Los Angeles is Burning |
लॉस एंजेलेस, जिसे आमतौर पर "हॉलीवुड का घर" कहा जाता है, हाल के दिनों में गंभीर आग की चपेट में आ गया है। यह आग इतनी भयंकर है कि इसके प्रभाव ने न केवल आम जनता, बल्कि हॉलीवुड सितारों और बड़े व्यवसायों को भी पलायन करने पर मजबूर कर दिया है। आग का मुख्य कारण सैंट एना हवाओं को बताया जा रहा है, जो लगभग 112 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। ये हवाएं इतनी शुष्क (dry) हैं कि छोटी सी चिंगारी भी भयानक आग का रूप ले लेती है। इस आग ने अब तक 3000 एकड़ जमीन और अनगिनत इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया है।
लॉस एंजेलेस एक ओर समुद्र और दूसरी ओर पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिससे यह प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है। मलिबू, जो अपनी शानदार लोकेशन और हॉलीवुड सितारों के निवास के लिए प्रसिद्ध है, भी इस आग से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गवर्नर गेविन न्यूसम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य में इमरजेंसी (emergency) घोषित कर दी है। सड़कों पर भारी जाम और पैदल भागते लोग भयावह मंजर पेश कर रहे हैं। लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों और संपत्तियों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। लॉस एंजेलेस के मेयर ने लोगों को सतर्क रहने और आग प्रभावित इलाकों से दूर रहने की सलाह दी है।
सैंट एना हवाओं को 'डेविल विंड्स' (devil winds) के नाम से भी जाना जाता है। ये हवाएं जब भी चलती हैं, अपने साथ तबाही का मंजर लेकर आती हैं। इस बार, इन हवाओं ने आग को और भड़काने का काम किया है। हवा में नमी का स्तर सिंगल डिजिट (single digit) तक पहुंच गया है, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि आग के कारण बिजली के तार पिघल गए हैं, जिससे कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है। इस वजह से लॉस एंजेलेस की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा झटका लगा है।
कैलिफोर्निया पहले से ही सूखे (drought) की समस्या से जूझ रहा है। नदियों का सूखना और लगातार घटती ह्यूमिडिटी (humidity) ने यहां के पारिस्थितिकी तंत्र को कमजोर बना दिया है। सैंट एना हवाओं के साथ-साथ सूखी मिट्टी और सूखा वेजिटेशन (vegetation) आग के फैलाव को बढ़ावा दे रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में पर्यावरणीय समस्याएं और अधिक गहराती जा रही हैं।
लॉस एंजेलेस का इतिहास बताता है कि यहां जंगलों और पहाड़ियों में आग लगना आम बात है, लेकिन शहरी इलाकों में आग का पहुंचना बेहद असामान्य है। 2008 में भी लॉस एंजेलेस में एक बड़ी आग लगी थी, लेकिन इस बार की स्थिति कहीं अधिक खतरनाक है। तब लगभग 600 संरचनाएं नष्ट हुई थीं, जबकि इस बार यह आंकड़ा हजारों में पहुंच चुका है।
लॉस एंजेलेस को 'मुंबई ऑफ अमेरिका' कहा जाता है, जहां हमेशा चहल-पहल रहती है। लेकिन आज यह शहर खामोश और भयभीत है। लोग अपने घरों को जलते हुए देखने को मजबूर हैं। राहत कार्य जारी है, लेकिन आग बुझाने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हवा की तेज गति और आग की व्यापकता के कारण दमकल कर्मियों को आग बुझाने में कठिनाइयां हो रही हैं।
लॉस एंजेलेस के नागरिकों के लिए यह एक बड़ा झटका है। जहां एक ओर वे अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी संपत्तियां और व्यवसाय आग की चपेट में नष्ट हो रहे हैं। सरकारी प्रयास जारी हैं, और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति पर काबू पाया जा सकेगा। लेकिन इस आग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पर्यावरणीय समस्याएं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अनदेखा करना कितना महंगा पड़ सकता है।
इस भयंकर आग ने यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाएं न तो अमीरों को छोड़ती हैं और न ही गरीबों को। लॉस एंजेलेस, जो कभी सपनों का शहर था, आज आग और धुएं के कारण डर और तबाही का प्रतीक बन गया है। यह समय है कि हम जलवायु परिवर्तन के खतरों को गंभीरता से लें और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं।