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20 Years in Prison? |
हाल ही में अमेरिका में एक नए बिल को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है, जिसका सीधा संबंध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से है। यह बिल, जिसे जनवरी 2025 के आखिरी सप्ताह में पेश किया गया था, चीन में विकसित हो रही AI तकनीक में अमेरिकी लोगों की भागीदारी को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से बनाया गया है। इस बिल के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति या कंपनी चीन में AI विकास में योगदान देता है या वहां से तकनीकी जानकारी लाता है, तो उसे 20 साल तक की जेल और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह बिल अभी शुरुआती चरण में ही है और इसकी सफलता को लेकर संदेह बना हुआ है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अमेरिकी सरकार और कानून निर्माता चीन की AI क्षमताओं को लेकर कितने सतर्क हैं।
इस पूरे मामले की जड़ में एक चीनी AI कंपनी "DeepSeek" है, जिसने हाल ही में तकनीकी दुनिया में हलचल मचा दी है। DeepSeek ने अपने नए AI मॉडल "R1" को जनवरी 2025 में लॉन्च किया, जिसे बेहद उन्नत और कुशल बताया जा रहा है। यह मॉडल अन्य बड़े AI मॉडल्स की तुलना में कम संसाधनों (resources) के साथ उच्च प्रदर्शन करने में सक्षम है। इस कारण से अमेरिकी तकनीकी और वित्तीय बाजार में हलचल मच गई है। निवेशक और विश्लेषक यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या मौजूदा AI कंपनियों की बाजार में कीमत (valuation) जायज है, खासकर तब जब कम लागत में अधिक प्रभावी विकल्प सामने आ रहे हैं।
इस बीच, अमेरिका में कई प्रमुख राजनेता, जैसे कि सीनेटर जोश हॉली और एलिजाबेथ वॉरेन, यह तर्क दे रहे हैं कि चीन की AI प्रगति अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। वे अमेरिकी सरकार से इस पर सख्त नियंत्रण लगाने की मांग कर रहे हैं, खासकर उच्च-प्रदर्शन वाले चिप्स (high-performance chips) की चीन को बिक्री पर रोक लगाने को लेकर। Nvidia जैसी प्रमुख अमेरिकी कंपनियां इन चिप्स का निर्माण करती हैं, जो AI तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन चिप्स की चीन को बिक्री रोकने से वहां की AI प्रगति को धीमा किया जा सकता है, जिससे अमेरिका को तकनीकी बढ़त (technological edge) बनाए रखने में मदद मिलेगी।
DeepSeek की बढ़ती लोकप्रियता और इसकी क्षमताओं को लेकर एक और बड़ा विवाद सामने आया है, जो इसके सुरक्षा मानकों (security measures) से जुड़ा है। अमेरिका की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और सिस्को (Cisco) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि DeepSeek का AI मॉडल R1 साइबर अपराध, गलत जानकारी (misinformation), और अन्य हानिकारक (harmful) गतिविधियों से जुड़ी सामग्री को फिल्टर करने में विफल रहा है। यह परीक्षण HarmBench डेटा सेट पर किया गया, जिसमें AI मॉडल को 5050 हानिकारक संकेत (prompts) दिए गए थे। अन्य बड़े AI मॉडल्स की तुलना में, DeepSeek ने इनमें से किसी भी हानिकारक संकेत को ब्लॉक नहीं किया। यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इसका मतलब यह है कि कोई भी आसानी से इस मॉडल का दुरुपयोग कर सकता है, चाहे वह साइबर अपराध हो, झूठी खबरें फैलाना हो, या फिर अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए इसका उपयोग करना हो।
इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि DeepSeek का डेटा सुरक्षा (data security) भी कमजोर पाया गया है। क्लाउड सिक्योरिटी कंपनी Wiz ने DeepSeek के सर्वर पर एक विशाल असुरक्षित डेटाबेस की खोज की, जिसमें बिना एन्क्रिप्शन (encryption) के संवेदनशील डेटा मौजूद था। इसमें चैट हिस्ट्री और उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी भी शामिल थी। इस खुलासे ने DeepSeek की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
DeepSeek की कार्यप्रणाली और इसकी संरचना को समझना भी जरूरी है। इस कंपनी की स्थापना मई 2023 में चीन के हांग्जो में हुई थी। इसके संस्थापक लियांग वोंग (Liang Wong) हैं, जो पहले एक वित्तीय कंपनी "HighFlyer" से जुड़े थे। DeepSeek और HighFlyer के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जिससे DeepSeek को वित्तीय सहयोग मिलता है। हालांकि, DeepSeek खुद को एक स्वतंत्र AI शोध संस्थान के रूप में प्रस्तुत करता है। कंपनी का मुख्य उद्देश्य AGI (Artificial General Intelligence) को विकसित करना है, यानी ऐसी AI बनाना जो किसी भी कार्य को इंसानों की तरह सोचकर कर सके।
DeepSeek ने अपने AI मॉडल को प्रशिक्षित (train) करने के लिए एक अलग रणनीति अपनाई है। OpenAI जैसी बड़ी कंपनियों की तुलना में, इसने अपने AI मॉडल पर कम संसाधन खर्च किए हैं, लेकिन फिर भी यह प्रतिस्पर्धी बना हुआ है। इसका R1 मॉडल "रीइन्फोर्समेंट लर्निंग" (Reinforcement Learning) का उपयोग करता है, जिससे यह अधिक जटिल कार्यों को करने में सक्षम हो जाता है। इसके अलावा, इसने "रिवॉर्ड इंजीनियरिंग" (Reward Engineering) नाम की तकनीक विकसित की है, जिससे AI को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। इस मॉडल में "डिस्टिलेशन" (Distillation) प्रक्रिया का भी उपयोग किया गया है, जिससे इसके पैरामीटर (parameters) सिर्फ 1.5 बिलियन तक सीमित रहते हैं, जबकि इसकी क्षमता उच्च स्तर की बनी रहती है।
DeepSeek का "इमर्जेंट बिहेवियर नेटवर्क" (Emergent Behavior Network) भी एक अनोखी खोज है, जो यह दिखाता है कि AI मॉडल बिना किसी स्पष्ट प्रोग्रामिंग के खुद-ब-खुद उन्नत तर्क करने की क्षमता विकसित कर सकता है। इसका मतलब यह है कि DeepSeek धीरे-धीरे ऐसी AI बनाने की दिशा में बढ़ रहा है, जो इंसानों की तरह सोच सके।
हालांकि, इन सारी तकनीकी सफलताओं के बावजूद, DeepSeek की सुरक्षा खामियां इसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही हैं। यही कारण है कि अमेरिकी सरकार इसे लेकर सतर्क है और यह तय करने की कोशिश कर रही है कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाए।
इस बीच, Nvidia के CEO जेनसन हुआंग (Jensen Huang) ने हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई, जब Nvidia को शेयर बाजार में बड़ा नुकसान हुआ था। हालांकि, उनकी बातचीत के विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यह अमेरिकी टेक्नोलॉजी को मजबूत करने और AI में अमेरिका की स्थिति को सुरक्षित रखने को लेकर थी।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या अमेरिका वाकई DeepSeek पर प्रतिबंध लगाएगा? क्या यह बिल कानून बन पाएगा? क्या DeepSeek सच में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है या फिर अमेरिकी AI कंपनियों को बचाने का एक तरीका? यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह मामला किस दिशा में जाता है। लेकिन इतना तो तय है कि AI की दुनिया में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है और आने वाले वर्षों में यह और भी रोचक होने वाली है।