जब महाराज जी ने योग सिद्ध को देखा!

By NCI
On: October 2, 2025 11:59 AM

श्री राजेंद्र दास जी महाराज के जीवन में कई चमत्कारी घटनाएँ घटी हैं, जिनमें से एक घटना अत्यंत प्रेरणादायक और अद्भुत है। यह घटना उस समय की है जब पूज्य गुरुदेव भक्त माली जी ने अपने शिष्य राघवेंद्र दास जी को उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए गांव में विश्राम करने भेजा। गांव में कुलदेवी की पूजा होनी थी और महाराज जी को वहां दो दिन बिताने का आदेश मिला। इसी दौरान एक दिन दोपहर में, जब गर्मी के मौसम में महाराज जी आराम कर रहे थे, तभी अचानक पूज्य पहाड़ी बाबा महाराज की आवाज सुनाई दी। यह आवाज इतनी स्पष्ट थी कि उन्होंने तुरंत ध्यान दिया और देखा कि महाराज जी उनके सामने खड़े हैं।

महाराज जी के इस प्रकट होने में सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि उनके चरण पृथ्वी से ऊपर थे। उनके शरीर पर केवल लंगोटी थी और उनके हाथ में एक कमंडल। उन्होंने राघवेंद्र दास जी को गृहस्थ जीवन में अधिक समय न बिताने की सलाह दी और वैराग्य का पालन करते हुए वृंदावन लौटने का आदेश दिया। यह दृश्य इतना वास्तविक था कि इसे स्वप्न समझना कठिन था। महाराज जी के दर्शन के बाद, राघवेंद्र दास जी ने तुरंत वृंदावन जाने का निश्चय किया। उनकी यह मानसिक स्थिति इतनी प्रबल हो गई कि उन्होंने बिना किसी वाहन के पैदल जाने की तैयारी कर ली।

वृंदावन पहुंचने के बाद राघवेंद्र दास जी ने सबसे पहले पूज्य गुरुदेव भक्त माली जी को इस घटना के बारे में बताया। गुरुदेव ने इसे योगियों की अद्भुत शक्ति का प्रमाण बताया और इस घटना के पीछे महाराज जी के गहरे प्रेम और संरक्षण की बात की। गुरुदेव ने यह भी कहा कि ऐसे योग सिद्ध संत दुर्लभ होते हैं, जो अपनी सूक्ष्म देह से कहीं भी गमन कर सकते हैं। उन्होंने राघवेंद्र दास जी को भजन-कीर्तन और साधना पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

इस घटना ने राघवेंद्र दास जी के जीवन में गहरा प्रभाव डाला। वे पहले से अधिक वैराग्यपूर्ण और साधनापरक हो गए। महाराज जी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि गृहस्थ जीवन के चकाचौंध में फंसने से साधु का ज्ञान और वैराग्य प्रभावित होता है। यह शिक्षा केवल राघवेंद्र दास जी के लिए नहीं, बल्कि उन सभी साधकों के लिए है जो आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर हैं।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सच्चे योगी अपनी साधना और सिद्धियों के माध्यम से अनुयायियों को सही मार्ग दिखाने के लिए किसी भी स्थिति में प्रकट हो सकते हैं। श्री महाराज जी के जीवन की यह घटना उनकी योग साधना और दिव्यता का जीवंत प्रमाण है। यह न केवल उनकी शक्ति को दर्शाती है, बल्कि उनके अनुयायियों को सच्चे ज्ञान और भक्ति की ओर प्रेरित करती है।

इस तरह की चमत्कारी घटनाएँ यह बताती हैं कि सच्चे संतों का आशीर्वाद और मार्गदर्शन किस प्रकार हमारे जीवन को नई दिशा दे सकता है। योग सिद्ध महात्मा अपने अनुयायियों के लिए प्रेरणा और सहारा होते हैं, और उनकी उपस्थिति मात्र ही जीवन को सरल और सार्थक बना सकती है। इस घटना को सुनने और समझने से यह भी स्पष्ट होता है कि संतों का जीवन कितना गूढ़ और रहस्यमय होता है।

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