Mysterious Deaths in J&K |
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में रहस्यमयी मौतों का मामला गहराता जा रहा है, जिससे पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बना हुआ है। पिछले डेढ़ महीने में इस क्षेत्र के बदहाल गांव में रहस्यमयी परिस्थितियों में 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 13 मासूम बच्चे शामिल हैं। यह घटनाएं एक अजीब पैटर्न में हो रही हैं, जहां किसी भी तरह की बीमारी या संक्रमण का पता नहीं चल पाया है। स्थानीय प्रशासन ने इस गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है और प्रभावित परिवारों के घरों को पूरी तरह से सील कर दिया गया है।
इन मौतों का सिलसिला दिसंबर 2024 से शुरू हुआ, जब गांव में एक सामुदायिक भोज का आयोजन किया गया था। इस भोज के बाद कई लोग बीमार पड़ने लगे, जिनमें ज्यादातर मौतें तीन परिवारों के सदस्यों की हुईं। जनवरी 2025 में भी इसी तरह के सामुदायिक भोज के बाद अधिक लोगों की मौतें दर्ज की गईं। इन घटनाओं के बाद जिला प्रशासन ने गांव में सभी सार्वजनिक और निजी समारोहों पर रोक लगा दी और प्रभावित परिवारों को पुराने खाद्य पदार्थों को फेंकने का आदेश दिया। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में भोजन और पानी की आपूर्ति का जिम्मा खुद संभाल लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित गांव के पास एक प्राचीन बावली (स्टेपवेल) के पानी में पेस्टिसाइड्स (कीटनाशक) के अवशेष पाए गए हैं। हालांकि, अभी तक यह साबित नहीं हो पाया है कि इन मौतों का सीधा कारण यही दूषित पानी है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इस बावली को सील कर दिया है और वहां से पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जो किसी आपराधिक साजिश के एंगल से जांच कर रही है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस मामले की तह तक जाने के लिए 16 सदस्यीय एक विशेषज्ञ टीम भेजी है। इस टीम में स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन और पशुपालन जैसे विभिन्न मंत्रालयों के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह टीम विभिन्न संभावित कारणों की जांच कर रही है, जिसमें रसायन, विषाक्त पदार्थ (न्यूरोटॉक्सिन्स), और अन्य पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव शामिल है।
प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि मृतकों में से कई ने मरने से पहले बुखार, कमजोरी, नाक बहना, और अत्यधिक पसीना आने की शिकायत की थी। कुछ मामलों में प्रभावित लोग चेतना खोने लगे थे और उन्हें अस्पताल ले जाने के बाद उनकी मौत हो गई। प्रशासन का कहना है कि यह घटना किसी संक्रामक बीमारी के कारण नहीं हुई है क्योंकि 3,500 से अधिक सैंपल की जांच के बाद भी किसी बैक्टीरिया या वायरस का पता नहीं चला है।
गांव में स्थिति गंभीर बनी हुई है, और स्थानीय लोगों के बीच गहरी चिंता और भय व्याप्त है। यहां तक कि सुरक्षा बलों को भी गांव में तैनात किया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके। केंद्रीय टीम और स्थानीय प्रशासन द्वारा की जा रही जांच में यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन मौतों के पीछे का असली कारण सामने आएगा।
इस घटनाक्रम में केंद्र और राज्य सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया के बावजूद, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर कार्रवाई न होने से स्थिति और बिगड़ गई। इन मौतों के पीछे के कारणों का जल्द पता लगाना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।