Microsoft's New Quantum Chip Will Change Everything! नई टेक्नोलॉजी क्रांति!

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Microsoft's New Quantum Chip

 Microsoft ने हाल ही में एक नया क्वांटम चिप लॉन्च किया है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह चिप क्वांटम कंप्यूटिंग की दुनिया में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। अब तक, क्वांटम कंप्यूटर को अधिकतर अस्थिर और त्रुटिपूर्ण (error-prone) माना जाता था, लेकिन Microsoft ने अपनी नई तकनीक के जरिए इसे अधिक विश्वसनीय और व्यावहारिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस चिप को "Majorana 1" नाम दिया गया है, और यह टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स (topological qubits) पर आधारित है, जो त्रुटियों को स्वाभाविक रूप से कम करने में सक्षम हैं। पारंपरिक क्वांटम कंप्यूटर में, क्यूबिट्स (qubits) बहुत ही संवेदनशील होते हैं और हल्की सी बाहरी गड़बड़ी भी उन्हें प्रभावित कर सकती है, जिससे गलतियाँ होती हैं। Google और IBM जैसी कंपनियाँ इस समस्या को हल करने के लिए क्वांटम एरर करेक्शन (quantum error correction) का उपयोग करती हैं, जिसमें कई अतिरिक्त क्यूबिट्स सिर्फ एक क्यूबिट को स्थिर रखने के लिए लगाए जाते हैं। लेकिन Microsoft ने एक नई तकनीक अपनाई है, जिसमें क्यूबिट्स को शुरू से ही अधिक स्थिर बनाया गया है।

Microsoft के टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स की मुख्य विशेषता यह है कि वे बाहरी हस्तक्षेप (interference) से बहुत कम प्रभावित होते हैं। इसका कारण एक विशेष सामग्री है, जिसे कंपनी ने "टोपो कंडक्टर" (topo conductor) नाम दिया है। इस सामग्री की मदद से एक नया क्वांटम स्टेट (quantum state) तैयार किया जाता है, जो क्यूबिट्स को स्वाभाविक रूप से सुरक्षित बनाता है। इसमें "Majorana Zero Modes" नामक अजीब कणों (particles) का उपयोग किया जाता है, जो क्वांटम जानकारी को इस तरह से संग्रहीत कर सकते हैं कि वे बाहरी प्रभावों से कम प्रभावित होते हैं। इस कारण से, Microsoft का दावा है कि उनके क्यूबिट्स को अधिक संख्या में जोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे बड़े पैमाने पर क्वांटम कंप्यूटर बनाना पहले से कहीं अधिक आसान हो सकता है। यह एक बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है, क्योंकि क्वांटम कंप्यूटर को बड़े पैमाने पर व्यावहारिक बनाने की दिशा में यह सबसे महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक थी।

Microsoft के इस नए क्वांटम चिप की कार्यप्रणाली को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि इसका डेटा कैसे पढ़ा जाता है। इसके लिए Microsoft "क्वांटम डॉट्स" (quantum dots) नामक छोटे डिवाइसेज़ का उपयोग करता है, जो इलेक्ट्रॉनों की गिनती करके यह निर्धारित करते हैं कि क्यूबिट में क्या जानकारी संग्रहीत है। इस प्रक्रिया में माइक्रोवेव सिग्नल का उपयोग किया जाता है, जिससे क्यूबिट की स्थिरता पर प्रभाव डाले बिना जानकारी को पढ़ा जा सकता है। पारंपरिक क्वांटम कंप्यूटरों में यह प्रक्रिया अधिक जटिल होती है और इसमें गलतियाँ होने की संभावना अधिक रहती है, लेकिन Microsoft के इस नए तरीके से यह प्रक्रिया अधिक सरल और विश्वसनीय हो जाती है। इसके अलावा, Microsoft का क्वांटम सिस्टम पूरी तरह से डिजिटल है, जबकि अधिकांश अन्य क्वांटम कंप्यूटर अभी भी एनालॉग नियंत्रण (analog control) पर निर्भर हैं। डिजिटल प्रणाली के कारण, यह सिस्टम कम त्रुटियाँ करता है और इसे बड़े पैमाने पर लागू करना आसान हो जाता है।

