लेखक- हरेन्द्र सिंह (गिनीज बुक रिकार्ड धारक) via NCI
Navgrah Shani Mandir Ujjain : मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी और महाकाल की नगरी उज्जैन में, मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित त्रिवेणी घाट का एक अपना ही विशेष आध्यात्मिक महत्व है। इसी पवित्र घाट के पास स्थित है ‘नवग्रह शनि मंदिर’, जो न केवल उज्जैन बल्कि पूरे भारत में ज्योतिषीय महत्व और शनि दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है। त्रिवेणी घाट वह स्थान है जहाँ तीन पवित्र नदियों क्षिप्रा, कान्ह और गुप्त सरस्वती का संगम माना जाता है, और शास्त्रों में संगम पर स्नान और दान का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। इसी संगम के ठीक सामने स्थित नवग्रह मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़, विशेषकर शनिवार और शनिश्चरी अमावस्या के दिन, इस बात का प्रमाण है कि लोगों की इस स्थान पर कितनी गहरी आस्था है। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शनिदेव को समर्पित है, जिन्हें न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है, लेकिन यहाँ अन्य ग्रहों की भी स्थापना है, इसलिए इसे नवग्रह मंदिर कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस मंदिर का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि उज्जैन को काल गणना का केंद्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैया या शनि का कोई अन्य दोष चल रहा हो, वे यहाँ आकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं तो उन्हें मानसिक शांति और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मंदिर में प्रवेश करते ही आपको एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव होता है। यहाँ भक्तजन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल, काले तिल, काले कपड़े, लोहे की कील और काली उड़द चढ़ाते हैं। एक पुरानी मान्यता यह भी है कि लोग अपने पहने हुए जूते-चप्पल या कपड़े यहाँ छोड़कर जाते हैं, जिसका प्रतीकात्मक अर्थ यह होता है कि वे अपनी दरिद्रता और दुर्भाग्य को वहीं छोड़कर जा रहे हैं और नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं। यहाँ होने वाली ‘तेल अभिषेक’ की प्रक्रिया देखना अपने आप में एक अद्भुत दृश्य होता है, जहाँ भक्त कतारों में लगकर भगवान शनि का तेल से अभिषेक करते हैं।
इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि यह शहर के शोर-शराबे से थोड़ी दूर, इंदौर-उज्जैन रोड पर स्थित है, जिससे यहाँ का वातावरण काफी शांत और भक्तिमय रहता है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन यहाँ का नज़ारा कुंभ मेले जैसा होता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं और फिर गीले वस्त्रों में ही मंदिर में जाकर शनिदेव के दर्शन करते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि चूँकि यह स्थान तीन नदियों का संगम है और उज्जैन मंगल और शनि के प्रभाव क्षेत्र में आता है, इसलिए यहाँ की गई पूजा का फल बहुत शीघ्र मिलता है। यहाँ केवल डर के कारण पूजा नहीं की जाती, बल्कि लोग शनिदेव को एक न्यायप्रिय देवता के रूप में पूजते हैं जो अच्छे कर्म करने वालों को रंक से राजा बनाने की क्षमता रखते हैं। मंदिर परिसर में लिंग स्वरूप नवग्रहों के अलावा भगवान शिव, गणेश जी और हनुमान जी के भी दर्शन होते हैं, क्योंकि मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने वालों को शनिदेव कभी परेशान नहीं करते। कुल मिलाकर, त्रिवेणी घाट का यह नवग्रह शनि मंदिर आस्था, ज्योतिष और मन की शांति का एक अद्भुत केंद्र है, जहाँ आकर मनुष्य अपने जीवन की परेशानियों का हल खोजने का प्रयास करता है।
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