Maa Dhumavati Mantra : विध्वंस मच जाएगा।

By NCI
On: October 14, 2025 3:16 PM
maa dhumavati

मां धूमावती (Maa Dhumavati) — दस महाविद्याओं में से एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। माँ धूमावती को विधवा स्वरूपा कहा गया है और इनका स्वरूप साधकों को माया के पार ले जाकर वास्तविक सत्य का बोध कराता है। देवी का रूप गंभीर, प्रचंड और तामसिक ऊर्जा का प्रतीक है, लेकिन इसी तामसिक रूप में छिपा है दिव्यता का वह अद्भुत स्वरूप जो साधक को न केवल सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है, बल्कि धन, समृद्धि और दीर्घायु जैसी वरदान स्वरूप शक्तियां भी प्रदान करता है।

धूमावती देवी का आविर्भाव उस समय हुआ जब सृष्टि में अज्ञान, भय और मोह अपने चरम पर था। वे समय, शून्य और मृत्यु की भी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। उनका वाहन कौआ (जो ज्ञान और मृत्यु का प्रतीक है) और उनका स्वरूप वृद्धा का है — जो यह दर्शाता है कि वे माया से परे अनंत चेतना का रूप हैं। ऐसा माना जाता है कि जो साधक पूरे समर्पण और श्रद्धा से उनका तांत्रिक मंत्र साधन करता है, उसे जीवन में असीम स्थिरता, दीर्घायु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

तंत्र में मां धूमावती की साधना अत्यंत गोपनीय और प्रभावशाली मानी जाती है। सामान्य भक्ति के विपरीत, तांत्रिक उपासना साधक को ऊर्जाओं के गहरे स्तर तक पहुंचाती है। तांत्रिक मंत्रों के उच्चारण से ब्रह्मांडीय शक्तियां सक्रिय होती हैं, जो व्यक्ति के जीवन में रुकावटें दूर कर समृद्धि का मार्ग खोलती हैं। धूमावती साधना से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है, ग्रहदोषों का प्रभाव कम होता है और साधक को अदृश्य शक्तियों से रक्षा मिलती है। धूमावती की कृपा से साधक न केवल दीर्घायु और धन प्राप्त करता है, बल्कि जीवन के गहरे रहस्यों को समझने की आध्यात्मिक दृष्टि भी विकसित होती है। इसलिए यह साधना केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और पूर्णता के मार्ग की भी एक महत्वपूर्ण सीढ़ी है।

मंत्र- धूँ धूँ धूमावती ठः ठः।

विधि – इस अनुष्ठान में सबसे पहले निश्चय करें कि आपका मन निर्मल और संकल्प दृढ़ हो। मंत्र का सम्यक् जप एक लाख बार करना अनिवार्य माना जाता है — रोज नियमित बैठकर, ध्यानपूर्वक और निष्ठा से जप करें। जप के दौरान श्वास-प्रश्वास स्थिर रखें, मन को एकाग्र करके माता धूमावती की भयंकर और रक्षक रूप की स्मृति में लीन हो जाएँ। यदि संभव हो तो जप माला का उपयोग करें और हर माला के बाद स्वयं का संकल्प दोहराएँ ताकि कुल गिनती में त्रुटि न रहे।

एक लाख जप पूर्ण होने के बाद दशांश हवन करना चाहिए — अर्थात् total सामग्री का एक-दसवाँ हिस्सा हवन में अर्पित करें। हवन में विशेष रूप से काला तिल प्रमुख है; काले तिल को अग्नि में समर्पित करने से नकारात्मक प्रभावों का नाश और बाधाओं का निवारण होता है। हवन करते समय वैदिक/तांत्रिक विधि के अनुसार अग्नि पूजन करें, देवता समिधा, तिल, गंध और यदि परम्परा में निर्दिष्ट हो तो अन्य सामग्री डालें।

इस अनुष्ठान का उद्देश्य केवल भौतिक लाभ नहीं, बल्कि आत्मरक्षा और आध्यात्मिक सशक्तिकरण भी है। इसे किया जाने पर परंपरा के अनुसार शत्रु पर विजय, धन—लक्ष्मी की प्राप्ति, संतान सुख तथा शारीरिक स्वास्थ्य व दीर्घायु की कृपा मिलती है। अनुष्ठान करते समय अनुशासन, सात्विक आहार, और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। यदि संभव हो तो अनुभवी गुरु या पंडित की मार्गदर्शना में ही यह अनुष्ठान करें ताकि विधि शुद्ध रहे और फल अधिक स्पष्ट रूप से प्राप्त हों। लेकिन बिना योग्य गुरु के ये साधना मत कीजिए और मान्यता है की ये साधन घर मे नहीं करना चाहिए ।

 

Also Read- Tripur Bhairavi sadhana : लक्ष्मी प्राप्ति का अचूक उपाय!

 

 

डिस्क्लेमर
इस वेबसाइट पर प्रकाशित सभी धार्मिक, तंत्र-मंत्र और ज्योतिष संबंधी सामग्री केवल शैक्षिक एवं जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। इसे आस्था और परंपरा के रूप में देखा जाए, वैज्ञानिक या चिकित्सीय सत्यापन के रूप में नहीं। यहाँ दी गई जानकारी मान्यताओं और परंपरागत स्रोतों पर आधारित है। ambebharti.page किसी भी जानकारी या मान्यता की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल धार्मिक ज्ञान और संस्कृति का प्रसार करना है, न कि किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करना या अंधविश्वास फैलाना। किसी भी जानकारी या उपाय को अमल में लाने से पहले संबंधित योग्य विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। यहाँ दी गई जानकारी के प्रयोग से होने वाले किसी भी परिणाम की जिम्मेदारी पाठक की स्वयं की होगी।

NCI

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now
error: Content is protected !!