India's Obesity Crisis Explodes! मोटापे से बर्बाद होगा भारत का भविष्य?

NCI

India's Obesity Crisis Explodes!

 भारत में मोटापा (Obesity) आज एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जो न केवल लोगों की सेहत बल्कि देश की अर्थव्यवस्था (Economy) पर भी भारी असर डाल रहा है। कभी यह देश भुखमरी से जूझ रहा था, लेकिन आज यह मोटापे की महामारी से लड़ रहा है। इस समस्या की जड़ें आधुनिक जीवनशैली, खान-पान की आदतों और शहरीकरण में छिपी हुई हैं। मोटापा केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि यह भारत के आर्थिक विकास के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन रहा है। हाल के वर्षों में देश की आर्थिक प्रगति ने जीवनशैली में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे लोगों का फिजिकल एक्टिविटी (शारीरिक गतिविधि) कम हुआ है और जंक फूड तथा प्रोसेस्ड फूड का सेवन बढ़ गया है। इसका सीधा असर यह हो रहा है कि भारत में मोटे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में लगभग 30% लोग ओवरवेट (Overweight) या मोटापे का शिकार हैं। शहरों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है, जहां 37% महिलाएं और 39% पुरुष मोटापे से ग्रसित हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा थोड़ा कम है। शहरीकरण के कारण लोग ज्यादा सुविधाजनक जीवन जीने लगे हैं, जहां पैदल चलना, साइकिल चलाना या किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है। मेट्रो शहरों में काम करने वाले लोग दिनभर स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, जिससे उनका वजन तेजी से बढ़ रहा है।

भारत में मोटापे का एक बड़ा कारण खान-पान की आदतों में बदलाव भी है। पहले लोग घर का पौष्टिक खाना खाते थे, लेकिन अब जंक फूड, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड (Processed Food) का चलन तेजी से बढ़ा है। आर्थिक विकास के कारण लोगों की आमदनी बढ़ी है, जिससे वे ज्यादा महंगे और स्वादिष्ट लेकिन सेहत के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रेंच फ्राइज जैसी चीजें अब घर-घर में पाई जाती हैं, जिससे मोटापा तेजी से फैल रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 56% बीमारियां गलत खान-पान के कारण होती हैं।

बच्चों में भी मोटापा एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। पहले बच्चे खुले मैदानों में खेलते थे, लेकिन अब वे मोबाइल, वीडियो गेम और टीवी में ज्यादा समय बिताते हैं। स्कूलों में खेल-कूद की गतिविधियां कम हो गई हैं और माता-पिता भी बच्चों को बाहर खेलने की बजाय इंडोर गेम्स में व्यस्त रखते हैं। एक सर्वे के अनुसार, भारत के 12.5 मिलियन बच्चे मोटापे की श्रेणी में आते हैं, और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण भविष्य में डायबिटीज (Diabetes), हार्ट डिजीज (Heart Disease) और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाएगा।

भारत में मोटापे की समस्या केवल सेहत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। 2019 में मोटापे से जुड़ी बीमारियों का आर्थिक बोझ भारत की GDP का 1% था, और 2060 तक यह 2.5% तक पहुंच सकता है। मोटे लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा मेडिकल खर्च करना पड़ता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भार बढ़ता है। अमेरिका में हर साल 260 बिलियन डॉलर मोटापे से जुड़ी बीमारियों के इलाज में खर्च होता है, और भारत भी इसी दिशा में बढ़ रहा है।

मोटापे से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे। सबसे आसान उपाय है फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाना। अगर लोग रोजाना 30 मिनट की वॉक करें तो मोटापा 15% और डायबिटीज का खतरा 30% तक कम किया जा सकता है। कई शहरों ने इस दिशा में पहल की है, जैसे अहमदाबाद का साबरमती रिवरफ्रंट फिटनेस के लिए एक अच्छा उदाहरण है। इसके अलावा, सरकार को हेल्दी फूड को सब्सिडी देनी चाहिए और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड पर सख्त नियम लागू करने चाहिए।

मोटापा एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही नीतियों और व्यक्तिगत प्रयासों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर भारत को एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र बनाना है, तो इसे अपनी स्वास्थ्य नीतियों में मोटापे से निपटने के उपायों को प्राथमिकता देनी होगी।

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