India's Telecom Revolution |
हाल ही में दूरसंचार विभाग ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जो भारत में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। इस निर्णय के तहत "इंट्रा सर्कल रोमिंग" की सुविधा को लागू किया गया है। इसका उद्देश्य देश के हर कोने में बेहतर और निर्बाध (seamless) कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है। इसके तहत विभिन्न टेलीकॉम ऑपरेटर अब अपने नेटवर्क टावरों को साझा कर सकते हैं, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी उपभोक्ताओं को बेहतर सिग्नल और इंटरनेट स्पीड मिल सकेगी।
भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया पहल के तहत इस योजना को प्राथमिकता दी है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे "डिजिटल डिवाइड" को खत्म करने और देश के सभी नागरिकों को समान रूप से डिजिटल सेवाओं का लाभ पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। इस योजना के तहत 1.7 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। यह कदम न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक गतिविधियों में भी सुधार करेगा।
इंट्रा सर्कल रोमिंग का मुख्य उद्देश्य है कि किसी नेटवर्क के ग्राहक किसी दूसरे नेटवर्क के टावर से भी कॉल और डेटा सेवाओं का लाभ उठा सकें। यह उन स्थानों के लिए वरदान साबित होगा जहां अब तक नेटवर्क कवरेज सीमित था। सरकार ने इसे लागू करने के लिए "डिजिटल भारत निधि" का सहारा लिया है, जिसे पहले "यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड" कहा जाता था। इस फंड का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में टावर लगाने के लिए किया जाता है, जहां टेलीकॉम कंपनियां व्यावसायिक दृष्टिकोण से टावर स्थापित करने में रुचि नहीं रखतीं।
इस योजना से लाभ यह होगा कि नेटवर्क कवरेज में सुधार के साथ-साथ कॉल ड्रॉप की समस्या भी कम होगी। उपभोक्ताओं को बेहतर इंटरनेट स्पीड मिलेगी और उन्हें बार-बार नेटवर्क बदलने की जरूरत नहीं होगी। सरकार के इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति आएगी, जिससे वहां की आर्थिक गतिविधियां, स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
इस योजना के साथ-साथ सरकार ने साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए एक नई तकनीक, एमएनआरएल (मोबाइल नंबर रिवकेशन लिस्ट), को भी लागू किया है। यह तकनीक उन मोबाइल नंबरों की पहचान करती है जो साइबर अपराधों में लिप्त पाए गए हैं। आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे इस लिस्ट का उपयोग करके उन बैंक खातों की पहचान करें जो इन नंबरों से जुड़े हैं, और ऐसे खातों को ब्लॉक करें। इससे डिजिटल सुरक्षा में सुधार होगा और साइबर अपराधों पर लगाम लगेगी।
सरकार ने "संचार साथी ऐप" भी लॉन्च किया है, जो उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के डिजिटल उपकरणों और सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करेगा। इसके अलावा, "नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन 2.0" के तहत भारत के 35,000 गांवों में लगभग 27,000 मोबाइल टावर स्थापित किए जा रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइड खत्म होगा और वहां भी शहरी क्षेत्रों के समान सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
हालांकि, इस पहल के तहत कंपनियों को सस्ते रिचार्ज प्लान पेश करने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। कंपनियां अभी भी महंगे प्लान्स पेश कर रही हैं, जिससे ग्राहकों को थोड़ी निराशा हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह कंपनियों को सस्ते प्लान्स लाने के लिए प्रेरित करे ताकि इस योजना का लाभ हर वर्ग को मिल सके।
कुल मिलाकर, यह योजना डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई कम होगी और देश के सभी नागरिकों को समान रूप से डिजिटल सेवाओं का लाभ मिलेगा। यह न केवल भारत को तकनीकी रूप से मजबूत बनाएगा, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी योगदान देगा।