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Train Hijacked in Pakistan |
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) से जुड़े विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर बड़ा हमला किया और उसे हाईजैक कर लिया। यह हमला एक गहरी साजिश और लंबे समय से चल रहे संघर्ष का नतीजा माना जा रहा है। जाफर एक्सप्रेस, जो कोएटा से पेशावर तक जाती है, इस हमले का निशाना बनी। ट्रेन जैसे ही बलूचिस्तान के बोलन पास इलाके में एक सुरंग से बाहर निकली, वैसे ही एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ, जिससे ट्रेन की पटरियां क्षतिग्रस्त हो गईं और पूरी ट्रेन रुक गई। इसके तुरंत बाद हथियारबंद विद्रोहियों ने ट्रेन को घेर लिया और गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में पाकिस्तान सेना के कई जवान मारे गए, जबकि यात्रियों को बंधक बना लिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के माजिद ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है और दावा किया है कि उन्होंने 214 यात्रियों को बंधक बना लिया है, जिनमें से अधिकांश पाकिस्तानी सेना, अर्धसैनिक बलों और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी हैं।
बलूच विद्रोहियों ने इस हाईजैक के दौरान महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने अब तक 101 यात्रियों को बचा लिया है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इससे यह सवाल उठता है कि अगर विद्रोहियों ने महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया था, तो फिर पाकिस्तानी सेना द्वारा बचाए गए लोग कौन हैं? इस मुद्दे पर पाकिस्तान और विद्रोहियों के बयानों में भारी विरोधाभास देखने को मिल रहा है। इस हमले को लेकर बलूच विद्रोहियों का कहना है कि वे लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के दमनकारी रवैये का शिकार हो रहे हैं और उनके राजनीतिक कैदियों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गायब किया जा रहा है। उनका मुख्य उद्देश्य इन राजनीतिक कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करना है। विद्रोहियों ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तो बंधकों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
बलूचिस्तान का संघर्ष नया नहीं है। 1948 में जब पाकिस्तान बना, तब बलूचिस्तान एक स्वतंत्र राज्य था। लेकिन ब्रिटिश सरकार और पाकिस्तान की साजिश के तहत इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। बलूच लोगों का कहना है कि पाकिस्तान ने हमेशा से उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक समझा है और उनके प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और यहां भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस, कोयला और अन्य खनिज पाए जाते हैं, लेकिन यहां की जनता गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रही है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) परियोजना के कारण यह संघर्ष और भी तेज हो गया है। बलूच विद्रोही मानते हैं कि पाकिस्तान सरकार ने उनकी जमीनें चीन को बेच दी हैं और स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। चीन के नागरिकों और निवेशों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं ताकि इस परियोजना को रोका जा सके।
बलूचिस्तान में विद्रोह के पीछे मुख्य रूप से बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी (BRA) जैसी अलगाववादी ताकतें हैं, जो स्वतंत्रता की मांग कर रही हैं। हाल ही में एक नया संगठन BRAS भी उभरा है, जिसने खुले तौर पर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की घोषणा की है। 2021 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ा, तो तालिबान और अन्य उग्रवादी गुटों को भारी मात्रा में हथियार मिले। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये हथियार बलूच विद्रोहियों तक भी पहुंचे हैं, जिससे उनका सैन्यबल काफी मजबूत हो गया है।
इस हमले के बाद पाकिस्तान सरकार पर भारी दबाव है। पाकिस्तानी सेना ने हवाई और जमीनी हमले शुरू कर दिए हैं और कमांडो ऑपरेशन चलाकर बंधकों को छुड़ाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, बलूच विद्रोहियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई सैन्य कार्रवाई की गई, तो वे सभी बंधकों को मार देंगे। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए बहुत गंभीर हो चुकी है।
बलूचिस्तान की स्थिति एक सिविल वॉर (गृहयुद्ध) जैसी बन गई है। यहां के लोग पाकिस्तान सरकार को अपना शत्रु मानते हैं और सरकार की हर नीति के खिलाफ हैं। पाकिस्तान की सरकार बलूच लोगों को आतंकवादी बताकर उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश करती रही है, लेकिन इस तरह के हमलों से यह साफ है कि बलूच आंदोलन अब और उग्र होता जा रहा है। पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत होने के बावजूद बलूचिस्तान के लोग खुद को पाकिस्तान में अजनबी महसूस करते हैं। बलूच लोगों का कहना है कि पंजाबियों को हर सरकारी पद और अवसरों में प्राथमिकता दी जाती है, जबकि बलूच लोग बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे हैं।
पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति भी इस संकट को और गहरा बना रही है। देश की अर्थव्यवस्था पहले ही चरमराई हुई है, महंगाई चरम पर है और सेना तथा नागरिक सरकार के बीच सत्ता संघर्ष जारी है। ऐसे में बलूचिस्तान की स्थिति पाकिस्तान के लिए और अधिक परेशानी खड़ी कर सकती है। चीन भी इस स्थिति को लेकर चिंतित है क्योंकि CPEC में उसने अरबों डॉलर का निवेश किया है। अगर बलूच विद्रोही इस तरह के हमलों को जारी रखते हैं, तो चीन को अपने निवेश की सुरक्षा को लेकर दोबारा विचार करना पड़ सकता है।
यह हमला इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान समस्या अब नियंत्रण से बाहर हो रही है। अगर पाकिस्तान सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है। पाकिस्तान के पास अब दो ही रास्ते बचे हैं—या तो वह बलूच लोगों के साथ बातचीत कर उनकी मांगों को समझे और समाधान निकाले, या फिर बलपूर्वक दमन जारी रखे, जिससे संघर्ष और बढ़ेगा। बलूचिस्तान का यह विद्रोह पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है और आने वाले दिनों में यह देश के लिए और भी मुसीबतें खड़ी कर सकता है।