India in Danger! जुवेनाइल अपराध की खौफनाक हकीकत!

NCI

India in Danger!

 भारत में अपराध के बढ़ते मामलों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। विशेष रूप से नाबालिगों (juveniles) द्वारा किए जा रहे अपराधों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि भारत में जुवेनाइल क्राइम (juvenile crime) तेजी से बढ़ रहा है और इसमें सबसे अधिक अपराध 16 से 18 वर्ष की आयु के युवाओं द्वारा किए जा रहे हैं। यह केवल दिल्ली या बड़े शहरों की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश में यह प्रवृत्ति देखी जा रही है। सोशल मीडिया, कमजोर कानून व्यवस्था और पारिवारिक उपेक्षा इस स्थिति को और भी विकराल बना रहे हैं।

समाज में अपराधों की बढ़ती संख्या में नाबालिगों की भागीदारी कई गंभीर प्रश्न खड़े करती है। एक हालिया मामला दिल्ली में सामने आया, जहां एक किशोर ने 50 से अधिक बार किसी पर चाकू से वार किया और उसकी लाश के ऊपर खड़े होकर नाचता रहा। यह घटना समाज में व्याप्त हिंसा और संवेदनहीनता को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है, क्योंकि यहां अपराधियों को महिमामंडित किया जाता है। नाबालिग अपराधी जब देखते हैं कि समाज में गैंगस्टरों (gangsters) और अपराधियों को ग्लोरीफाई (glorify) किया जा रहा है, तो वे भी उसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।

अक्सर देखा गया है कि बड़े अपराधी गिरोह (criminal gangs) नाबालिगों को अपने जाल में फंसाकर अपराध करवाते हैं। चूंकि भारतीय कानूनों के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वयस्कों की तरह दंडित नहीं किया जा सकता, इसलिए अपराधी गैंग इनका फायदा उठाते हैं। ये गिरोह नाबालिगों से चोरी, हत्या और ड्रग्स की तस्करी (drug trafficking) जैसे गंभीर अपराध करवाते हैं, क्योंकि इन्हें कठोर सजा नहीं मिलती। पुलिस भी माइनर्स (minors) से गहन पूछताछ नहीं कर सकती, जिससे ये अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। यही कारण है कि आज जुवेनाइल अपराधी बिना किसी डर के खुलेआम वारदात कर रहे हैं।

भारत में कानून व्यवस्था की कमजोरी भी इस समस्या को बढ़ावा दे रही है। वर्तमान जुवेनाइल लॉ (Juvenile Law) में कई खामियां हैं, जिनका फायदा अपराधी उठाते हैं। यदि कोई 16-17 साल का किशोर गंभीर अपराध करता है, तो उसे भी अधिकतम 3 साल की सजा ही दी जाती है, जो कि बहुत कम है। कई मामलों में तो अपराधी केवल सुधार गृह (juvenile home) में रखे जाते हैं, जहां उनका सही तरीके से सुधार नहीं हो पाता। अपराध विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि इस कानून में बदलाव किया जाए। जो किशोर अपराधों में संलिप्त पाए जाते हैं, उन्हें वयस्क अपराधियों की तरह ही कठोर सजा दी जानी चाहिए, ताकि अपराध करने से पहले वे सौ बार सोचें।

समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ते अपराधों के पीछे पारिवारिक विघटन, सामाजिक वातावरण और अनुशासन की कमी बड़ी भूमिका निभा रही है। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के प्रभाव से बचाने में असफल रहते हैं। बच्चे छोटी उम्र में ही हिंसक वीडियो गेम्स, वेब सीरीज और गैंगस्टर कल्चर (gangster culture) से प्रभावित हो जाते हैं। जब वे देखते हैं कि अपराध करने से प्रसिद्धि (fame) मिलती है, तो वे भी अपराध के रास्ते पर बढ़ने लगते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्मों और वेब सीरीज का किशोरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे उनमें हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

आज के समय में किशोर अपराधी चोरी, स्नैचिंग (snatching), हत्या और बलात्कार तक में शामिल हो रहे हैं। दिल्ली में एक मामला सामने आया, जहां एक 16 साल के लड़के ने सिर्फ इसलिए अपने दोस्त को मार डाला क्योंकि वह उसके नए मोबाइल फोन की पार्टी नहीं दे रहा था। इसी तरह, कुछ समय पहले एक किशोर ने अपने पड़ोसी को चाकू मार दिया क्योंकि उसने उसे रास्ता देने के लिए कहा था। ये घटनाएं बताती हैं कि किशोरों में धैर्य (patience) और सहनशीलता (tolerance) खत्म होती जा रही है, जिससे वे छोटी-छोटी बातों पर हिंसक हो जाते हैं।

दिल्ली अपराध आंकड़ों के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच 259 नाबालिग हत्या, हत्या के प्रयास, लूट और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में शामिल पाए गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर महीने औसतन 40 हत्याएं दिल्ली में हो रही हैं, जिनमें से 3-4 जुवेनाइल द्वारा की जा रही हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि यदि इस पर जल्द ही कड़ा कदम नहीं उठाया गया, तो भविष्य और भी भयावह हो सकता है।

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा। सबसे पहले, भारत में जुवेनाइल लॉ में सुधार किया जाना चाहिए। 16 साल से अधिक उम्र के किशोर यदि कोई गंभीर अपराध करते हैं, तो उन्हें वयस्क अपराधियों की तरह ही कठोर दंड मिलना चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों में नैतिक शिक्षा (moral education) को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए, जिससे बच्चों को सही और गलत का ज्ञान हो सके। माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखें और उन्हें सही मार्गदर्शन दें।

पुलिस को भी आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाना चाहिए, जिससे वे जुवेनाइल अपराधियों को ट्रैक कर सकें और अपराध होने से पहले ही उसे रोका जा सके। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और उन कंटेंट (content) को प्रतिबंधित करना चाहिए, जो किशोरों में हिंसा को बढ़ावा देते हैं। साथ ही, गैंगस्टर कल्चर का महिमामंडन (glorification) करने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

अंत में, यह समझना जरूरी है कि यदि आज हमने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाले वर्षों में यह एक विकराल रूप ले सकती है। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, लेकिन यदि हमारी युवा पीढ़ी अपराध के रास्ते पर चली गई, तो देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। सरकार, समाज, माता-पिता और स्कूलों को मिलकर इस मुद्दे का हल निकालना होगा। हमें अपने बच्चों को सही दिशा में ले जाना होगा, ताकि वे एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें और देश का नाम रोशन कर सकें, न कि अपराध के अंधेरे में खो जाएं।

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