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Grow Sesame in Summer |
गर्मी के मौसम में खेती करने वाले किसानों के लिए तिल की खेती एक वरदान साबित हो सकती है। यह फसल कम पानी, कम खाद और कम देखरेख में भी अच्छी पैदावार देती है और मुनाफा भी शानदार होता है। भारतीय बाजारों में तिल की जबरदस्त मांग है, जिसके कारण किसानों को इसका अच्छा दाम भी मिलता है। यही वजह है कि गर्मी के दौरान तिल की खेती करने से किसानों की आमदनी में एक अतिरिक्त और लाभकारी फसल जुड़ सकती है। इस लेख में हम विस्तार से तिल की खेती का विश्लेषण करेंगे, जिसमें लागत, उत्पादन, समय, आमदनी और मुनाफे के बारे में गहराई से चर्चा की जाएगी।
तिल की खेती में सबसे पहला और महत्वपूर्ण पहलू है इसकी लागत। एक एकड़ में तिल की फसल लगाने के लिए कई तरह के खर्चे होते हैं, जिनमें बीज, खाद, खेत की तैयारी, स्प्रे, खरपतवार नियंत्रण और कटाई शामिल हैं। अगर किसान हाइब्रिड किस्म के बीजों का उपयोग करता है तो उसे लगभग 1.5 किलो बीज की आवश्यकता होगी, जिसकी कीमत करीब 675 रुपये आएगी। खेत की तैयारी के लिए मशीनों का उपयोग करना अनिवार्य होता है, खासकर रोटावेटर चलाना, जिससे मिट्टी में पहले की फसल के बचे हुए अवशेष अच्छे से मिल जाते हैं और जमीन उपजाऊ बनती है। खाद और उर्वरकों में बेसल डोज के रूप में एनपीके (NPK) 12-32-16 को 40 किलो प्रति एकड़ और सल्फर को 5 किलो प्रति एकड़ उपयोग करने की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा, यूरिया का उपयोग दो चरणों में किया जाता है – पहले 25-30 दिन के अंतराल पर 40 किलो प्रति एकड़ और फिर 40-45 दिन के अंतराल पर 25 किलो प्रति एकड़। कीट और रोग नियंत्रण के लिए आवश्यक कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों की कीमत भी खेती की लागत में जुड़ती है। इसके अतिरिक्त, कटाई और ट्रांसपोर्टेशन में होने वाला खर्च जोड़ने पर कुल लागत लगभग 12,000 से 15,000 रुपये प्रति एकड़ आती है।
अब बात करें उत्पादन की, तो यदि किसान सही समय पर तिल की खेती करता है, उचित मात्रा में खाद और उर्वरक देता है और फसल की उचित देखभाल करता है तो वह एक एकड़ से लगभग 4 क्विंटल तिल का उत्पादन प्राप्त कर सकता है। हालांकि, उत्पादन पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि फसल को कितनी अच्छी देखरेख और कितनी अनुकूल जलवायु परिस्थितियां मिलती हैं। तिल की खेती के लिए उचित समय और जलवायु का चुनाव करना भी बहुत आवश्यक है। यह फसल दो सीजन में उगाई जाती है – जायद (गर्मी) और खरीफ (मानसून)। जायद सीजन के दौरान तिल की बुवाई फरवरी के अंत या मार्च के पहले सप्ताह में करनी चाहिए ताकि मानसून आने से पहले ही फसल तैयार हो जाए। तिल की फसल को परिपक्व होने में लगभग 90 दिन लगते हैं, यानी अगर बुवाई फरवरी के अंत में की जाए तो मई के अंत तक कटाई की जा सकती है।
अब हम आमदनी का विश्लेषण करें तो भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के अनुसार तिल का मूल्य 9,267 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। हालांकि, बाजार में मांग अधिक होने के कारण किसानों को कई बार इससे भी अधिक दाम मिल सकते हैं। यदि हम एमएसपी के आधार पर गणना करें, तो 4 क्विंटल उत्पादन के हिसाब से एक एकड़ की कुल आमदनी लगभग 37,068 रुपये होगी। अब यदि इसमें से लागत घटा दी जाए, जो कि 12,000 से 15,000 रुपये के बीच है, तो किसानों को प्रति एकड़ लगभग 22,000 से 25,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा हो सकता है। यदि इसे मासिक मुनाफे के रूप में देखें तो किसान तीन महीनों में लगभग 8,000 रुपये प्रति माह कमा सकता है, जो कि गर्मी के मौसम में एक अच्छी अतिरिक्त आय साबित हो सकती है।
तिल की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि इसमें पानी की खपत भी बहुत कम होती है, जिससे यह सूखे या कम वर्षा वाले क्षेत्रों के किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन जाता है। इसके अलावा, तिल की फसल में ज्यादा कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों की जरूरत नहीं होती, जिससे यह जैविक खेती (organic farming) के लिए भी उपयुक्त होती है। जैविक तरीके से उगाए गए तिल की बाजार में काफी अधिक मांग होती है और इसका मूल्य भी सामान्य तिल की तुलना में अधिक मिलता है।
तिल की खेती के अन्य लाभों की बात करें तो यह भूमि की उर्वरता बनाए रखने में भी मददगार होती है, क्योंकि यह मिट्टी की संरचना में सुधार करती है और अगली फसलों के लिए भूमि को तैयार करने में सहायक होती है। इसके अलावा, तिल का उपयोग खाद्य तेल, तिल के लड्डू, तिल के तेल से बने औषधीय उत्पाद और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है, जिससे इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। तिल के बीजों में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है।
इस प्रकार, अगर किसान सही समय पर तिल की बुवाई करें, उचित उर्वरकों और खाद का प्रयोग करें, फसल की सही देखभाल करें और उचित कीटनाशक तथा सिंचाई प्रणाली अपनाएं, तो वे तिल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में बढ़ती तिल की मांग को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्षों में तिल की खेती किसानों के लिए और भी लाभदायक साबित हो सकती है। अगर किसानों को सही जानकारी और प्रशिक्षण मिले तो वे तिल की खेती को एक प्रमुख नकदी फसल (cash crop) के रूप में अपना सकते हैं। कुल मिलाकर, तिल की खेती गर्मी के मौसम में कम लागत, कम पानी और कम देखभाल में अच्छी कमाई का एक शानदार विकल्प है, जिसे अपनाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत कर सकते हैं।