Microsoft की योजना इस क्वांटम तकनीक को बड़े पैमाने पर विकसित करने की है। इसकी शुरुआत "Tetron" नामक एक छोटे सिंगल-क्यूबिट डिवाइस से होगी, जो कि दो टोपोलॉजिकल नैनोवायर से बना होगा। इसके बाद, यह "4x2 क्यूबिट अर्रे" (4x2 qubit array) की ओर बढ़ेगा, जिसमें आठ क्यूबिट्स होंगे और यह यह परीक्षण करेगा कि क्या पूरी तरह से त्रुटि-सुधार प्रणाली (error correction system) सही से काम कर रही है। इसके बाद, "Fault-Tolerant Prototype" विकसित किया जाएगा, जो बड़े स्तर पर गणनाएँ करने में सक्षम होगा। इसका अंतिम लक्ष्य एक मिलियन-क्यूबिट वाला क्वांटम कंप्यूटर बनाना है, जो वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल कर सके। वर्तमान में, Google के क्वांटम कंप्यूटर को एक स्थिर क्यूबिट बनाए रखने के लिए लाखों अतिरिक्त क्यूबिट्स की जरूरत होती है, लेकिन Microsoft का कहना है कि उनकी तकनीक में यह आवश्यकता नहीं होगी। उनका दावा है कि उनके क्यूबिट्स पारंपरिक क्वांटम कंप्यूटरों की तुलना में दस गुना कम संसाधन (resources) का उपयोग करेंगे, जिससे इसे बनाना और उपयोग करना अधिक आसान हो जाएगा।

Microsoft के इस प्रोजेक्ट को अमेरिकी रक्षा एजेंसी DARPA का भी समर्थन मिल रहा है। DARPA वही एजेंसी है, जिसने इंटरनेट और GPS जैसी क्रांतिकारी तकनीकों का समर्थन किया था। अब उन्होंने Microsoft को अपने "US2QC" प्रोग्राम में शामिल किया है, जो यह परखने के लिए शुरू किया गया है कि क्या क्वांटम कंप्यूटर वास्तव में बड़े पैमाने पर उपयोगी हो सकते हैं। DARPA के वैज्ञानिकों और NASA, Los Alamos National Laboratory और Oakridge National Laboratory जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने Microsoft की क्वांटम तकनीक का विश्लेषण किया है और इसे एक संभावित गेम-चेंजर माना है। इसका मतलब यह है कि Microsoft की यह तकनीक सिर्फ सैद्धांतिक नहीं है, बल्कि इसमें वास्तविक क्षमता भी है।

अगर Microsoft सफल होता है और एक मिलियन-क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर बना लेता है, तो यह दुनिया के कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में, क्वांटम कंप्यूटर दवाओं की खोज की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं और कैंसर, अल्जाइमर और अन्य बीमारियों के इलाज को अधिक प्रभावी बना सकते हैं। ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में, यह कंप्यूटर बेहतर बैटरियाँ और उच्च दक्षता वाली सौर ऊर्जा तकनीक विकसित करने में मदद कर सकते हैं। साइबर सुरक्षा में, यह कंप्यूटर वर्तमान एन्क्रिप्शन (encryption) तकनीकों को तोड़ सकते हैं, जिससे सुरक्षा की नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। हालाँकि, क्वांटम तकनीक का उपयोग करके नए सुरक्षा समाधान भी विकसित किए जा सकते हैं, जो भविष्य में डिजिटल डेटा को और अधिक सुरक्षित बना सकते हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में, क्वांटम कंप्यूटर मशीन लर्निंग (machine learning) और डेटा प्रोसेसिंग को अत्यधिक तेज कर सकते हैं, जिससे स्वायत्त कारें (self-driving cars), वॉइस असिस्टेंट्स और मेडिकल AI सिस्टम अधिक स्मार्ट और प्रभावी हो सकते हैं। Microsoft का मानना है कि अगर वे एक त्रुटि-मुक्त (fault-tolerant) क्वांटम कंप्यूटर विकसित कर लेते हैं, तो यह तकनीक कई उद्योगों को पूरी तरह से बदल सकती है। DARPA का समर्थन और Microsoft की स्पष्ट रणनीति को देखते हुए, ऐसा लगता है कि वे इस लक्ष्य को हासिल करने के बहुत करीब हैं।

Microsoft, Google और IBM के बीच क्वांटम कंप्यूटिंग की दौड़ तेज हो रही है। Google ने 2019 में "Quantum Supremacy" का दावा किया था, जिसमें उनके क्वांटम कंप्यूटर ने एक ऐसी गणना की थी, जो एक पारंपरिक सुपरकंप्यूटर के लिए असंभव थी। हालाँकि, Google और IBM दोनों के सिस्टम में स्थिरता की समस्या बनी हुई है और उन्हें लाखों अतिरिक्त क्यूबिट्स की जरूरत होती है। Microsoft, अपने टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स की मदद से, इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है। अगर उनका तरीका सफल होता है, तो उनका क्वांटम कंप्यूटर अधिक प्रभावी, भरोसेमंद और उपयोग में आसान हो सकता है।

Microsoft का दावा है कि वे कुछ ही वर्षों में एक कार्यशील त्रुटि-मुक्त क्वांटम प्रोटोटाइप विकसित कर सकते हैं। अगर वे इसमें सफल होते हैं, तो यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी तकनीकी क्रांतियों में से एक होगी। Quantum Computing का भविष्य कौन तय करेगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन Microsoft की नवीनतम उपलब्धि ने यह संकेत दिया है कि वे इस दौड़ में सबसे आगे हो सकते हैं।

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