India's Biggest Cyber Scam: जानिए कैसे बाप-बेटे ने देशभर को लूटा!

NCI

India's Biggest Cyber Scam

 राजस्थान के गंगानगर से एक ऐसा साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। यह घोटाला 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का बताया जा रहा है, जिसमें एक पिता-पुत्र की जोड़ी मुख्य आरोपी है। लाजपत आर्य और उसका बेटा दीपक आर्य, जिन्होंने कभी छोटे स्तर पर मार्केटिंग का काम किया था, अब देश के सबसे बड़े साइबर अपराधियों में गिने जा रहे हैं। उन्होंने एक ऐसा जाल बुना जिसमें हजारों मासूम लोग अपनी जीवनभर की पूंजी गंवा बैठे। इन आरोपियों ने कैप मोर एफएक्स (Capmore FX) नामक एक मोबाइल ऐप तैयार किया, जिसका उपयोग उन्होंने लोगों को शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगने के लिए किया।

इनकी ठगी का तरीका बेहद शातिराना था। पहले यह लोग लोगों को सेमिनार के जरिए निवेश सिखाने के नाम पर बुलाते थे। शुरुआती निवेश पर झूठा मुनाफा दिखाकर भरोसा जीतते थे। जब लोगों को विश्वास हो जाता था, तो वे बड़ी रकम लगाने के लिए प्रेरित करते थे। जैसे ही लोग लाखों-करोड़ों का निवेश करने लगते, अचानक यह लोग पैसे लेकर गायब हो जाते। इस मामले में कर्नाटक के रहने वाले कटप्पा बाबू चौहान नाम के व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की। जब पुलिस ने गहराई से छानबीन की तो सामने आया कि इस गिरोह के खिलाफ 76,000 से अधिक शिकायतें दर्ज हैं और 5,000 से अधिक एफआईआर पहले से ही दर्ज हो चुकी हैं।

गंगानगर पुलिस की एक विशेष टीम ने इस मामले को सुलझाने का बीड़ा उठाया। एसएचओ सुभाष झील के नेतृत्व में जब इन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की गई, तो जो खुलासे हुए वे चौंकाने वाले थे। आरोपियों के पास से करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति, लग्जरी गाड़ियां, महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और लाखों रुपये की नकदी बरामद हुई। इनके पास से 85 लाख रुपये की एक लग्जरी कार, तीन अन्य गाड़ियां, 10 लाख कैश, छह मोबाइल फोन, छह कंप्यूटर, छह एटीएम कार्ड और करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी के दस्तावेज बरामद हुए।

पुलिस को जब इस गिरोह के बैंक खातों की जांच में 75 बैंक अकाउंट मिले, तो यह स्पष्ट हो गया कि इस मामले की जड़ें बहुत गहरी हैं। इन अकाउंट्स के माध्यम से करोड़ों रुपये का लेन-देन किया गया था। शुरुआती जांच में ही पुलिस को पता चला कि इस गिरोह ने कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की ठगी की है और यह रकम और भी बढ़ सकती है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य फरार आरोपियों की तलाश कर रही है, जिनमें से कुछ विदेश भाग चुके हैं।

आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पता चला कि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय थे और लोगों को ठगने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते थे। खासकर इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह लोग अपने फर्जी ऐप कैप मोर एफएक्स का विज्ञापन करते थे। यह लोग लोगों को यह झांसा देते थे कि अगर वे इस ऐप में निवेश करेंगे तो उनका पैसा दोगुना हो जाएगा। सोशल मीडिया पर इनकी झूठी सफलता की कहानियों को दिखाकर लोगों को लालच दिया जाता था।

आरोपी अपने शुरुआती निवेशकों को थोड़ा-थोड़ा मुनाफा भी लौटाते थे, जिससे लोगों का विश्वास इन पर बढ़ता गया। जब निवेशकों ने ज्यादा पैसे लगाने शुरू कर दिए, तो ये लोग अचानक गायब हो जाते थे। इस गिरोह ने निवेशकों से केवल पैसा ही नहीं छीना, बल्कि उन्हें पूरी तरह से मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ दिया।

कटप्पा बाबू चौहान, जो इस ठगी के शिकार हुए थे, ने बताया कि वह एक इन्वेस्टमेंट सेमिनार में शामिल हुए थे, जहां उन्हें भरोसा दिलाया गया कि वे अगर इस योजना में पैसा लगाएंगे तो उन्हें जबरदस्त मुनाफा होगा। शुरुआत में उन्होंने थोड़ी रकम लगाई और उन्हें कुछ मुनाफा भी दिया गया। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी इसमें निवेश करने के लिए कहा। लेकिन जब उन्होंने बड़ी रकम लगाई, तो उनका पैसा वापस नहीं आया और जब वे आरोपियों से मिलने पहुंचे तो उन्हें धमकाया गया। जब उन्हें लगा कि उनके साथ धोखा हुआ है, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गंगानगर पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की, जिसमें सीईओ सिटी आदित्य, आईपीएस प्रोफेसर अजय और अन्य अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुलिस को जब इस पूरे रैकेट के बारे में पता चला, तो उन्हें यह समझने में देर नहीं लगी कि यह सिर्फ एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और उड़ीसा जैसे राज्यों में इस गिरोह के शिकार हुए लोगों की संख्या हजारों में है।

पुलिस अब इस मामले की तह तक जाने के लिए इंटरपोल (Interpol) की मदद लेने की योजना बना रही है, ताकि विदेश भागे आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सके। इस मामले में जांच अभी जारी है और पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही वे इस घोटाले के मास्टरमाइंड को पूरी तरह बेनकाब कर देंगे।

यह घोटाला न केवल भारत का बल्कि अब तक का सबसे बड़ा साइबर ठगी घोटाला माना जा रहा है। इस तरह के मामलों से सीख लेते हुए आम जनता को भी सतर्क रहना चाहिए। अगर कोई निवेश स्कीम जल्दी और अधिक मुनाफा कमाने का वादा कर रही है, तो उसमें सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी योजना में पैसा लगाने से पहले पूरी तरह से उसकी जांच कर लें और किसी अज्ञात ऐप या वेबसाइट पर पैसे निवेश करने से बचें।

गंगानगर पुलिस का यह प्रयास कि पीड़ितों को उनका पैसा वापस दिलाया जाए, एक उम्मीद की किरण जगाता है। हालांकि यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन जांच एजेंसियां इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या इस ठगी के शिकार हुए लोगों को उनका पैसा वापस मिल पाएगा।

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