हिन्दू तंत्र साधना में मातृ शक्तियों का विशेष स्थान है, और उन्हीं में से एक अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी देवी हैं — त्रिपुर भैरवी (Tripur Bhairavi)। इन्हें दस महाविद्याओं में स्थान प्राप्त है और ये शक्ति, जागरण, साहस और सिद्धि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। ‘त्रिपुर’ का अर्थ है — तीन लोक (भूत, भविष्य और वर्तमान), और ‘भैरवी’ का अर्थ है — वह जो सभी प्रकार के भय और अवरोध को नष्ट कर दे। इसलिए त्रिपुर भैरवी वह दिव्य शक्ति हैं जो साधक को जीवन के तीनों आयामों पर विजय दिलाने की सामर्थ्य प्रदान करती हैं।
त्रिपुर भैरवी को “शक्ति का प्रज्वलित रूप” भी कहा जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और जाग्रत है, जो नकारात्मक ऊर्जा, रोग, शत्रु और दरिद्रता का नाश करने में सक्षम माना जाता है। तंत्र शास्त्रों के अनुसार इनकी उपासना से न केवल दीर्घायु जीवन प्राप्त होता है बल्कि साधक के जीवन में स्थिर लक्ष्मी का वास होता है। भैरवी साधना व्यक्ति को निर्भीक, आत्मबल से परिपूर्ण और कर्मयोगी बनाती है। यह साधना सांसारिक समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करती है।
त्रिपुर भैरवी के तांत्रिक मंत्रों का प्रभाव बहुत प्रबल माना जाता है, इसलिए इसे केवल शुद्ध भाव, एकाग्रता और नियमों का पालन करते हुए ही किया जाता है। विशेष रूप से दीर्घायु की प्राप्ति, आरोग्य, दरिद्रता का नाश और अचल लक्ष्मी के स्थायित्व के लिए इस साधना की अनुशंसा की गई है। भैरवी साधना साधक के भीतर छिपी सुप्त शक्तियों को जागृत कर जीवन में तेज, बल, धन और यश का संचार करती है।
मंत्र- ह सैं ह स क रीं ह सैं ।
विधि –
इस मंत्र की सिद्धि के लिए पारंपरिक तांत्रिक ग्रंथों में बताया गया है कि साधक को कुल 10 लाख बार जाप करना चाहिए। यह संख्या साधना की पूर्णता और दिव्य ऊर्जा के संचार का प्रतीक मानी जाती है। जाप की शुरुआत से पहले साधक को गुरु अनुमोदन या विधिवत संकल्प लेकर साधना प्रारंभ करनी चाहिए। नियमित रूप से निश्चित समय और पवित्र स्थान पर मंत्र का जाप करने से साधना में स्थिरता और शक्ति बढ़ती है।
जब 10 लाख मंत्र जाप पूर्ण हो जाता है, तब दशांश हवन किया जाता है — अर्थात जितने मंत्र जपे गए उसका दसवां भाग (1 लाख बार) हवन में आहुति के रूप में अर्पित किया जाता है। इस हवन के लिए शुद्ध घी, लकड़ी, हवन सामग्री और विशेष भैरवी बीज मंत्र से सिद्ध द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है। यज्ञ के दौरान साधक अपनी साधना से उत्पन्न ऊर्जा को ब्रह्मांड में समर्पित करता है, जिससे साधना पूर्ण फल प्रदान करती है।
इस मंत्र साधना का प्रभाव अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली माना जाता है। इसका नियमित और शुद्ध अभ्यास साधक को दीर्घायु जीवन, निरोगी काया और महालक्ष्मी की स्थायी कृपा प्रदान करता है। जीवन में आने वाले अकाल मृत्यु के भय, आर्थिक संकट, रोग और बाधाएं दूर होने लगती हैं। साधक में अद्भुत तेज, आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति का संचार होता है। कहा गया है कि भैरवी साधना न केवल भौतिक समृद्धि देती है, बल्कि साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर भी अग्रसर करती है, जिससे उसका जीवन पूर्ण, सफल और दिव्य बन जाता है।
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