Plant These 5 Vegetables in March: ऐसे लगाएं सब्जियां!

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Plant These 5 Vegetables in March

 मार्च का महीना खेती के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है, खासकर उन किसानों के लिए जो गर्मी के सीजन में अच्छी कमाई करना चाहते हैं। इस समय कुछ खास फसलें ऐसी होती हैं जिनकी मांग बाजार में बहुत ज्यादा होती है और सही समय पर इन्हें उगाने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। इस लेख में हम पांच ऐसी सब्जियों के बारे में बात करेंगे, जिन्हें मार्च के महीने में लगाकर किसान शानदार कमाई कर सकते हैं। साथ ही हम यह भी समझेंगे कि इनकी खेती कैसे करें, सही बीजों का चुनाव कैसे करें और बाजार में इनके संभावित भाव कितने हो सकते हैं।

सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण फसल है टमाटर। टमाटर की मांग सालभर बनी रहती है, लेकिन गर्मी के सीजन में इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि गर्मी के दौरान टमाटर का भाव कई गुना बढ़ जाता है। अगर कोई किसान मार्च में टमाटर के पौधों की रोपाई कर देता है, तो अप्रैल-मई-जून के महीनों में जब इसकी मांग चरम पर होती है, तब वह इसे बाजार में बेचकर जबरदस्त मुनाफा कमा सकता है। टमाटर की खेती के लिए पौधों की रोपाई का सही तरीका अपनाना बहुत जरूरी है। दो बेड (raised beds) के बीच की दूरी 5 से 6 फीट रखनी चाहिए और एक बेड पर दो कतारों में पौधे लगाने चाहिए। पौधों के बीच में डेढ़ से दो फीट का अंतर रखना बेहतर उत्पादन के लिए जरूरी है। टमाटर की कुछ बेहतरीन किस्मों में सेमिनस अभिलाष और सी जनता साह 3251 का नाम लिया जाता है, जिन्हें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मौसम के अनुसार लगाया जा सकता है।

दूसरी फसल है गिलकी (ridge gourd)। यह फसल भी गर्मी के दौरान बहुत अच्छा मुनाफा देती है। मार्च के पहले सप्ताह में गिलकी के बीजों की बुवाई की जानी चाहिए ताकि अप्रैल के अंत तक फसल तैयार हो जाए। गिलकी की खेती के लिए नालियों में बीज बोना सबसे अच्छा तरीका होता है। एक नाली से दूसरी नाली की दूरी 4-5 फीट रखनी चाहिए और बीजों के बीच 1 से 1.5 फीट का अंतर होना चाहिए। गिलकी की खेती परंपरागत विधि से करनी चाहिए, जिससे अत्यधिक गर्मी और तेज़ हवाओं से फसल को नुकसान न हो। यदि किसान इस विधि से गिलकी की खेती करते हैं तो वे मानसून के समय तक अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। गिलकी की फसल में अधिक उत्पादन पाने के लिए 3G कटिंग (pruning technique) का उपयोग करना बहुत फायदेमंद साबित होता है।

तीसरी फसल है ग्वारफली (cluster beans)। यह एक कम प्रचलित लेकिन अत्यधिक लाभदायक फसल है। ग्वारफली की खेती कम किसानों द्वारा की जाती है, इसलिए बाजार में इसकी आपूर्ति कम रहती है और इसके दाम काफी अच्छे मिलते हैं। ग्वारफली की कटाई के लिए ज्यादा मज़दूरों की जरूरत होती है, इसलिए अधिकतर किसान इसकी खेती से बचते हैं। लेकिन अगर इसे छोटे स्तर पर उगाया जाए, तो यह बहुत ही लाभदायक साबित हो सकती है। बीजों की बुवाई बेड बनाकर करनी चाहिए, जिसमें दो बेड के बीच की दूरी 2.5 फीट और एक बीज से दूसरे बीज के बीच 1 फीट का अंतर रखना चाहिए। ग्वारफली के लिए नीलम 51 नामक किस्म बहुत अच्छी मानी जाती है। मार्च में बोई गई ग्वारफली मई-जून तक अच्छी कीमतों पर बिकती है और किसान इससे बहुत अच्छी कमाई कर सकते हैं।

चौथी और पांचवीं फसल भिंडी (okra) और धनिया (coriander) हैं। भिंडी गर्मी में बहुत अच्छी पैदावार देती है और इसकी मांग भी अधिक होती है। लेकिन अगर अकेले धनिया की खेती की जाए, तो ज्यादा गर्मी के कारण इसकी फसल खराब हो सकती है। इस समस्या का समाधान यह है कि भिंडी और धनिया की इंटरक्रॉपिंग (intercropping) की जाए, जिससे दोनों फसलें एक-दूसरे की ग्रोथ में मदद कर सकें। भिंडी का पौधा जमीन में नमी बनाए रखता है, जिससे धनिया की ग्रोथ बेहतर होती है। धनिया का बाजार भाव गर्मियों में बहुत अच्छा रहता है, कभी-कभी इसका थोक मंडी भाव 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता है। इसलिए यदि किसान भिंडी और धनिया की इंटरक्रॉपिंग करते हैं, तो उन्हें कम मेहनत में अधिक मुनाफा हो सकता है।

अब सवाल उठता है कि इन पांचों फसलों को सही तरीके से उगाकर अधिक से अधिक मुनाफा कैसे कमाया जाए? इसके लिए एक खास मॉडल अपनाया जा सकता है, जिसे ‘ढाई एकड़ मॉडल’ कहा जा सकता है। इस मॉडल के तहत एक एकड़ जमीन में भिंडी और धनिया की इंटरक्रॉपिंग की जानी चाहिए। इसके बाद आधे एकड़ में टमाटर की खेती, आधे एकड़ में गिलकी की खेती और बचे हुए आधे एकड़ में ग्वारफली और एक बोनस फसल लगानी चाहिए, जो कि ककड़ी (cucumber) हो सकती है। इस मॉडल को अपनाने से किसान को पूरे गर्मी के सीजन में लगातार उत्पादन मिलता रहेगा और वह जून-जुलाई तक अपनी फसलों से लगातार अच्छी कमाई कर सकता है।

इस तरह, यदि किसान इस योजना के तहत मार्च में सही सब्जियों की खेती करते हैं, तो वे गर्मी के सीजन में जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि यह मॉडल कम जोखिम वाला है, क्योंकि इसमें कई अलग-अलग फसलें उगाई जाती हैं। यदि किसी एक फसल में नुकसान भी हो जाए, तो अन्य फसलें उस नुकसान की भरपाई कर सकती हैं। साथ ही, यह मॉडल कम लागत में अधिक उत्पादन और अधिक मुनाफा दिलाने में सक्षम है। किसानों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है कि वे इस योजना को अपनाकर अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकें। अगर आप भी किसान हैं और इस गर्मी में अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो इस रणनीति को अपनाकर सफलता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

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