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NVIDIA Crushed! |
हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है, जिसने NVIDIA जैसी दिग्गज कंपनी को भारी नुकसान पहुंचाया है। एक नई AI चिप ने NVIDIA के GPU (Graphics Processing Unit) को पीछे छोड़ते हुए 57 गुना तेज़ प्रदर्शन किया है, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या अब AI कंप्यूटिंग का भविष्य GPUs के बजाय नई तकनीक पर आधारित होगा। इस क्रांतिकारी बदलाव के पीछे Cerebras Systems नामक एक कंपनी है, जिसने यह साबित कर दिया है कि GPUs अब AI के लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं रह गए हैं। Cerebras ने एक नई वेफर-स्केल AI प्रोसेसर विकसित किया है, जो DeepSeek R1 नामक एक शक्तिशाली AI मॉडल को अभूतपूर्व गति से चलाने में सक्षम है।
DeepSeek R1 कोई साधारण AI मॉडल नहीं है, यह सिर्फ टेक्स्ट, इमेज और कोड जनरेट करने के लिए नहीं बनाया गया है, बल्कि यह तर्क (reasoning) पर आधारित है। पारंपरिक AI मॉडल, जैसे ChatGPT या Gemini, मुख्य रूप से अगले शब्द की भविष्यवाणी करने पर केंद्रित होते हैं, जबकि DeepSeek R1 जटिल समस्याओं को हल करने, डेटा का गहन विश्लेषण करने और बहु-स्तरीय तार्किक (multi-step logical) निर्णय लेने में सक्षम है। इस मॉडल की लागत भी बेहद कम है। रिपोर्टों के अनुसार, यह अमेरिकी कंपनियों की तुलना में केवल 1% लागत पर कार्य करता है, जबकि OpenAI और Google जैसी कंपनियां अरबों डॉलर खर्च कर रही हैं। इसने इसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बना दिया है, लेकिन एक बड़ा मुद्दा यह है कि DeepSeek चीन में विकसित किया गया है। इसका मतलब यह है कि जो भी कंपनी इसका उपयोग करती है, उसका डेटा सीधे चीनी सर्वरों पर जा सकता है, जिससे डेटा सुरक्षा और भू-राजनीतिक (geopolitical) विवादों की आशंका बढ़ जाती है।
यहीं पर Cerebras Systems ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने DeepSeek R1 को पूरी तरह से अमेरिकी सर्वरों पर होस्ट करने का तरीका खोज लिया है, जिससे कंपनियां इस शक्तिशाली AI मॉडल का उपयोग कर सकती हैं, वह भी बिना किसी सुरक्षा जोखिम के। लेकिन Cerebras ने यह कैसे किया? इसका उत्तर है उनकी वेफर-स्केल AI प्रोसेसर चिप, जो कि NVIDIA के GPUs से पूरी तरह अलग है।
पारंपरिक GPUs का उपयोग AI में मुख्य रूप से इसलिए किया जाता रहा है क्योंकि वे गणना करने की क्षमता (computational power) प्रदान करते हैं। लेकिन एक समस्या यह है कि GPUs मूल रूप से ग्राफिक्स प्रोसेसिंग के लिए डिज़ाइन किए गए थे, न कि AI इंफ्रेंस (inference) के लिए। AI वर्कलोड्स में उच्च मेमोरी बैंडविड्थ (memory bandwidth) और तेज डेटा ट्रांसफर की आवश्यकता होती है, जिसमें GPUs अक्सर अड़चनें (bottlenecks) उत्पन्न करते हैं। जैसे-जैसे AI मॉडल अधिक जटिल होते जा रहे हैं, इन सीमाओं का प्रभाव अधिक स्पष्ट हो रहा है।
Cerebras ने इस समस्या को एक नए दृष्टिकोण से हल किया। NVIDIA GPUs में छोटे-छोटे चिप्स के क्लस्टर्स का उपयोग किया जाता है, जो डेटा ट्रांसफर में देरी का कारण बनते हैं। इसके विपरीत, Cerebras ने दुनिया की सबसे बड़ी AI प्रोसेसर चिप विकसित की, जो एक ही बड़े वेफर-स्केल (wafer-scale) चिप पर काम करती है। इस डिज़ाइन के कारण, AI मॉडल्स बिना किसी देरी के एक ही प्रोसेसर पर चलते हैं, जिससे गति में जबरदस्त वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, DeepSeek R1 को NVIDIA के GPU पर चलाने पर यह केवल 28 टोकन प्रति सेकंड प्रोसेस कर सकता था, जबकि Cerebras के AI प्रोसेसर पर यह गति 1,600 टोकन प्रति सेकंड तक पहुँच गई। यह प्रदर्शन NVIDIA से 57 गुना तेज है।
यह सिर्फ DeepSeek R1 तक ही सीमित नहीं है। Cerebras का वेफर-स्केल प्रोसेसर OpenAI के GPT-4 और अन्य प्रमुख AI मॉडलों को भी कई मामलों में पीछे छोड़ रहा है। गणितीय तर्क (mathematical reasoning), जटिल प्रश्नों के उत्तर देने की क्षमता और AI कोडिंग जैसे क्षेत्रों में यह अग्रणी बन चुका है। जब इसकी तुलना Groq नामक एक अन्य AI चिप कंपनी से की गई, तो यह पाया गया कि Cerebras छह गुना तेज़ था। वहीं, पारंपरिक GPU आधारित समाधानों की तुलना में यह लगभग 100 गुना तेज़ है।
