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PM Modi’s ‘Mahasagar’ Strategy |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मॉरिशस की यात्रा के दौरान 'महासागर' नामक एक नई नीति की घोषणा की, जिसका उद्देश्य वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों को सशक्त बनाना है। यह पहल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की विदेश नीति और हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक दृष्टिकोण का एक प्रमुख हिस्सा है। 'महासागर' यानी Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions, एक ऐसी नीति है जो न केवल आर्थिक विकास बल्कि सुरक्षा और स्थिरता को भी केंद्र में रखती है।
मॉरिशस में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी को मॉरिशस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया, जो भारत और मॉरिशस के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करता है। भारत इस क्षेत्र में लंबे समय से एक विश्वसनीय साझेदार रहा है, और महासागर पहल के माध्यम से यह संबंध और भी गहरा होगा। यह पहल मुख्य रूप से तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है – व्यापार और आर्थिक सहयोग, क्षमता निर्माण और पारस्परिक सुरक्षा। भारत, महासागर पहल के माध्यम से वैश्विक दक्षिण के देशों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है, जिससे वे सामूहिक रूप से आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सकें।
महासागर नीति की मुख्य विशेषता यह है कि यह चाइना के बढ़ते प्रभाव का एक रणनीतिक जवाब है। चीन, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, जिससे कई देश कर्ज जाल (Debt Trap) में फंस गए हैं। भारत की महासागर नीति इस प्रवृत्ति को संतुलित करने की कोशिश कर रही है। भारत यह संदेश देना चाहता है कि विकासशील देशों को आर्थिक सहायता इस तरह मिलनी चाहिए कि वे आत्मनिर्भर बन सकें, न कि आर्थिक रूप से निर्भर हो जाएं। इसी उद्देश्य से भारत रुपी डिनोमिनेटेड लाइन ऑफ क्रेडिट भी दे रहा है, जिससे देशों को भारतीय मुद्रा में कर्ज मिलेगा और वे डॉलर की निर्भरता से बच सकेंगे।
भारत और मॉरिशस के बीच सुरक्षा और सामरिक सहयोग भी इस नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत ने पहले ही मॉरिशस के अगालेगा द्वीप पर एक एयरस्ट्रिप और जेटी का निर्माण किया है, जिससे समुद्री सुरक्षा और निगरानी को मजबूती मिलेगी। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, भारत के लिए यह आवश्यक था कि वह अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करे। महासागर नीति के तहत, भारत मॉरिशस और अन्य छोटे द्वीप देशों को सुरक्षा सहायता, नौसैनिक सहयोग और साझा निगरानी प्रदान करेगा ताकि वे बाहरी खतरों से सुरक्षित रह सकें।
इसके अलावा, महासागर नीति में संवहनीय (Sustainable) विकास और क्षमता निर्माण को भी प्राथमिकता दी गई है। भारत विकासशील देशों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये देश अपनी आर्थिक और तकनीकी क्षमताओं को स्वयं विकसित कर सकें। महासागर नीति के तहत भारत विशेष रूप से अफ्रीकी देशों, लैटिन अमेरिका और छोटे द्वीपीय राष्ट्रों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है, ताकि वे एक सामूहिक मंच के रूप में कार्य कर सकें और अपनी विकास आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
भारत की इस नई नीति का वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में विकासशील देशों की आवाज़ अक्सर दब जाती है। महासागर पहल के तहत भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वैश्विक दक्षिण की आवाज़ भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनी जाए और वे निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बन सकें।
भारत की विदेश नीति में महासागर पहल को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। यह न केवल हिंद महासागर क्षेत्र बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की भूमिका को मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की यह रणनीति भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने और एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में उभरने में मदद कर सकती है।
इस नीति को लेकर भविष्य में क्या परिणाम सामने आएंगे, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना तय है कि महासागर पहल भारत की विदेश नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है और यह आने वाले वर्षों में वैश्विक दक्षिण की आर्थिक और सामरिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है।