USA Deports Indians in Shackles: भारतीयों को बेड़ियों में भेजा!

NCI

USA Deports Indians in Shackles

 अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले भारतीय प्रवासियों को हाल ही में निर्वासित किए जाने की खबर से काफी हलचल मच गई है। डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने 104 भारतीयों को अमेरिका से बाहर निकालकर भारत भेज दिया, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। इनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह भारत का अपमान है? निर्वासित किए गए इन लोगों को अमेरिका से वापस भेजने का तरीका भी विवादों में आ गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोगों को बेड़ियों (shackles) में बांधकर भेजा गया, जो अमानवीय व्यवहार (inhuman treatment) जैसा लगता है। यह घटना अमेरिका की कड़ी आव्रजन नीतियों (immigration policies) की ओर भी इशारा करती है, जहां अवैध प्रवासियों (illegal immigrants) को किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है। भारत में भी इस खबर पर चर्चाओं का दौर जारी है कि क्या अब इन भारतीयों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होगी?

अमेरिका से भेजे गए इन 104 लोगों में हरियाणा से 33, गुजरात से 33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से 3-3, और चंडीगढ़ से 2 लोग शामिल थे। इन सभी लोगों ने अमेरिका में घुसने के लिए अवैध रास्तों (illegal routes) का सहारा लिया था, जिन्हें आमतौर पर ‘डंकी रूट’ (donkey route) कहा जाता है। डंकी रूट का इस्तेमाल वे लोग करते हैं जो बिना वैध दस्तावेजों (valid documents) के अमेरिका जाना चाहते हैं। यह रास्ता खतरनाक और महंगा होता है, लेकिन फिर भी हजारों लोग हर साल इस जोखिम को उठाते हैं। ट्रंप सरकार का कहना है कि अब और भी अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाएगा।

अमेरिका में निर्वासित किए गए भारतीयों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब उनके भविष्य का क्या होगा? क्या वे अब कभी दोबारा अमेरिका जा पाएंगे? क्या उन पर भारत में कोई कानूनी कार्रवाई होगी? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी ने फर्जी दस्तावेजों (fake documents) का इस्तेमाल किया है या पासपोर्ट में छेड़छाड़ की है, तो उन पर पासपोर्ट अधिनियम (Passport Act) के तहत मामला दर्ज हो सकता है। लेकिन अगर उनके पास वैध भारतीय पासपोर्ट था और उन्होंने केवल अवैध मार्ग से अमेरिका में प्रवेश किया था, तो उन पर भारत में कोई कार्रवाई नहीं होगी।

डंकी रूट से अमेरिका जाने वाले अधिकतर लोग पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों से होते हैं। इन राज्यों में कई ट्रेवल एजेंट्स (travel agents) हैं, जो लोगों को अमेरिका भेजने के नाम पर लाखों रुपये वसूलते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो लोग अमेरिका गए थे, उन्होंने एजेंट्स को 70 से 80 लाख रुपये तक चुकाए थे। अब सवाल यह भी है कि क्या इन एजेंट्स के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? क्या सरकार अवैध प्रवासन (illegal migration) को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगी?

डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने वाले लोगों को कई जोखिमों (risks) का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग तुर्की (Turkey) के रास्ते मेक्सिको (Mexico) पहुंचते हैं, फिर वहां से पैदल चलकर अमेरिका में प्रवेश करते हैं। इस पूरे सफर में 80 लाख रुपये तक का खर्च आता है और इसमें कई महीनों तक इंतजार करना पड़ता है। दूसरा रास्ता अफ्रीका और लैटिन अमेरिका (Latin America) के जंगलों से होकर गुजरता है, जहां लोगों को कई खतरों से जूझना पड़ता है। तीसरा तरीका कनाडा (Canada) के जरिए अमेरिका जाने का होता है, जिसमें एजेंट्स नकली यूनिवर्सिटी एडमिशन (fake university admission) के नाम पर वीजा दिलवाते हैं और फिर अवैध तरीके से अमेरिकी सीमा पार करवाई जाती है।

अब सवाल उठता है कि लोग इतनी परेशानी झेलकर अमेरिका जाने को क्यों तैयार रहते हैं? इसका जवाब है – बेहतर जीवन की तलाश। अमेरिका में रोजगार के अवसर, उच्च जीवन स्तर और डॉलर में कमाई का सपना ही लोगों को इतने बड़े जोखिम उठाने पर मजबूर करता है। हालांकि, कई लोग वहां जाकर मामूली नौकरियां (odd jobs) ही कर पाते हैं, जैसे पेट्रोल पंप, रेस्तरां और दुकानों में काम करना।

जो भारतीय अब वापस आ चुके हैं, वे अपनी कमाई गंवा चुके हैं और अब उन्हें नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करनी होगी। ट्रंप सरकार के इस कदम पर भारत की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण होगी। क्या भारत सरकार अमेरिका से इस अमानवीय व्यवहार पर सवाल उठाएगी? क्या वह भविष्य में भारतीय नागरिकों को इस तरह से निर्वासित किए जाने से बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी?

इस पूरे मामले से साफ है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों के लिए अब और मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। ट्रंप प्रशासन (Trump administration) ने स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें वापस भेजा जाएगा। अब देखना होगा कि भारत सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या कोई ठोस नीति बनाकर लोगों को अवैध रूप से विदेश जाने से रोकती है या नहीं। इस मामले पर आगे भी चर्चा जारी रहेगी और भविष्य में इस पर और कड़े फैसले लिए जा सकते हैं।

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