![]() |
Earn Lakhs in Just 70 Days! |
गर्मी के मौसम में किसान भाईयों के लिए ककड़ी की खेती एक बहुत ही फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है। इस खेती के जरिए कम समय में अच्छी कमाई की जा सकती है, क्योंकि ककड़ी की फसल केवल 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है। गर्मी के दौरान मंडियों में ककड़ी की मांग बढ़ जाती है और इसका अच्छा भाव (price) मिलता है। इसलिए, सही तरीके से इसकी खेती करने से किसानों को काफी मुनाफा हो सकता है। ककड़ी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर मार्च के पहले और दूसरे सप्ताह तक होता है। इस दौरान यदि सही तरीके से बीज बोए जाएं और सही खाद और पानी का प्रबंधन किया जाए, तो बहुत अच्छा उत्पादन मिल सकता है। बीज के लिए चंद्रा सीट्स (Chandra Seeds) के बीजों का चयन किया जा सकता है, जो अच्छी गुणवत्ता के होते हैं। बुवाई के दौरान खेत में 4 फीट चौड़ी कैरी (raised bed) बनाई जाती है और इसके किनारों पर दो नालियां बनाई जाती हैं, जिनके ऊपरी हिस्से में बीज बोए जाते हैं। पौधों के बीच डेढ़ से दो फीट की दूरी रखनी होती है, जिससे वे अच्छे से बढ़ सकें। एक एकड़ खेत में लगभग 400 ग्राम बीज की जरूरत होती है और इसकी लागत लगभग 2000 रुपये आती है। खेत की तैयारी और खाद पर लगभग 5000 रुपये खर्च होते हैं, जबकि कीटनाशक और फसल सुरक्षा उपायों पर 2200 रुपये तक खर्च हो सकता है। इसके अलावा, फसल में तीन बार स्प्रे (spray) करना पड़ता है, जिसका खर्च लगभग 2400 रुपये होता है। खेत से मंडी तक फसल पहुंचाने में ट्रांसपोर्ट (transport) का खर्च भी शामिल होता है, जो लगभग 2000 रुपये तक आ सकता है। यदि किसान खुद खेत में मेहनत करता है और सभी कार्य स्वयं करता है, तो लेबर (labor) का खर्च बचाया जा सकता है।
एक एकड़ खेत में ककड़ी की खेती करने पर कुल लागत लगभग 28,200 रुपये तक आती है। अब अगर उत्पादन की बात करें, तो सही खाद प्रबंधन से प्रति एकड़ 45 से 65 क्विंटल तक ककड़ी का उत्पादन हो सकता है। औसतन, एक एकड़ में 55 क्विंटल ककड़ी का उत्पादन लिया जा सकता है। सही खाद प्रबंधन के लिए बुवाई के बाद 40 किलोग्राम डीएपी (DAP) और 25 किलोग्राम यूरिया (Urea) प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए। जब फसल 20 दिन की हो जाए, तो फिर से 40 किलोग्राम डीएपी और 40 किलोग्राम यूरिया डालनी चाहिए। कटाई (harvesting) के 20 दिन बाद 60 किलोग्राम यूरिया डालने से उत्पादन में वृद्धि होती है। यदि किसान यह तकनीक अपनाता है, तो उसे अधिकतम लाभ मिलेगा। अप्रैल महीने में ककड़ी का बाजार मूल्य सबसे ज्यादा होता है, जब मंडी में इसका भाव 20 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता है। मई में इसका भाव थोड़ा गिरकर 10 रुपये प्रति किलो हो जाता है और जून में 5 रुपये प्रति किलो तक आ सकता है। अगर इन तीन महीनों का औसत भाव निकाला जाए, तो यह लगभग 11 रुपये प्रति किलो होता है। एक क्विंटल में 100 किलो होते हैं, यानी 55 क्विंटल उत्पादन होने पर कुल 5500 किलो ककड़ी मिलती है। अगर इसे 11 रुपये प्रति किलो की औसत दर से बेचा जाए, तो कुल आमदनी 82,500 रुपये होगी। अब अगर इस आमदनी से कुल लागत घटा दी जाए, तो शुद्ध मुनाफा (profit) निकलकर आता है।
कुल आमदनी 82,500 रुपये थी और लागत 28,200 रुपये, तो शुद्ध मुनाफा 54,300 रुपये हुआ। यदि किसान खुद खेती करता है और किसी बाहरी मजदूर को काम पर नहीं लगाता, तो लेबर की लागत भी उसकी कमाई में जुड़ जाएगी, जिससे कुल लाभ 66,300 रुपये तक पहुंच सकता है। ककड़ी की फसल की पूरी समय अवधि लगभग ढाई महीने की होती है, यानी हर महीने 21,000 रुपये तक का मुनाफा निकाला जा सकता है। इसके अलावा, किसान चाहें तो ककड़ी के साथ-साथ मेथी की फसल भी उगा सकते हैं, जिससे अतिरिक्त आय हो सकती है। इस तरह गर्मी के मौसम में ककड़ी की खेती करना किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर बन सकता है। कम लागत, कम मेहनत और कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए यह एक आदर्श खेती है। यदि किसान सही तकनीक अपनाए और खेती में वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करे, तो वह इस फसल से लाखों रुपये की कमाई कर सकता है।