Pakistan-Taliban Rivalry: जंग का खुलासा!

NCI

Pakistan-Taliban Rivalry

 तालिबान और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में तालिबान को एक "राक्षस" करार देते हुए इसे कुचलने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह बयान पाकिस्तान और तालिबान के बीच बिगड़ते संबंधों को दर्शाता है। पाकिस्तान, जो तालिबान को समर्थन देने में अग्रणी भूमिका निभा चुका है, अब खुद उसकी वजह से परेशानी में है। पाकिस्तान ने पहले तालिबान के साथ अच्छे रिश्तों की उम्मीद में अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क को प्रोत्साहित किया था। हालांकि, हाल के घटनाक्रमों ने इन उम्मीदों को धराशायी कर दिया है।

डूर लाइन, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा है, इस विवाद का केंद्र बिंदु बनी हुई है। 1893 में बनी इस सीमा को अफगानिस्तान ने कभी मान्यता नहीं दी। यहां से गुजरने वाले पश्तून समुदाय के विभाजन ने पहले ही तनाव को बढ़ा दिया था। 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद पाकिस्तान ने सीमा पर बाड़ लगाने और चौकियां स्थापित करने की कोशिश की, जिससे स्थानीय परिवारों में अलगाव की स्थिति पैदा हो गई। इस मुद्दे ने तालिबान को भड़काया, और परिणामस्वरूप सीमा पर संघर्ष तेज हो गया।

हाल ही में पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत में एयर स्ट्राइक की, जिसमें 46 लोग मारे गए, लेकिन इनमें कोई आतंकवादी शामिल नहीं था। इसके जवाब में तालिबान ने पाकिस्तान पर हमला किया, जिसमें 19 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। यह संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है, और दोनों पक्षों के बीच युद्ध के आसार बन रहे हैं। हालांकि, तालिबान के पास आधुनिक सैन्य उपकरणों की कमी है, लेकिन उनके पास लगभग डेढ़ लाख लड़ाके हैं, जो किसी भी स्थिति में लड़ने को तैयार हैं।

इसके अलावा, पाकिस्तान वाखान कॉरिडोर पर कब्जा करने की योजना बना रहा है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह कॉरिडोर चीन और अफगानिस्तान के बीच है और पाकिस्तान इसे अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, तालिबान इस पर आपत्ति जता सकता है, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। यह क्षेत्र पहले से ही पाकिस्तान और तालिबान के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।

पाकिस्तान के आईएसआई चीफ आसिम मलिक ने हाल ही में ताजिकिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने नॉर्दर्न रेजिस्टेंस फोर्स (एनआरएफ) के नेताओं से मुलाकात की। यह फोर्स तालिबान के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रही है। ताजिकिस्तान ने एनआरएफ के नेताओं को पनाह दी है, और ऐसी संभावना है कि पाकिस्तान इनसे तालिबान के खिलाफ समर्थन मांगे। यह कदम तालिबान के खिलाफ एक नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

तालिबान के शासन में अफगानिस्तान की स्थिति बेहद खराब हो गई है। महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है, और गरीबी चरम पर है। ऐसी स्थिति में, अफगानिस्तान के लोग भी तालिबान के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। अगर पाकिस्तान एनआरएफ का समर्थन करता है, तो तालिबान के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

इन घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव लंबे समय तक बना रह सकता है। यह विवाद न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में, आने वाले दिनों में इन दोनों देशों के बीच की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर बनी रहेगी।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top