200 Indians Trapped in Myanmar! धोखे से ले जाए गए और अब बचना मुश्किल?

NCI

200 Indians Trapped in Myanmar!

 थाईलैंड और म्यांमार के बॉर्डर पर 200 भारतीय फंसे हुए हैं, जिनका जल्द से जल्द रेस्क्यू किया जाना आवश्यक है। यह पूरा मामला साइबर क्राइम और स्कैम नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जहां निर्दोष भारतीयों को धोखे से फंसाया गया और फिर जबरन साइबर फ्रॉड करने पर मजबूर किया गया।

दरअसल, इन लोगों को ऑनलाइन हाई पेइंग जॉब्स (अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां) का झांसा देकर बुलाया गया। उन्हें सोशल मीडिया या अन्य प्लेटफॉर्म्स पर यह दिखाया गया कि विदेशों में उन्हें शानदार सैलरी पर नौकरी मिलेगी। लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे, उनके पासपोर्ट छीन लिए गए, उन्हें कैद में रखा गया और साइबर क्राइम करने के लिए मजबूर किया गया। अगर वे मना करते, तो उन्हें बेरहमी से पीटा जाता और यातनाएं दी जातीं।

म्यांमार के 'केके पार्क' नामक क्षेत्र को साइबर क्राइम के गढ़ के रूप में जाना जाता है। यह इलाका म्यांमार के मवादी (Myawaddy) क्षेत्र में स्थित है, जो थाईलैंड से सटा हुआ है। इस पूरे इलाके में अपराधी समूह सक्रिय हैं जो मासूम लोगों को ठगने के लिए स्कैम ऑपरेशन्स चलाते हैं। इन नेटवर्क्स का संचालन करने वाले अधिकतर लोग चाइनीज अपराधी हैं, जो अपने देश से भागकर यहां शरण लिए हुए हैं।

इस तरह के साइबर फ्रॉड मुख्य रूप से यूरोपियनों और अमेरिकियों को निशाना बनाते हैं। यह फ्रॉड कई तरह से किए जाते हैं, जिनमें फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर इन्वेस्टमेंट (निवेश) के झूठे ऑफर देना शामिल होता है। स्कैमर्स पहले अपने शिकार को छोटे अमाउंट पर फायदा दिखाते हैं और फिर धीरे-धीरे बड़े निवेश के लिए उन्हें फंसा लेते हैं। जब लोग पैसे निवेश कर देते हैं, तो उन्हें निकासी (withdrawal) करने नहीं दी जाती और उनसे भारी-भरकम टैक्स के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं।

यह पूरा नेटवर्क बेहद संगठित होता है और टेक्नोलॉजी की मदद से खुद को छिपाए रखता है। अपराधी कई अलग-अलग सिम कार्ड और ऑनलाइन टूल्स का उपयोग करते हैं ताकि उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाए। चूंकि यह अपराध ज्यादातर ऐसे इलाकों से संचालित किए जाते हैं जहां कानून-व्यवस्था कमजोर होती है, इसलिए इन पर कार्रवाई करना कठिन हो जाता है।

थाईलैंड, म्यांमार और चीन की सरकारों ने मिलकर इन स्कैम सेंटर्स पर छापेमारी शुरू की है। इस ऑपरेशन में अब तक हजारों लोगों को छुड़ाया जा चुका है। भारतीय एंबेसी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और लगातार थाई और म्यांमार की सरकारों के साथ समन्वय (coordination) कर रही है ताकि इन फंसे हुए भारतीयों को जल्द से जल्द बचाया जा सके।

थाईलैंड सरकार के अनुसार, इस तरह के साइबर क्राइम के कारण हर दिन लगभग 1.8 से 2 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। अगर पूरे साल की बात करें, तो यह आंकड़ा लगभग 1.2 बिलियन डॉलर (करीब 99,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच चुका है। यह पैसा उन मासूम लोगों का है, जो ऑनलाइन स्कैम का शिकार बने हैं।