लेकिन इस नई तकनीक के उभरने से NVIDIA को भारी झटका लगा है। जब निवेशकों को यह एहसास हुआ कि AI कंप्यूटिंग के लिए GPUs अब सबसे अच्छा विकल्प नहीं रह गए हैं, तो NVIDIA के शेयरों में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली। कंपनी के बाजार मूल्य (market value) में 600 अरब डॉलर का नुकसान हुआ, जो अब तक की सबसे बड़ी गिरावट थी। इससे यह संकेत मिलता है कि AI उद्योग अब नए हार्डवेयर समाधानों की ओर बढ़ रहा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या NVIDIA इस बदलाव के साथ तालमेल बिठा पाएगा या फिर AI हार्डवेयर के भविष्य में उसकी भूमिका सीमित हो जाएगी? अब तक, NVIDIA ने AI के क्षेत्र में GPUs पर अपना प्रभुत्व कायम रखा था, लेकिन अब Cerebras, Groq और अन्य AI चिप निर्माताओं ने यह साबित कर दिया है कि विशेष रूप से AI के लिए डिज़ाइन किए गए प्रोसेसर अधिक कुशल और प्रभावी हैं। Google, Amazon और Microsoft जैसी कंपनियां भी अब अपने AI प्रोसेसर विकसित कर रही हैं। Google ने अपने टेन्सर प्रोसेसिंग यूनिट्स (TPUs) बनाए हैं, जो मशीन लर्निंग (machine learning) के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं। Amazon के पास Tranium और Inferentia नामक AI चिप्स हैं, जबकि Microsoft ने अपना Maya AI चिप विकसित किया है।
इन सभी घटनाओं से यह साफ होता जा रहा है कि AI अब केवल GPUs पर निर्भर नहीं रहेगा। यदि कंपनियां GPUs से हटकर AI-विशेष चिप्स का उपयोग करने लगती हैं, तो NVIDIA अपनी सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी खो सकता है। फिलहाल, NVIDIA अभी भी AI ट्रेनिंग में अग्रणी बना हुआ है, लेकिन जैसे-जैसे AI इंफ्रेंसिंग (AI inference) अधिक कुशल और व्यापक हो रही है, कंपनियां तेजी से तेज़ और सस्ते विकल्पों की तलाश कर रही हैं।
क्या NVIDIA अपनी मौजूदा स्थिति को बचाने के लिए कोई नया AI-विशेष चिप विकसित कर पाएगा, या फिर वह धीरे-धीरे AI हार्डवेयर बाजार में अपना प्रभुत्व खो देगा? यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है। एक बात तो निश्चित है कि GPUs अब AI के लिए अनिवार्य नहीं रह गए हैं। AI हार्डवेयर का भविष्य अब वेफर-स्केल प्रोसेसर, AI-विशेष चिप्स और तेज़तर AI इंफ्रेंसिंग समाधानों की ओर बढ़ रहा है।
इसके अलावा, इस पूरी प्रतिस्पर्धा में एक और महत्वपूर्ण पहलू उभर रहा है – डेटा संप्रभुता (data sovereignty) और अमेरिका-चीन के बीच AI युद्ध। अमेरिका लंबे समय से चीन की तकनीक पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है, खासकर डेटा सुरक्षा के मुद्दे को लेकर। TikTok के मालिक ByteDance को अमेरिकी सरकार द्वारा कई बार डेटा सुरक्षा के मामलों में जांच का सामना करना पड़ा है। इसी तरह, अब DeepSeek जैसे AI मॉडलों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
Cerebras Systems ने इस मुद्दे को भुनाते हुए DeepSeek R1 को अमेरिकी सर्वरों पर होस्ट करके अमेरिकी कंपनियों को एक सुरक्षित विकल्प दिया है। यह सिर्फ व्यापार की बात नहीं है, बल्कि वैश्विक AI प्रभुत्व की होड़ भी है। अब यह केवल तेज़ AI मॉडल बनाने की दौड़ नहीं है, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण हो गया है कि इन मॉडलों को कौन नियंत्रित करता है और डेटा किसके पास सुरक्षित रहता है।
भविष्य में, AI हार्डवेयर के क्षेत्र में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। NVIDIA को अब GPUs से आगे बढ़कर नए AI-विशेष चिप्स विकसित करने की दिशा में काम करना होगा, अन्यथा Cerebras, Google, Amazon और Microsoft जैसी कंपनियां उसे पूरी तरह से पीछे छोड़ सकती हैं। AI हार्डवेयर की इस नई दौड़ में कौन जीतेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात स्पष्ट है – AI कंप्यूटिंग की दुनिया बदल चुकी है।