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Alibaba’s New AI Turns Into a P**n Machine! |
अलीबाबा ने हाल ही में अपना नया एडवांस्ड AI वीडियो मॉडल "Wan 2.1" लॉन्च किया, जो मूल रूप से उच्च गुणवत्ता वाले वीडियो जनरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस मॉडल का उद्देश्य विज्ञापन, मनोरंजन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में क्रांति लाना था, लेकिन इसके जारी होते ही इसका उपयोग अप्रत्याशित और विवादास्पद तरीकों से होने लगा। यह मॉडल ओपन-सोर्स (Open Source) है, यानी इसे कोई भी डाउनलोड, मॉडिफाई और उपयोग कर सकता है। लेकिन इसी कारण यह AI जनरेटेड अश्लील कंटेंट बनाने वाले समुदायों के हाथों में चला गया और इसके कारण नैतिक (Ethical) और कानूनी बहसें तेज हो गईं।
AI जनरेटेड अश्लील कंटेंट के बढ़ते चलन ने पहले ही दुनिया भर में गंभीर चिंता पैदा कर दी थी। लेकिन Wan 2.1 के आने के बाद यह समस्या और भी गंभीर हो गई। अलीबाबा ने इस मॉडल में किसी भी तरह की सुरक्षा या कंटेंट फिल्टरिंग नहीं लगाई, जबकि OpenAI और Google जैसी कंपनियां अपने AI मॉडल्स पर सख्त कंट्रोल रखती हैं। इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि Wan 2.1 को जारी होने के 24 घंटे के भीतर ही कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर AI जनरेटेड अश्लील वीडियो से भर दिया गया। उपयोगकर्ताओं ने इस मॉडल की क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अब तक उपलब्ध अन्य किसी भी AI मॉडल से अधिक यथार्थवादी (Realistic) और गतिशील (Motion-Accurate) वीडियो बना सकता है।
यह समस्या केवल AI पॉर्न इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। असली खतरा यह है कि इस तरह की तकनीक का उपयोग गैर-सहमति (Non-Consensual) से किसी की भी छवि को अश्लील वीडियो में बदलने के लिए किया जा सकता है। यह न केवल निजता (Privacy) का उल्लंघन है, बल्कि व्यक्तिगत और सार्वजनिक व्यक्तित्वों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। MIT टेक्नोलॉजी रिव्यू की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI जनरेटेड रिवेंज पॉर्न (Revenge Porn) के मामलों में भारी वृद्धि हुई है और पीड़ितों के पास इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाने के बहुत सीमित विकल्प होते हैं। अमेरिका, यूके और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में AI जनरेटेड अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं, लेकिन अब तक यह समस्या नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।
Wan 2.1 का एक और खतरनाक पहलू यह है कि इसे ओपन-सोर्स के रूप में जारी किया गया है, जिसका अर्थ है कि कोई भी इसे मॉडिफाई कर सकता है और अपने हिसाब से उपयोग कर सकता है। OpenAI के "Sora" मॉडल को लेकर भी डीपफेक (Deepfake) संभावनाओं पर चर्चा हुई थी, लेकिन चूंकि वह क्लोज़-सोर्स (Closed Source) था, इसलिए इसका गलत उपयोग सीमित रहा। दूसरी ओर, Wan 2.1 पूरी तरह से ओपन-सोर्स है, जिससे इसे किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग किया जा सकता है, चाहे वह कानूनी हो या अवैध। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे और अधिक यथार्थवादी बनाने के लिए कस्टम डेटा सेट्स पर ट्रेन किया है, जिससे इसका उपयोग और भी चिंताजनक हो गया है।
AI पॉर्न इंडस्ट्री पहले से ही एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है और कुछ अनुमानों के अनुसार, आने वाले वर्षों में यह अरबों डॉलर की इंडस्ट्री बन सकती है। DeepTrace नामक एक AI रिसर्च फर्म के अनुसार, इंटरनेट पर उपलब्ध 96% डीपफेक वीडियो अश्लील प्रकृति के होते हैं। इस प्रकार के AI जनरेटेड अश्लील कंटेंट को प्रतिबंधित करने और इसे नियंत्रित करने के लिए मजबूत कानूनों की जरूरत है, अन्यथा यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।
