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India in Danger |
भारत के लिए एक नई चुनौती उभर रही है, क्योंकि पाकिस्तान और रूस के बीच संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं। हाल के दिनों में, दोनों देशों ने कई रणनीतिक और आर्थिक समझौते किए हैं, जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है। पाकिस्तान और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से बहुत अच्छे संबंध नहीं रहे हैं, लेकिन 2010 के बाद से, खासकर व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में आने के बाद, रिश्तों में सुधार देखा गया है। हाल ही में दोनों देशों ने सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे भारत के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
पाकिस्तान और रूस ने एक प्रमुख रेलवे परियोजना पर काम शुरू कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और सैन्य सहयोग में तेजी आ सकती है। यह रेलवे लाइन न केवल माल ढुलाई के लिए बल्कि भविष्य में रणनीतिक उद्देश्यों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। पाकिस्तान पहले ही चीन के साथ मिलकर कई आर्थिक और सामरिक परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्रमुख है। अब रूस के साथ उसके बढ़ते संबंधों से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अपने अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को और मजबूत कर रहा है।
रूस और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा समझौता एंटी-टेररिज्म (anti-terrorism) और सुरक्षा सहयोग को लेकर हुआ है, जो अपने आप में विडंबनापूर्ण लगता है, क्योंकि पाकिस्तान दशकों से आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के आरोपों से घिरा रहा है। इसके बावजूद, रूस ने पाकिस्तान के साथ एक नई सुरक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें ड्रग तस्करी और संगठित अपराध से निपटने के उपायों पर जोर दिया गया है। पाकिस्तान को रूस द्वारा साइबेरिया में ड्रग तस्करी से निपटने के लिए प्रशिक्षण का निमंत्रण भी दिया गया है। यह दिखाता है कि रूस अब पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देख रहा है।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम यह है कि पाकिस्तान और रूस ने एक नई मालगाड़ी सेवा शुरू करने की योजना बनाई है, जो 15 मार्च से चालू होने की उम्मीद है। यह सेवा पाकिस्तान को रूस, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और कजाकिस्तान से जोड़ देगी, जिससे पाकिस्तान को प्राकृतिक गैस, स्टील और अन्य औद्योगिक वस्तुओं की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी। बदले में, पाकिस्तान रूस को अपने कृषि उत्पाद, कपड़ा और खाद्य सामग्री निर्यात कर सकेगा। इस परियोजना के सफल होने पर, भविष्य में यात्री रेल सेवा शुरू करने की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं।
भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि पाकिस्तान का रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बढ़ने से उसकी रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। भारत पहले से ही चीन के बढ़ते प्रभाव और नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के बदलते रुख से परेशान है। नेपाल पहले ही चीन की ओर झुक चुका है, श्रीलंका को चीन ने कर्ज में डुबो दिया है, और अब बांग्लादेश भी पाकिस्तान और चीन के करीब जाता दिख रहा है। यदि रूस भी पाकिस्तान के साथ अपने संबंध और गहरे करता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ा झटका होगा।
भारत का रक्षा क्षेत्र लंबे समय से रूस पर निर्भर रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई विमान और अन्य प्रमुख रक्षा उपकरणों में रूस की भूमिका अहम रही है। हालांकि, भारत अब आत्मनिर्भरता (self-reliance) की ओर बढ़ रहा है, लेकिन रूस की तकनीकी सहायता और रणनीतिक सहयोग अब भी महत्वपूर्ण है। अगर रूस और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग बढ़ता है, तो भारत के लिए यह एक चुनौती बन सकता है।
रूस, पाकिस्तान को अपने कूटनीतिक घेरे में लाने के लिए उत्सुक है, क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती निकटता से रूस असंतुष्ट है। भारत, अमेरिका के साथ अपने रक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रहा है, जिससे रूस को अपने पुराने साझेदार भारत से दूरी महसूस हो रही है। इसके चलते, रूस ने पाकिस्तान और चीन के साथ अपने संबंधों को गहरा करना शुरू कर दिया है। रूस अब चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के साथ मिलकर एक नए वैश्विक गठबंधन की संभावना तलाश रहा है, जिसे अमेरिका "एक्सिस ऑफ एविल" (Axis of Evil) कहता है।
हालांकि, पाकिस्तान के लिए अमेरिका से दूर जाना आसान नहीं होगा। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अमेरिकी वित्तीय सहायता पर निर्भर रही है, और अगर वह पूरी तरह रूस और चीन के खेमे में चला जाता है, तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों और वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद, पाकिस्तान छोटे-छोटे कदम उठाकर अपनी विदेश नीति को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह रूस, चीन और अमेरिका तीनों के साथ अपने हितों को साध सके।
इस पूरी स्थिति में भारत के लिए सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि वह अपनी रणनीतिक स्थिति को कैसे मजबूत रखे। भारत ने हाल ही में "इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर" (IMEC) परियोजना पर काम शुरू किया था, जो भारत को यूरोप और खाड़ी देशों से जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा। लेकिन अब जब पाकिस्तान और रूस एक नई व्यापारिक और सैन्य धुरी (axis) बना रहे हैं, तो भारत के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीति को और अधिक प्रभावी बनाना आवश्यक हो गया है।
यदि पाकिस्तान और रूस के संबंध और गहरे होते हैं, तो यह दक्षिण एशिया की राजनीति को पूरी तरह से बदल सकता है। भारत को अब अपनी विदेश नीति में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी और अपने पारंपरिक साझेदारों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ भारत को अपने संबंधों को सुधारना होगा, ताकि चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके। इसके अलावा, भारत को अपनी रक्षा नीति में भी बदलाव लाना होगा और रूस पर निर्भरता को कम करके अन्य देशों जैसे फ्रांस, अमेरिका और इजराइल के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना होगा।
इस पूरी स्थिति का निष्कर्ष यह है कि पाकिस्तान और रूस के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए एक नई भू-राजनीतिक (geo-political) चुनौती पेश कर रही हैं। यदि भारत इस चुनौती का सामना करने के लिए सक्रिय कदम नहीं उठाता है, तो दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन (balance of power) पूरी तरह से बदल सकता है। भारत को अब अपनी रणनीतिक नीति को और मजबूत बनाना होगा, ताकि वह इस नए उभरते गठबंधन का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके।