Grow Just 2 Crops & Earn ₹2.5 Lakh! खेती का नया फॉर्मूला जानें

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किसान भाइयों के लिए खेती सिर्फ आजीविका का साधन नहीं, बल्कि एक सुनहरा अवसर भी हो सकता है, अगर सही फसल का चुनाव और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया जाए। अगर आप फरवरी-मार्च के महीने में सही फसल लगाते हैं और उसकी उचित देखभाल करते हैं, तो आप केवल एक एकड़ जमीन से दो से ढाई लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं। जी हां, यह कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे लौकी और कद्दू की खेती करके कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है और किस तरह नई तकनीक अपनाकर लाभ को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।

सबसे पहले बात करते हैं कि फरवरी-मार्च के महीने में लौकी और कद्दू की खेती क्यों फायदेमंद होती है। यह दोनों फसलें गर्मी के मौसम में अच्छी पैदावार देती हैं और बाजार में इनकी मांग भी अधिक रहती है। यदि इनकी खेती वैज्ञानिक तकनीकों के अनुसार की जाए, तो यह किसान भाइयों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो सकती है। बीज बुवाई के लिए सही समय 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच माना जाता है। इस अवधि में बीज बोने से फसल तेजी से बढ़ती है और समय पर बाजार में उपलब्ध हो जाती है, जिससे अच्छे दाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

बीज के चुनाव की बात करें तो लौकी के लिए वीएनआर (VNR) कंपनी की 'हरना' और 'सरिता' वैरायटी अच्छी मानी जाती हैं। इसके अलावा, महिको (Mahyco) कंपनी की 'महिको माही वरत' और 'महिको माही आठ' भी अच्छी किस्में हैं। कद्दू की खेती के लिए महिको की 'महिको माही वन', 'महिको माही थ्री' और 'महिको माही चकोर' का चुनाव किया जा सकता है। सही बीज का चयन करने के बाद सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है उसकी बुवाई का तरीका।

बीज बुवाई के लिए सही दूरी बनाए रखना आवश्यक है। लौकी और कद्दू के लिए बीज से बीज की दूरी लगभग 2 से 2.5 फीट और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 8 से 10 फीट रखनी चाहिए। इससे पौधों को पर्याप्त स्थान मिलता है और उनका विकास अच्छे से होता है। खेत में नालियां बनाकर उनमें सिंचाई की जानी चाहिए, ताकि पानी का उचित निकास हो और फसलों की जड़ों तक नमी पहुंचे। इसके अलावा, नालियों के किनारों पर मेथी, पालक या धनिया जैसी सहायक फसलें उगाकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त की जा सकती है। जब तक लौकी और कद्दू की बेलें पूरी तरह फैलती हैं, तब तक ये सहायक फसलें कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त मुनाफा मिलता है।

अब हम उस महत्वपूर्ण तकनीक की चर्चा करेंगे जिससे लौकी और कद्दू की पैदावार को 2 से 3 गुना तक बढ़ाया जा सकता है। इस तकनीक को 3G कटिंग कहा जाता है। 3G कटिंग के तहत पौधे की मुख्य शाखा (फर्स्ट जनरेशन ब्रांच) को सही समय पर काटकर उसके विकास को नियंत्रित किया जाता है, जिससे अधिक संख्या में शाखाएं (थर्ड जनरेशन ब्रांच) विकसित होती हैं।

इस प्रक्रिया को विस्तार से समझें तो लौकी और कद्दू के पौधों में मुख्य शाखा पर मेल (Male) और फीमेल (Female) फूलों का एक निश्चित अनुपात होता है। मुख्य शाखा पर मेल फूल अधिक होते हैं और फीमेल फूलों की संख्या कम होती है। चूंकि फल केवल फीमेल फूलों पर ही विकसित होते हैं, इसलिए 3G कटिंग से फीमेल फूलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जब पौधा लगभग 4 से 6 फीट लंबा हो जाता है, तब उसकी सेकंड जनरेशन ब्रांच को काटा जाता है, जिससे तीसरी पीढ़ी की ब्रांच निकलती है। इस तीसरी पीढ़ी की ब्रांच में फीमेल फूलों की संख्या अधिक होती है, जिससे अधिक फल लगते हैं और उत्पादन बढ़ जाता है।

इस तकनीक से उत्पादन को किस तरह बढ़ाया जा सकता है, इसे एक गणना के माध्यम से समझते हैं। यदि मुख्य शाखा में 14 फूल आते हैं, तो उनमें से केवल एक फीमेल फूल होता है, यानी कि एक लौकी। लेकिन यदि सेकंड जनरेशन ब्रांच में 14 फूल आएं, तो उनमें से 7 फीमेल फूल होंगे, जिससे 7 लौकी मिलेंगी। वहीं, यदि थर्ड जनरेशन ब्रांच में 14 फूल आएं, तो उनमें से 13 फीमेल फूल होंगे, जिससे 13 लौकी मिल सकती हैं। यानी कि यदि 3G कटिंग को सही तरीके से अपनाया जाए, तो फसल का उत्पादन 2 से 3 गुना तक बढ़ाया जा सकता है।

अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि इस खेती से कुल मुनाफा कितना हो सकता है। यदि एक किसान आधा एकड़ जमीन में लौकी और आधा एकड़ में कद्दू की खेती करता है, तो लौकी से लगभग 80 क्विंटल और कद्दू से 100 क्विंटल तक का उत्पादन संभव है। गर्मी के मौसम में बाजार में लौकी और कद्दू की कीमत 12 से 20 रुपये प्रति किलो तक होती है। यदि न्यूनतम कीमत 12 रुपये भी मानी जाए, तो लौकी से लगभग 96,000 रुपये और कद्दू से 1,20,000 रुपये तक की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार, दोनों फसलों से कुल मिलाकर लगभग 2,00,000 रुपये की आमदनी होती है।

इस खेती में खर्च की बात करें तो बीज, खाद, सिंचाई और श्रम सहित कुल लागत लगभग 50,000 रुपये आती है। इस प्रकार, किसान को कुल मुनाफा 1,50,000 रुपये से 2,00,000 रुपये तक हो सकता है। इसके अलावा, यदि खेत में सहायक फसलें जैसे मेथी, पालक और धनिया भी उगाई जाती हैं, तो उनसे अतिरिक्त 40,000 से 50,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है, जिससे कुल मुनाफा बढ़कर 2.5 लाख रुपये तक हो सकता है।

इस तरह, अगर किसान भाइयों ने वैज्ञानिक तरीकों और 3G कटिंग जैसी नई तकनीकों को अपनाया, तो वे कम लागत में ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं। खेती को आधुनिक तरीकों से करने पर न केवल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि यह बाजार में भी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करती है। इसलिए, अगर आप भी इस साल फरवरी-मार्च में खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो लौकी और कद्दू की खेती आपके लिए एक फायदेमंद विकल्प साबित हो सकती है।



डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है। यह सामग्री विशेषज्ञ सलाह या सटीक व्यावसायिक मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है। खेती से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले कृपया विशेषज्ञों से परामर्श करें और अपनी स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लें। लेख में उपयोग की गई किसी भी जानकारी से उत्पन्न होने वाले किसी भी लाभ या नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। खेती के दौरान सभी सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।

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