चीन की अर्थव्यवस्था में बड़ा संकट: विदेशी निवेशकों का पलायन!

चीन की गिरती अर्थव्यवस्था ने विदेशी निवेशकों को चिंतित कर दिया है। रिकॉर्ड धन निकासी से चीन की स्थिति और भी गंभीर हो रही है। निवेशक अब अन्य देशों की ओर देख रहे हैं।

चीन की अर्थव्यवस्था में बड़ा संकट: विदेशी निवेशकों का पलायन!

चीन, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जिसे दुनिया की “फैक्ट्री” भी कहा जाता है, अब विदेशी निवेशकों के विश्वास में कमी का सामना कर रहा है। दुनिया भर के बड़े-बड़े ब्रांड्स अपने उत्पादों का उत्पादन चीन में कराते हैं, लेकिन हाल ही में विदेशी निवेशक चीन से दूरी बनाते दिख रहे हैं। इसकी मुख्य वजह चीन की आर्थिक स्थिति है, जिसने निवेशकों के बीच चिंता को बढ़ा दिया है। कोविड-19 के बाद दुनिया को यह एहसास हुआ कि उन्हें चीन के अलावा भी दूसरे देशों में निवेश के अवसरों को तलाशना चाहिए, ताकि भविष्य में मांग और आपूर्ति में बड़ा गैप न हो जैसा कोरोना काल के दौरान देखा गया था।

दरअसल, जून तिमाही के दौरान विदेशी निवेशकों ने चीन से रिकॉर्ड मात्रा में पैसों की निकासी की है। इस तिमाही में चीन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) में 15 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई है। विदेशी निवेशकों ने जून तिमाही के दौरान चीन से 71 अरब डॉलर की निकासी की है, जो वार्षिक आधार पर 80 फीसदी से भी ज्यादा है। इससे पहले, 2021 में चीन में रिकॉर्ड 344 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था, लेकिन इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन ने भी विदेशी कार कंपनियों को चौंका दिया है, जिससे कुछ कंपनियों को अपने निवेश को वापस लेने या कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके बावजूद, चीन विदेशी निवेश को आकर्षित करने और बनाए रखने के प्रयासों को बढ़ा रहा है। शी जिनपिंग की सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि चीन अभी भी विदेशी व्यापार के लिए एक आकर्षक जगह है और वह उम्मीद कर रही है कि कंपनियां अपने साथ आधुनिक तकनीकों को चीन लाएंगी।

विकसित देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ा रहे हैं, जबकि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उन्हें कम कर रहा है। इस बीच, चीन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2020 में कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि पहले जिन निवेशकों के लिए चीन निवेश का एक बेहतरीन विकल्प था, वह अब कहीं न कहीं अपना भरोसा खोते जा रहे हैं और उन्हें निवेश के लिए दूसरे देशों में भी अवसर दिखाई दे रहे हैं।

अगर यह स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो इससे चीन की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर पड़ सकता है। विदेशी निवेशकों के चीन से हटने की वजह से चीन के व्यापार में भी गड़बड़ियां बढ़ रही हैं, जिससे उसके ट्रेड सरप्लस (Trade Surplus) में भी समस्याएं आ रही हैं।

कुल मिलाकर, चीन की वर्तमान आर्थिक स्थिति और विदेशी निवेशकों की उससे दूरी की वजह से यह कहना कठिन है कि आगे क्या होगा, लेकिन यह जरूर है कि अगर यही स्थिति जारी रही तो चीन की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

“विनाशकाले विपरीत बुद्धिः, वित्तः त्यज्यते समृद्ध्यः।
विदेशे निवेशकाः त्यजन्ति, चीनस्य अर्थव्यवस्था क्षीयते॥”

विनाश के समय विपरीत बुद्धि उत्पन्न होती है, धन और समृद्धि का परित्याग होता है। विदेशी निवेशक चीन से दूरी बना रहे हैं, और उसकी अर्थव्यवस्था क्षीण हो रही है। इस श्लोक में उस स्थिति का वर्णन किया गया है, जब विपरीत परिस्थिति आने पर बुद्धिमत्ता का अभाव हो जाता है, और लोग अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए उसे छोड़ देते हैं। इसी प्रकार, चीन की आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर विदेशी निवेशक अपने निवेश को वापस ले रहे हैं, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।