Military Showdown |
साउथ कोरिया में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रम ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। वहां के राष्ट्रपति युंग सुकल के खिलाफ पुलिस और सरकारी जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन इसका विरोध करने के लिए मिलिट्री यूनिट सामने आ गई। यह स्थिति एक बड़े राजनीतिक संकट की ओर इशारा करती है और साउथ कोरिया की राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर सवाल उठाती है।
घटना की शुरुआत 3 दिसंबर को हुई जब युंग सुकल ने मार्शल लॉ घोषित कर दिया। इस निर्णय के कारण जनता और विपक्ष में भारी आक्रोश पैदा हुआ। मार्शल लॉ लगाने के कुछ ही घंटों में विपक्ष ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इसे रद्द कर दिया। हालांकि, इससे स्थिति और गंभीर हो गई। युंग सुकल को राष्ट्रपति पद पर 2022 के चुनावों में बहुत ही कम अंतर से जीत हासिल हुई थी। उनकी सरकार का प्रदर्शन शुरू से ही विवादित रहा, जिसमें भ्रष्टाचार, आर्थिक प्रबंधन की खामियां और उनकी पत्नी पर उपहार लेने जैसे आरोप शामिल हैं।
साउथ कोरिया की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही सुस्त थी, इस राजनीतिक अस्थिरता के कारण और अधिक प्रभावित हुई। युंग सुकल की सरकार पर आरोप लगा कि उन्होंने रक्षा क्षेत्र पर जरूरत से ज्यादा खर्च किया और जनता की भलाई के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। उनकी नीतियों के विरोध में देश के डॉक्टरों ने हड़ताल की, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ा।
इनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें विपक्ष ने एकजुट होकर युंग सुकल को हटाने के लिए समर्थन जुटाया। संसद में विपक्ष ने बहुमत से महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके बाद, युंग सुकल को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस और करप्शन इन्वेस्टिगेशन ऑफिस पहुंची, लेकिन मिलिट्री यूनिट ने उनके प्रवेश को रोक दिया। यह एक अप्रत्याशित मोड़ था जिसने देश की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया।
मिलिट्री यूनिट द्वारा राष्ट्रपति को गिरफ्तारी से बचाने की कोशिश साउथ कोरिया में लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच टकराव को दर्शाती है। यह स्थिति 1980 की उस घटना की याद दिलाती है जब ग्वांजू में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों पर मिलिट्री ने गोलियां चलाई थीं और सैकड़ों लोग मारे गए थे। उस घटना के बाद साउथ कोरिया को कई सालों तक राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा था।
इस बार भी, युंग सुकल पर डेमोक्रेसी को कमजोर करने और सत्ता के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे हैं। यदि वह दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें कठोर सजा मिल सकती है, जिसमें मौत की सजा भी शामिल हो सकती है। इस राजनीतिक संकट ने साउथ कोरिया की लोकतांत्रिक प्रणाली की गहराई पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह दिखाया है कि देश के अंदरूनी हालात कितने अस्थिर हैं।
साउथ कोरिया, जो बाहर से एक मजबूत और स्थिर लोकतंत्र के रूप में दिखता है, अंदरूनी रूप से कई समस्याओं से जूझ रहा है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता का केंद्रीकरण किसी भी देश को कमजोर कर सकता है। आगे की परिस्थितियां यह तय करेंगी कि साउथ कोरिया इस संकट से कैसे उबरता है और क्या उसकी लोकतांत्रिक प्रणाली इस झटके को सहन कर पाती है या नहीं।