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Russia’s Biggest Attack on Ukraine! |
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष एक नए स्तर पर पहुंच चुका है, जिसमें हाल ही में रूस ने यूक्रेन पर 270 से अधिक ड्रोन और कई मिसाइलें दागी हैं। इस हमले को यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने भी इस बात की पुष्टि की है और कहा कि रूस अब उनकी सेना की हवाई क्षमता को पूरी तरह खत्म करना चाहता है। इस हमले में 140 से अधिक ड्रोन को यूक्रेन ने निष्क्रिय कर दिया, लेकिन शेष ड्रोन और मिसाइलों ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि पिछले एक महीने में रूस ने यूक्रेन पर 11,500 से अधिक ड्रोन हमले किए हैं, साथ ही 1,500 गाइडेड बम (guided bombs) और 35 मिसाइलें भी दागी गई हैं। रूस की इस रणनीति का उद्देश्य यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणाली को कमजोर करना है ताकि भविष्य में उसे और भी बड़े हमले करने में आसानी हो।
यूक्रेन और रूस के इस युद्ध में एक और मोड़ तब आया जब ज़ेलेंस्की ने कहा कि वे इस्तीफा देने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने एक शर्त रखी कि यदि उनका इस्तीफा देने से यूक्रेन नाटो (NATO) में शामिल हो सकता है, तो वे इस पर विचार करेंगे। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने की संभावना बढ़ रही है। ट्रंप पहले भी यूक्रेन के समर्थन में कम दिलचस्पी दिखा चुके हैं और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति उनका झुकाव स्पष्ट रहा है। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को कठोर शब्दों में चेतावनी दी है और यहां तक कह दिया कि यूक्रेन को अमेरिका द्वारा दी गई आर्थिक मदद का हिसाब देना होगा। ट्रंप ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन ने अमेरिका द्वारा दिए गए 100 अरब डॉलर (billion dollars) में से आधे का सही उपयोग नहीं किया है और बाकी का हिसाब मांगा है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में मौजूद खनिज संसाधनों (minerals) पर अमेरिका का अधिकार होना चाहिए। ज़ेलेंस्की ने इस मांग को ठुकरा दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि अमेरिका और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ सकता है।
यूक्रेन की मौजूदा स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है। रूस लगातार अपने हमले तेज कर रहा है, जबकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से मिलने वाली आर्थिक और सैन्य सहायता पर अनिश्चितता बढ़ रही है। ट्रंप ने साफ संकेत दिए हैं कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो यूक्रेन को अमेरिका की ओर से मिलने वाली मदद में भारी कटौती हो सकती है। इस स्थिति में यूक्रेन का बचाव करना और भी मुश्किल हो सकता है। रूस की रणनीति भी बहुत चतुराई भरी है। वह अपने नागरिकों को युद्ध में भेजने के बजाय ईरान और उत्तर कोरिया से सैनिकों की भर्ती कर रहा है, जबकि यूक्रेन के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है। यूक्रेन के सैनिक आम नागरिक हैं जो अपने देश की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन अब उनमें भी युद्ध को खत्म करने की मांग बढ़ रही है।
यूक्रेन और रूस का यह युद्ध लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन अब इसके भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद आने वाले कुछ महीनों में इसमें कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ज़ेलेंस्की पर अब इस्तीफे का दबाव भी बढ़ता जा रहा है, क्योंकि ट्रंप और अमेरिका के अन्य नेता उन्हें लेकर कड़ा रुख अपना रहे हैं। यूक्रेन की जनता भी अब इस युद्ध से थक चुकी है और वहां असंतोष बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ज़ेलेंस्की वास्तव में इस्तीफा देंगे और यदि हां, तो क्या इससे युद्ध समाप्त होगा या फिर रूस और आक्रामक हो जाएगा?
इस पूरे परिदृश्य में रूस का फायदा होता दिख रहा है। पुतिन जानते हैं कि ट्रंप के सत्ता में आने से उन्हें पश्चिमी देशों की ओर से कम विरोध झेलना पड़ेगा। यही कारण है कि रूस अब आक्रामक रुख अपनाकर यूक्रेन पर लगातार हमले कर रहा है ताकि वह जल्द से जल्द अपनी सैन्य और रणनीतिक स्थिति मजबूत कर सके। अगर अमेरिका ने यूक्रेन की मदद बंद कर दी, तो रूस के लिए जीत की संभावना बढ़ जाएगी।
यूक्रेन की जनता इस समय कठिन दौर से गुजर रही है। युद्ध की वजह से वहां की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है, लाखों लोग बेघर हो चुके हैं और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। इस युद्ध का प्रभाव सिर्फ यूक्रेन और रूस तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अगर रूस यूक्रेन को अपने कब्जे में ले लेता है या उसे आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर देता है, तो यह अन्य देशों के लिए भी एक बड़ा संकेत होगा कि भविष्य में वैश्विक शक्ति संतुलन (global power balance) बदल सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले हफ्तों में क्या ज़ेलेंस्की इस्तीफा देते हैं और अगर देते हैं तो क्या इससे यूक्रेन की स्थिति में कोई सुधार आता है या फिर यह युद्ध और भी जटिल हो जाता है। दूसरी ओर, अगर ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं, तो यूक्रेन की मदद कम हो सकती है और इससे रूस को और अधिक फायदा हो सकता है। कुल मिलाकर, यह युद्ध एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है और आने वाले महीनों में इसमें बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।