AI डीपफेक केवल मनोरंजन या अश्लील कंटेंट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक गलत सूचना (Political Misinformation) फैलाने का भी एक शक्तिशाली उपकरण बन सकता है। कल्पना करें कि चुनावों से ठीक पहले किसी राजनेता का एक AI जनरेटेड डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए, जिसमें वह कुछ ऐसा कहता है जो उसने वास्तव में नहीं कहा। यह लोकतंत्र (Democracy) और वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ा खतरा है। कई देशों में AI कानूनों पर काम किया जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई वैश्विक सहमति नहीं बनी है। यूरोपीय संघ का AI अधिनियम (AI Act) AI मॉडल्स के पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर देता है, जबकि अमेरिका में व्हाइट हाउस ने AI कंपनियों को आत्म-नियमन (Self-Regulation) की सलाह दी है। हालांकि, अभी भी कोई संघीय कानून (Federal Law) नहीं है जो AI जनरेटेड डीपफेक कंटेंट को पूर्ण रूप से अवैध घोषित करता हो।
अलीबाबा की ओर से अब तक Wan 2.1 को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। OpenAI और Google जैसी कंपनियां जब अपने AI मॉडल्स के दुरुपयोग को लेकर सख्त कदम उठाती हैं, तो यह सवाल उठता है कि अलीबाबा ने ऐसा क्यों नहीं किया? क्या यह जानबूझकर किया गया निर्णय था, ताकि AI तकनीक को अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध कराया जा सके? या यह एक लापरवाही भरा कदम था? अगर अलीबाबा इस मॉडल पर प्रतिबंध लगाता है, तो यह दिखाएगा कि चीनी टेक कंपनियां भी AI नैतिकता (AI Ethics) को गंभीरता से ले रही हैं। लेकिन अगर वे कोई कदम नहीं उठाते, तो यह सिद्ध करेगा कि ओपन-सोर्स AI को नियंत्रित करना लगभग असंभव हो गया है।
AI उद्योग अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। यदि AI तकनीक को पूरी तरह से ओपन-सोर्स रखा जाता है, तो इससे नवाचार (Innovation) और विकास को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन साथ ही यह तकनीक गलत हाथों में भी जा सकती है। दूसरी ओर, अगर इसे पूरी तरह से नियंत्रित किया जाता है, तो यह केवल बड़ी कंपनियों के हाथ में सीमित रह जाएगा, जिससे स्वतंत्र डेवलपर्स और रिसर्चर्स को नुकसान हो सकता है। समाधान क्या हो सकता है? कुछ विशेषज्ञ AI जनरेटेड कंटेंट को वॉटरमार्क (Watermark) करने का सुझाव देते हैं, जिससे इसे पहचानना आसान हो, लेकिन अगर कोई इसे हटा सकता है तो यह कितना प्रभावी होगा?
Wan 2.1 का मुद्दा केवल AI पॉर्न तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे AI उद्योग के लिए एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि यदि AI कंपनियां सावधान नहीं रहतीं, तो उनकी तकनीक का उपयोग कैसे अनैतिक (Unethical) तरीकों से किया जा सकता है। यह बहस केवल AI जनरेटेड वीडियो तक सीमित नहीं है, बल्कि AI जनरेटेड टेक्स्ट, इमेज और ऑडियो तक भी पहुंच चुकी है। जैसे-जैसे तकनीक उन्नत हो रही है, इसे नियंत्रित करने की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं।
क्या AI को पूरी तरह से मुक्त रखा जाना चाहिए, या इसे सख्त नियंत्रण में रखा जाना चाहिए? क्या AI की स्वतंत्रता और नैतिक जिम्मेदारी (Ethical Responsibility) एक साथ रह सकती हैं, या हमें तकनीक पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत होगी? यह बहस अभी समाप्त नहीं हुई है, बल्कि यह केवल शुरुआत है। AI का भविष्य अब इस पर निर्भर करता है कि टेक कंपनियां, सरकारें और समाज इसे कैसे नियंत्रित करना चाहते हैं।