![]() |
Green Fodder Farming |
हरा चारा की खेती भारतीय किसानों के लिए एक अत्यंत लाभकारी विकल्प बनती जा रही है, विशेष रूप से उन किसानों के लिए जो कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं। गर्मी के मौसम में यह खेती तेजी से बढ़ती है और 70 से 90 दिनों के भीतर अच्छी आमदनी देने लगती है। हरा चारा पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण उत्पाद है, जिससे वे अपने पशुओं के लिए ताजा और पौष्टिक आहार प्राप्त कर सकते हैं। इस खेती के माध्यम से न केवल पशुपालकों को फायदा होता है, बल्कि किसानों के लिए भी यह एक स्थिर आय का स्रोत बन सकती है।
इस खेती को शुरू करने के लिए सबसे पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि क्षेत्र में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था हो। गर्मी के मौसम में पानी की जरूरत अधिक होती है, इसलिए जिन किसानों के पास पानी की पर्याप्त व्यवस्था है, वे इस खेती को सुगमता से कर सकते हैं। इसके अलावा, हरे चारे की मांग का भी आंकलन करना जरूरी है, क्योंकि यदि आसपास के इलाकों में पशुपालक अधिक मात्रा में हैं, तो हरा चारा बेचना आसान हो जाता है। किसान भाइयों को यह भी देखना चाहिए कि उनके इलाके में पहले से हरे चारे की खेती हो रही है या नहीं, ताकि वे बाजार की संभावनाओं को समझ सकें।
हरे चारे की खेती के लिए उपयुक्त बीजों का चयन करना भी एक महत्वपूर्ण कदम होता है। इस खेती के लिए कुछ खास किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, जिनसे अधिक कटाई ली जा सकती है। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं स्प्रिन गोल्ड, गुडविल जेट मल्टी कट और अधव गोल्डन सीड्स की जम्बो गोल्ड। इन किस्मों से एक बार बुवाई करने पर चार से छह कटाई तक प्राप्त की जा सकती हैं, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है। बीजों की बुवाई मार्च से अप्रैल के बीच करना सबसे उचित माना जाता है। इसके लिए प्रति एकड़ 10 से 12 किलो बीज की जरूरत होती है।
बुवाई की प्रक्रिया में खेत की अच्छी तैयारी बहुत आवश्यक होती है। सबसे पहले खेत की जुताई कर उसे समतल किया जाता है, फिर क्यारियां बनाई जाती हैं, जिनमें छिड़क विधि से बीजों की बुवाई की जाती है। बुवाई के बाद हल्की मिट्टी डालकर बीजों को ढक दिया जाता है और तुरंत सिंचाई की जाती है, जिससे बीजों का अंकुरण सही ढंग से हो सके। खाद प्रबंधन भी खेती की सफलता में अहम भूमिका निभाता है। खेत की तैयारी के समय डीएपी (DAP) 15 किलो और यूरिया (Urea) 30 किलो प्रति एकड़ की दर से डाला जाता है। इसके अलावा, प्रत्येक कटाई के बाद यूरिया 30 किलो प्रति एकड़ की दर से दिया जाता है, जिससे फसल जल्दी बढ़ती है और अच्छी पैदावार मिलती है।
खेती की लागत को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो इस खेती को करने में खर्च बहुत कम आता है। अगर कोई किसान एक एकड़ में हरा चारा उगाता है तो बीज की लागत लगभग 2160 रुपये आती है, खेत की तैयारी का खर्च 2000 रुपये तक हो सकता है, खाद और उर्वरक पर 740 रुपये खर्च होते हैं, और कीटनाशक स्प्रे पर लगभग 500 रुपये लगते हैं। इस तरह से कुल मिलाकर एक एकड़ की खेती के लिए 8400 रुपये तक की लागत आती है, जो कि अन्य परंपरागत फसलों की तुलना में काफी कम है।
अब यदि आमदनी की बात करें, तो एक एकड़ में कुल 50 क्यारियां बनाई जा सकती हैं, जिनकी लंबाई 180 फीट और चौड़ाई 4 फीट होगी। प्रत्येक क्यारी से लगभग दो क्विंटल हरा चारा प्राप्त होता है। जब इस चारे को छोटे-छोटे बंडलों में बांटा जाता है तो एक बंडल लगभग तीन किलो का बनता है। इस प्रकार, एक क्यारी से 70 बंडल प्राप्त होते हैं। बाजार में एक बंडल की कीमत लगभग 7 रुपये होती है, जिससे एक क्यारी से 490 रुपये की कमाई होती है। इस आधार पर, यदि पूरे एकड़ की फसल की बात करें, तो एक कटाई में कुल 24,500 रुपये तक की आमदनी हो सकती है।
हरे चारे की फसल से चार से छह कटाई की जा सकती हैं। यदि कोई किसान पांच कटाई लेता है, तो उसकी कुल आमदनी 1,22,500 रुपये तक हो सकती है। यह आमदनी बहुत अधिक होती है, खासकर तब जब इस खेती में कुल लागत सिर्फ 10,000 रुपये से भी कम आती है। यदि कटाई के लिए मजदूरों को रखा जाता है, तो उनकी मजदूरी के रूप में लगभग 10,000 रुपये का अतिरिक्त खर्च आ सकता है, लेकिन यदि किसान स्वयं या परिवार के सदस्य मिलकर यह कार्य करें, तो यह लागत भी बचाई जा सकती है।
इस प्रकार, हरा चारा की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकती है। कम लागत, अधिक उत्पादन, और तेज़ी से बढ़ने की क्षमता के कारण यह खेती पशुपालकों और किसानों के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होती है। जो किसान पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हैं, वे इस खेती से दोगुना लाभ कमा सकते हैं, क्योंकि उन्हें हरा चारा खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे अतिरिक्त चारे को बाजार में बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
यदि कोई किसान इस खेती को अपनाना चाहता है, तो उसे सही बीजों का चयन, सिंचाई की अच्छी व्यवस्था, और उचित खाद प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा। साथ ही, यह भी देखना होगा कि बाजार में हरे चारे की मांग बनी रहे, ताकि उत्पादित चारा आसानी से बेचा जा सके। यदि सही तरीके से इस खेती को किया जाए, तो यह किसानों को 70 से 90 दिनों में लाखों रुपये तक की आमदनी देने में सक्षम हो सकती है।
जो किसान इस खेती के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, वे विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं और सही बीजों का चयन कर अपनी खेती को और अधिक लाभकारी बना सकते हैं। इस खेती को अपनाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं और एक स्थिर आय का साधन प्राप्त कर सकते हैं। इस गर्मी के सीजन में हरा चारा की खेती करना न केवल एक लाभकारी विकल्प हो सकता है, बल्कि यह पशुपालन और कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति भी ला सकता है।
डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है। यह सामग्री विशेषज्ञ सलाह या सटीक व्यावसायिक मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है। खेती से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले कृपया विशेषज्ञों से परामर्श करें और अपनी स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लें। लेख में उपयोग की गई किसी भी जानकारी से उत्पन्न होने वाले किसी भी लाभ या नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। खेती के दौरान सभी सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।