OYO's Shocking New Policy |
ओयो (OYO) कंपनी के संस्थापक रितेश अग्रवाल की कहानी और उनकी कंपनी के विकास की चर्चा हमेशा प्रेरणादायक रही है। मात्र 17 वर्ष की उम्र में रितेश ने अपने सपनों को आकार देने का निर्णय लिया, जब उन्होंने यह महसूस किया कि पारंपरिक करियर पथ उनके लिए नहीं है। कोटा में इंजीनियरिंग की तैयारी के दौरान उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और होटल उद्योग में क्रांति लाने का सपना देखा। उस समय होटल बुकिंग के लिए लोगों को एजेंट्स का सहारा लेना पड़ता था, जिससे कई असुविधाएं होती थीं। इसी चुनौती को उन्होंने अवसर में बदलने की ठानी।
रितेश ने पीटर थील फेलोशिप हासिल की, जिससे उन्हें 100,000 डॉलर की फंडिंग मिली। इसके बाद उन्होंने ओयो का आधार रखा, जिसका उद्देश्य छोटे और औसत दर्जे के होटलों को एक व्यवस्थित प्लेटफॉर्म पर लाना था। उन्होंने ऐसे होटलों पर ध्यान केंद्रित किया जो उपयुक्त स्थानों पर स्थित थे लेकिन अच्छे प्रबंधन और सेवाओं की कमी के कारण संघर्ष कर रहे थे। रितेश ने न केवल इन होटलों के लिए स्टाफ को प्रशिक्षित किया, बल्कि उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कीं।
ओयो की सबसे बड़ी खासियत इसकी "कपल फ्रेंडली" नीति थी, जो युवाओं के लिए बड़ी राहत साबित हुई। इससे कंपनी को जबरदस्त लोकप्रियता और ट्रैफिक मिला। हालांकि, इस नीति के कारण कई आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, खासकर मेरठ जैसे शहरों में। स्थानीय निवासियों ने शिकायत की कि यह नीति उनकी सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ है और अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है। इसे देखते हुए ओयो ने मेरठ में अनमैरिड कपल्स के लिए होटल बुकिंग पर प्रतिबंध लगाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया।
ओयो का विस्तार न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुआ। कंपनी ने नेपाल, मलेशिया, चीन, अमेरिका और यूरोप में अपने होटल खोले। चीन में तो रितेश अग्रवाल ने स्थानीय भाषा और संस्कृति को अपनाने के लिए अपना नाम भी बदल लिया। हालांकि, इस तेजी से विस्तार के कारण कई समस्याएं भी उत्पन्न हुईं। रैपिड एक्सपेंशन के दौरान गुणवत्ता और प्रबंधन में कमी आई, जिससे होटल मालिकों और ग्राहकों दोनों में असंतोष बढ़ा। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी ने ओयो की स्थिति को और कमजोर कर दिया। होटल उद्योग पर महामारी का बड़ा प्रभाव पड़ा, और ओयो को भी अपने कर्मचारियों और परिसंपत्तियों में कटौती करनी पड़ी।
रितेश अग्रवाल ने इन चुनौतियों से हार नहीं मानी। उन्होंने कंपनी के मॉडल में बदलाव किए और लागत कटौती पर जोर दिया। उन्होंने मेक माय ट्रिप जैसे प्लेटफॉर्म से प्रेरणा ली और ओयो को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म में बदल दिया, जो ग्राहकों और होटलों को जोड़ने का काम करता है। इन सुधारों के परिणामस्वरूप ओयो ने 2023 में 230 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया, जो पहले के घाटे की तुलना में एक बड़ी उपलब्धि थी।
आज रितेश अग्रवाल को उनकी विनम्रता और समस्याओं को हल करने की उनकी क्षमता के लिए सराहा जाता है। उनका कहना है कि ग्राहक और होटल मालिक दोनों की संतुष्टि ही कंपनी की सफलता की कुंजी है। आईपीओ की तैयारी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयास उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। हालांकि, "कपल फ्रेंडली" नीति पर बदलाव से कंपनी की यूएसपी पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि ओयो इस स्थिति को कैसे संभालता है।