहुत लाभकारी होता है। इसके अलावा, ऐसे व्यक्तियों को चांदी का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए, क्योंकि चांदी चंद्रमा (शांति) की धातु है जो मंगल की गर्मी को ठंडक देती है। इन्हें बहुत ज्यादा लाल रंग पहनने से बचना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि वे बहसबाजी से दूर रहें। ध्यान (Meditation) और योग करना इनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि यह उनके भटकते हुए दिमाग को शांत करता है। अगर वे अपनी ऊर्जा को तोड़ने-फोड़ने के बजाय कुछ बनाने में लगाएं, तो अंगारक योग वाला व्यक्ति दुनिया बदल सकता है।