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन भारतीयों को अलग-अलग राज्यों से बहलाकर ले जाया गया। इनमें 15 लोग गुजरात से, 20 राजस्थान से, 5 आंध्र प्रदेश से, 2 तेलंगाना से और अन्य उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक से हैं।

कुछ पीड़ितों ने अपने अनुभव साझा किए हैं। तेलंगाना के रहने वाले मधुकर रेड्डी को एक फर्जी मैसेज आया था जिसमें उन्हें दिसंबर 2023 में म्यांमार के मायावाड़ी (Myawaddy) इलाके में बुलाया गया था। वहां पहुंचने के बाद उन्हें जबरन साइबर फ्रॉड में शामिल कर दिया गया। इसी तरह, आईटी प्रोफेशनल मुंशी प्रकाश को एक फेक ऑस्ट्रेलियन जॉब ऑफर मिला था। उन्हें लगा कि वह ऑस्ट्रेलिया में काम करेंगे, लेकिन उन्हें धोखे से कंबोडिया ले जाया गया और वहां जबरदस्ती ऑनलाइन स्कैम कराने के लिए मजबूर किया गया।

इन पीड़ितों का कहना है कि जैसे ही वे विदेश पहुंचे, उनके पासपोर्ट छीन लिए गए और उन्हें बताया गया कि अब वे कहीं नहीं जा सकते। अगर कोई भागने की कोशिश करता, तो उसे बेरहमी से पीटा जाता। चूंकि वे किसी अनजान देश में थे और उनके पास कोई दस्तावेज नहीं था, इसलिए वे चाहकर भी वहां से निकल नहीं सकते थे।

इस तरह के स्कैम आमतौर पर उन इलाकों से संचालित किए जाते हैं जहां कानून और पुलिस का नियंत्रण कमजोर होता है। अपराधी जानते हैं कि इन इलाकों में वे सुरक्षित रहेंगे और कोई उन पर कार्रवाई नहीं कर सकेगा। इसी कारण, इन साइबर क्राइम नेटवर्क्स को खत्म करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (UN Human Rights Office) के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया में हजारों लोग इस तरह के अपराधों का शिकार हो चुके हैं। कई लोग अभी भी कैद में हैं और जबरन साइबर फ्रॉड करने पर मजबूर किए जा रहे हैं।

थाईलैंड सरकार के मुताबिक, इस पूरे अपराधी नेटवर्क की वजह से हर दिन करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। साइबर क्राइम की वजह से दुनियाभर में लोगों का भरोसा ऑनलाइन सिस्टम पर कम हो रहा है, जिससे डिजिटल फ्रॉड और बढ़ने की आशंका है।

म्यांमार में इस समय सिविल वॉर (गृहयुद्ध) चल रहा है, जिसमें सरकारी सेना और विद्रोही गुट एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इस माहौल का फायदा उठाकर अपराधी गिरोह साइबर क्राइम सेंटर चला रहे हैं और वहां फंसे हुए लोगों को मजबूर कर रहे हैं।

इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए भारत सरकार और अन्य देशों की सरकारों को मिलकर काम करना होगा। भारत सरकार पहले ही इस मामले में कार्रवाई कर रही है और विदेश मंत्रालय लगातार थाई और म्यांमार सरकार से संपर्क में है। लोगों को भी चाहिए कि वे किसी भी विदेशी नौकरी के ऑफर को स्वीकार करने से पहले पूरी तरह से जांच-पड़ताल करें और किसी भी अनजान ऑफर पर भरोसा न करें।

इस पूरे मामले ने दिखाया कि कैसे साइबर क्राइम नेटवर्क्स निर्दोष लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। यह बेहद जरूरी है कि सरकारें इस पर सख्त कार्रवाई करें और उन सभी भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाया जाए जो इस समय इस खतरनाक जाल में फंसे हुए हैं।

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