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Biggest Attack on Pakistan! |
हाल ही में पाकिस्तान में हुए एक बड़े आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। इस हमले में आत्मघाती (suicide) बम विस्फोट किया गया, जिसमें कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। यह हमला पाकिस्तान के बन्नू जिले में हुआ, जो अक्सर आतंकवादी गतिविधियों के कारण चर्चा में रहता है। दो आत्मघाती हमलावरों ने खुद को उड़ा लिया, जिससे इलाके में भारी नुकसान हुआ। यह घटना एक बार फिर से पाकिस्तान के अंदरूनी सुरक्षा हालात पर सवाल उठाती है। आतंकवाद से जूझ रहा पाकिस्तान पहले भी कई बार ऐसे हमलों का सामना कर चुका है, लेकिन इस बार हमलावरों ने सीधे मिलिट्री बेस को निशाना बनाया।
पाकिस्तान की मिलिट्री फैसिलिटी पर यह हमला बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से किया गया था। आतंकियों ने पहले सुरक्षा घेरा तोड़ा और फिर अपने मिशन को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि आतंकवादी गाड़ियों में आए थे और उनका इरादा था कि वे अंदर घुसकर ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाएं, लेकिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई के चलते वे अपने मिशन को पूरी तरह अंजाम नहीं दे सके। इस हमले की जिम्मेदारी जैश अल फरसन नामक संगठन ने ली है, जो पहले भी पाकिस्तान में कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। इस संगठन का दावा है कि यह हमला उनके लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए किया गया।
यह घटना केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके असर पड़ोसी देशों पर भी देखने को मिल सकते हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच का इलाका हमेशा से अस्थिर रहा है, और यहां के कई आतंकवादी गुट पाकिस्तान को भी टारगेट करते रहे हैं। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से सेना हटाने के बाद से इस क्षेत्र में आतंकवादी हमले और ज्यादा बढ़ गए हैं। पाकिस्तान ने सीमा पर तारबंदी (wiring) करके सुरक्षा बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन फिर भी इस तरह के हमले लगातार होते रहते हैं।
इस हमले से यह भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों की सक्रियता कितनी बढ़ चुकी है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान सरकार और सेना कई बार आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों से घिरी रही है। जैश अल फरसन के अलावा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) भी इस क्षेत्र में सक्रिय है, और कई बार सरकार के खिलाफ हथियार उठा चुका है। इस बार का हमला केवल सेना पर नहीं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है। पाकिस्तान हमेशा से यह दावा करता आया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है, लेकिन इस तरह के हमलों से यह स्पष्ट हो जाता है कि आतंकी संगठन अभी भी पाकिस्तान में मजबूत स्थिति में हैं।
बन्नू का इलाका हमेशा से संवेदनशील रहा है, और यहां पहले भी कई बार इस तरह के हमले हो चुके हैं। पिछले साल नवंबर में भी इसी इलाके में एक बड़ा हमला हुआ था, जिसमें 12 सैनिक मारे गए थे। जुलाई में भी एक आत्मघाती हमले में मिलिट्री बेस को निशाना बनाया गया था। इस बार का हमला भी उसी श्रृंखला की कड़ी माना जा रहा है। ऐसा लगता है कि आतंकवादी संगठन पाकिस्तान की मिलिट्री फैसिलिटीज़ को टारगेट कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
यहां एक और दिलचस्प बात यह है कि इस हमले में एक और संगठन, एचजीबी (HGB) का भी नाम सामने आया है। यह संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से अलग होकर बना था, और इसके नेता मुखलिस यार महसूद को इस हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। एचजीबी को पहले पाकिस्तान आर्मी का सहयोगी माना जाता था, और इसे "गुड तालिबान" के रूप में देखा जाता था। लेकिन अब यही संगठन पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन चुका है।
पाकिस्तान में हो रहे इन हमलों का असर केवल वहां की सरकार और सेना पर ही नहीं पड़ रहा, बल्कि वहां रहने वाले आम नागरिकों की जिंदगी भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रही है। आम जनता के लिए यह समझ पाना मुश्किल हो गया है कि आखिरकार यह लड़ाई किसके खिलाफ लड़ी जा रही है। आतंकवादी संगठन एक तरफ पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में हमले कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत जैसे पड़ोसी देशों पर भी लगातार खतरा बना हुआ है। हाल ही में खबर आई थी कि कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी पंजाब में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बीएसएफ (BSF) ने उन्हें मार गिराया। इससे यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान की धरती पर पनप रहे आतंकवादी केवल वहां तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे भारत को भी निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं।
चीन भी पाकिस्तान में हो रहे आतंकी हमलों से परेशान है। चीन के कई नागरिक, जो पाकिस्तान में काम कर रहे हैं, पहले भी ऐसे हमलों में मारे जा चुके हैं। चीन ने पाकिस्तान से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है, लेकिन पाकिस्तान सरकार अभी तक इसमें असफल साबित हुई है। यह चिंता का विषय है, क्योंकि पाकिस्तान और चीन के बीच आर्थिक संबंध भी गहरे हैं, और ऐसे हमलों से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
पाकिस्तान के हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। वहां की सरकार पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है, और अब आतंकवादी हमले उसकी मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं। सरकार बार-बार दावा करती है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, लेकिन आए दिन हो रहे हमलों से यह साफ हो जाता है कि उसकी नीतियां पूरी तरह विफल हो रही हैं। जब तक पाकिस्तान अपने अंदर मौजूद आतंकवादी गुटों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक वह खुद ही इस जाल में फंसा रहेगा।
इस हमले से पाकिस्तान के नागरिकों में डर और चिंता का माहौल है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि उनकी सरकार आखिरकार देश को सुरक्षित रखने में क्यों नाकाम हो रही है। देश की सेना पर हो रहे हमले यह भी दिखाते हैं कि आतंकवादी अब सीधे सरकार को चुनौती दे रहे हैं। यह पाकिस्तान के लिए एक खतरनाक संकेत है, क्योंकि इससे वहां की स्थिरता और अधिक प्रभावित हो सकती है।
पाकिस्तान अक्सर यह दावा करता है कि वह भारत से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी आर्थिक और सुरक्षा स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि वह अपने इस लक्ष्य को कभी हासिल कर पाएगा। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक उसकी प्रगति संभव नहीं है। दुनिया के अन्य देश भी अब पाकिस्तान को संदेह की नजर से देखने लगे हैं, और ऐसे हमलों से उसकी छवि और अधिक खराब हो रही है।
यह हमला केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि आतंकवाद अब भी एक बड़ा खतरा बना हुआ है। जब तक इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक न केवल पाकिस्तान बल्कि उसके पड़ोसी देश भी इससे प्रभावित होते रहेंगे। पाकिस्तान को अब यह तय करना होगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से लड़ेगा या फिर इसी दलदल में फंसा रहेगा।