Kemdrum Dosh: ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को ‘मन’ और ‘भावनाओं’ का कारक माना गया है, और जिस तरह एक इंसान को समाज या परिवार के सहारे की जरूरत होती है, उसी तरह कुंडली में चंद्रमा को भी सहारे की जरूरत होती है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा के आगे और पीछे वाले घर पूरी तरह खाली हों, यानी न तो चंद्रमा के साथ कोई ग्रह हो और न ही उसके अगल-बगल कोई ग्रह मौजूद हो, तो इस स्थिति को ‘केमद्रुम दोष’ कहा जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में इसे ‘दरिद्र योग’ या ‘दुर्भाग्य का योग’ कहकर वर्णित किया गया है, जिससे अक्सर लोग बहुत डर जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है, वह जीवन भर संघर्ष करता रहता है। उसे ऐसा महसूस होता है कि मुसीबत के समय उसका साथ देने वाला कोई नहीं है। चाहे वह परिवार के बीच में ही क्यों न बैठा हो, एक अजीब सा खालीपन और अकेलापन उसे हमेशा घेरे रहता है। यह दोष व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर और बेचैन बना सकता है, क्योंकि मन (चंद्रमा) को संभालने वाला कोई ग्रह आसपास नहीं होता।
इस दोष का सबसे ज्यादा असर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और मानसिक शांति पर देखने को मिलता है। इसे ‘दरिद्र योग’ इसलिए कहा गया क्योंकि पुराने जमाने में माना जाता था कि ऐसे व्यक्ति के पास धन नहीं टिकता। केमद्रुम दोष से प्रभावित व्यक्ति अक्सर जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखता है। कभी उसके पास बहुत पैसा होता है, तो कभी वह बिल्कुल खाली हाथ हो जाता है। उसे जीवन में जो भी हासिल करना होता है, वह उसे अपनी मेहनत से ही करना पड़ता है; उसे विरासत में या किस्मत से आसानी से कुछ नहीं मिलता। अक्सर देखा गया है कि ऐसे लोग दूसरों की मदद तो बहुत करते हैं, लेकिन जब उन्हें मदद की जरूरत होती है, तो लोग उनसे मुंह मोड़ लेते हैं। यह स्थिति व्यक्ति को भीतर से चिड़चिड़ा और शक्की बना सकती है। उन्हें निर्णय लेने में भी कठिनाई होती है, क्योंकि उनका मन किसी एक बात पर टिक नहीं पाता और वे हमेशा भ्रम (Confusion) की स्थिति में रहते हैं।
लेकिन, ज्योतिष का एक सुनहरा नियम यह भी है कि हर दोष के पीछे एक राजयोग भी छिपा होता है, बशर्ते उसे सही नजरिए से देखा जाए। केमद्रुम दोष वाला व्यक्ति भले ही अकेलेपन से जूझता हो, लेकिन यही अकेलापन उसे ‘सेल्फ-मेड’ (Self-made) इंसान बनाता है। दुनिया के कई सफल उद्योगपतियों, नेताओं और कलाकारों की कुंडली में केमद्रुम दोष देखा गया है। जब व्यक्ति को पता चलता है कि उसका कोई सहारा नहीं है, तो वह अपनी आंतरिक शक्ति को जगाता है और संघर्ष करके बहुत ऊंचे मुकाम पर पहुंचता है। यह दोष व्यक्ति को दीर्घायु और जुझारू बनाता है। अगर कुंडली में कोई शुभ ग्रह केंद्र में हो या चंद्रमा पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो यह दोष ‘केमद्रुम भंग’ राजयोग में बदल जाता है, जो व्यक्ति को बहुत कीर्ति और सम्मान दिलाता है। इसलिए, इसे सिर्फ गरीबी या दुर्भाग्य का सूचक मानना गलत होगा; यह एक कठिन परीक्षा है जो व्यक्ति को सोने की तरह तपाकर कुंदन बनाती है।
अंत में, अगर हम इसके उपायों की बात करें, तो केमद्रुम दोष का सबसे बड़ा और शक्तिशाली उपाय भगवान शिव की आराधना है। चूंकि शिव जी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया है, इसलिए उनकी शरण में जाने से चंद्रमा के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को सोमवार का व्रत रखना चाहिए और शिवलिंग पर नियमित रूप से जल या दूध चढ़ाना चाहिए। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के दर्शन करना और चांदनी रात में कुछ देर बैठना इनके मन को बहुत शांति देता है। इसके अलावा, ऐसे लोगों को घर में अकेले रहने से बचना चाहिए और अपनी माता की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि माता ही चंद्रमा का जीवित रूप हैं। चांदी का चौकोर टुकड़ा या मोती धारण करना (किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह पर) भी मन को स्थिरता प्रदान करता है। याद रखें, केमद्रुम दोष अंत नहीं है, बल्कि यह जीवन को आत्मनिर्भरता (Self-reliance) के साथ जीने का एक कड़ा पाठ है।
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