Tesla vs Tata-Mahindra: टाटा और महिंद्रा को चुनौती!

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Tesla vs Tata-Mahindra

 भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि टेस्ला (Tesla) आखिरकार भारतीय बाजार में प्रवेश करने की तैयारी कर रही है। इलोन मस्क (Elon Musk) की इस कंपनी की एंट्री को लेकर पिछले कई वर्षों से चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन अब हालात ऐसे बनते दिख रहे हैं कि यह एंट्री महज अफवाह नहीं, बल्कि हकीकत बनने जा रही है। टेस्ला की इस संभावित एंट्री से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में हलचल मच गई है, जहां पहले से ही टाटा मोटर्स (Tata Motors) और महिंद्रा (Mahindra) जैसी दिग्गज कंपनियां इस सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि टेस्ला का भारतीय बाजार में स्वागत किस रूप में होगा, क्या यह घरेलू कंपनियों के लिए खतरा साबित होगी, और क्या भारतीय ग्राहक टेस्ला को हाथों-हाथ लेंगे?

टेस्ला के भारत में आने की अटकलें पहली बार 2019 में लगी थीं, जब इलोन मस्क ने एक ट्वीट के जरिए संकेत दिया था कि उनकी कंपनी जल्द ही भारतीय बाजार में कदम रखेगी। इसके बाद, 2021 में टेस्ला इंडिया मोटर्स एंड एनर्जी के नाम से बेंगलुरु में एक यूनिट को रजिस्टर भी किया गया। भारतीय सरकार ने भी टेस्ला को आकर्षित करने की पूरी कोशिश की, जहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यदि टेस्ला भारत में अपना उत्पादन प्लांट स्थापित करती है, तो सरकार उसकी उत्पादन लागत को चीन की तुलना में कम करने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं और इंसेंटिव (Incentives) देने को तैयार है। इसके बावजूद, टेस्ला और भारतीय सरकार के बीच हाई इम्पोर्ट ड्यूटीज (Import Duties) को लेकर लगातार खींचतान चलती रही, जिससे इसकी एंट्री टलती रही। लेकिन इस बार मामला अलग नजर आ रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इलोन मस्क की हाल ही में हुई बैठक के बाद भारतीय सरकार ने EV निर्माताओं को लुभाने के लिए अपने आयात शुल्क नियमों में बदलाव किया है।

भारत वर्तमान में विदेशों से आयात की जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70% से 110% तक का टैक्स लगाता है। लेकिन सरकार ने अब इसमें कटौती करते हुए इसे घटाकर 15% करने का निर्णय लिया है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। इनमें सबसे प्रमुख शर्त यह है कि केवल उन्हीं इलेक्ट्रिक कारों पर यह कम टैक्स लागू होगा, जिनकी कीमत $35,000 (करीब 29 लाख रुपये) या उससे अधिक होगी। इसके अलावा, कंपनी को हर साल केवल 8,000 कारों का ही आयात करने की अनुमति होगी और उसे भारत में कम से कम 500 मिलियन डॉलर (लगभग 4,150 करोड़ रुपये) का निवेश करना होगा। इसके अलावा, तीन साल के भीतर कंपनी को भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी स्थापित करना होगा। यह नीतिगत बदलाव न केवल टेस्ला बल्कि अन्य विदेशी EV कंपनियों के लिए भी भारतीय बाजार में कदम रखने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

टेस्ला की इस संभावित एंट्री को देखते हुए भारतीय राज्यों में भी होड़ मची हुई है। महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्य टेस्ला को अपने यहां फैक्ट्री लगाने के लिए आकर्षक पैकेज ऑफर कर रहे हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि टेस्ला जैसी कंपनी का आगमन भारत में EV टेक्नोलॉजी और सप्लाई चेन को पूरी तरह से बदल सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेस्ला पहले ही भारत में अपने शोरूम के लिए संभावित स्थानों की तलाश में जुट गई है, जहां दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु प्रमुख शहरों के रूप में उभरकर सामने आए हैं।

लेकिन जहां एक ओर टेस्ला की एंट्री से संभावनाएं हैं, वहीं कुछ चिंताएं भी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार विदेशी कंपनियों को ज्यादा रियायतें देती है, तो भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है। इसका उदाहरण ऑस्ट्रेलिया से लिया जा सकता है, जहां पहले 1987 में घरेलू वाहन निर्माताओं की बाजार हिस्सेदारी 89% थी, लेकिन सरकार द्वारा इम्पोर्ट टैरिफ घटाने के बाद यह इंडस्ट्री धीरे-धीरे खत्म हो गई। आज ऑस्ट्रेलिया में लगभग सभी कारें इम्पोर्टेड होती हैं। हालांकि, भारत की स्थिति ऑस्ट्रेलिया से अलग है, क्योंकि यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता और तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसके अलावा, 1991 के आर्थिक सुधारों के दौरान भी यही तर्क दिया गया था कि विदेशी प्रतिस्पर्धा से भारतीय कंपनियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन हुआ इसके विपरीत। भारतीय कंपनियों ने खुद को ग्लोबल लेवल पर मजबूत किया और टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन (Technological Upgradation) की दिशा में तेजी से आगे बढ़ीं।

अगर टेस्ला की भारत में एंट्री होती है, तो यह महिंद्रा और टाटा जैसी कंपनियों के लिए एक नई चुनौती होगी। फिलहाल, भारतीय EV बाजार में टाटा मोटर्स का दबदबा है, जिसकी EV सेगमेंट में हिस्सेदारी 70% से अधिक है। महिंद्रा भी इस बाजार में तेजी से निवेश कर रही है और अपनी इलेक्ट्रिक SUV रेंज को विस्तार दे रही है। दूसरी ओर, BYD जैसी चीनी कंपनियां भी धीरे-धीरे भारतीय EV स्पेस में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही हैं। टेस्ला की एंट्री से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध होंगे और EV टेक्नोलॉजी में तेजी से सुधार होगा।

लेकिन टेस्ला के सामने भी कई चुनौतियां होंगी। भारतीय EV बाजार अभी शुरुआती दौर में है, जहां EV की कुल हिस्सेदारी मात्र 2.4% है, जबकि चीन में यह 30% और अमेरिका में 9.5% तक पहुंच चुकी है। भारत में EV इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी विकसित नहीं हुआ है, खासकर चार्जिंग स्टेशन की कमी एक बड़ी समस्या है। टेस्ला को अगर यहां सफल होना है, तो उसे अपने सुपरचार्जर नेटवर्क (Supercharger Network) को भारत में भी विकसित करना होगा।

इतना ही नहीं, टेस्ला की ग्लोबल परफॉर्मेंस भी सवालों के घेरे में है। अमेरिका में टेस्ला की बाजार हिस्सेदारी 2022 में 75% थी, जो 2024 में घटकर 50% से नीचे आ गई है। यूरोप में भी इसकी सेल्स लगातार गिर रही है, जहां स्पेन में 75%, जर्मनी में 59.5% और फ्रांस में 63.4% की गिरावट दर्ज की गई है। चीन में भी टेस्ला के लिए BYD जैसी कंपनियां कड़ी चुनौती पेश कर रही हैं। ऐसे में, भारतीय बाजार में टेस्ला को लंबी और कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि, टेस्ला की ब्रांड वैल्यू इसे एक बढ़त जरूर दे सकती है। भारतीय बाजार में अक्सर यह देखा गया है कि ग्राहकों के ब्रांड के प्रति झुकाव के कारण कई महंगे प्रोडक्ट्स भी मेनस्ट्रीम बन गए हैं। पहले बजाज केटीएम और रॉयल एनफील्ड जैसी बाइक्स को भी प्रीमियम माना जाता था, लेकिन आज ये आम हो चुकी हैं। अगर टेस्ला भारतीय ग्राहकों के बजट के अनुसार अपनी कारों की कीमतें तय करती है, तो यह ब्रांड वैल्यू के चलते तेजी से लोकप्रिय हो सकती है। खबरों के अनुसार, टेस्ला भारत में अपनी सबसे सस्ती कार करीब 25-30 लाख रुपये में लॉन्च कर सकती है, जिससे यह अधिक से अधिक लोगों की पहुंच में आ सकती है।

अब देखना यह होगा कि क्या टेस्ला भारतीय EV बाजार में अपनी जगह बना पाती है या यह भी जनरल मोटर्स (General Motors), फोर्ड (Ford) और हार्ले डेविडसन (Harley Davidson) जैसी कंपनियों की तरह असफल होकर वापसी कर लेगी। भारतीय EV बाजार अभी विकास के चरण में है, और आने वाले वर्षों में यह सेक्टर किस दिशा में जाएगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।

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