India Tightens Visa Rules |
भारत और बांग्लादेश के बीच मेडिकल वीजा को लेकर तनाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। भारतीय सरकार ने बांग्लादेशी नागरिकों को मेडिकल वीजा देने की प्रक्रिया में सख्ती बरती है, जिसके कारण बांग्लादेश के मरीजों को भारत में जीवनरक्षक इलाज कराने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बांग्लादेश में यह मुद्दा गहरी चिंता का विषय बन गया है, और कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्लेटफॉर्म ने इसे प्रमुखता से उठाया है।
खदीजा खातून के मामले ने इस विवाद को और अधिक प्रकाश में ला दिया है। उनके पति को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है, लेकिन वीजा मिलने में देरी के कारण उनका इलाज अधर में लटक गया है। यह मामला बांग्लादेशी नागरिकों की पीड़ा को दर्शाता है, जो उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं के लिए भारत पर निर्भर हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले एक दिन में बांग्लादेश के नागरिकों को करीब 7000 मेडिकल वीजा जारी किए जाते थे, लेकिन यह संख्या घटकर अब केवल 500 रह गई है।
भारत की ओर से यह सख्ती बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और मंदिरों पर हो रहे हमलों के चलते लागू की गई है। भारत चाहता है कि बांग्लादेश अपनी जिम्मेदारियों को समझे और वहां रह रहे हिंदुओं के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करे। यह कदम भारत की एक स्पष्ट रणनीति का हिस्सा है, जो यह संदेश देता है कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार के लिए बांग्लादेश को अपनी नीतियों और रवैये में बदलाव करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे अल जजीरा, ने इस मामले पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, वीजा प्रतिबंधों के कारण भारत की मेडिकल टूरिज्म आय में 80% की गिरावट आई है। हालांकि, भारतीय पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे अतिरंजित बताया है। भारत का कहना है कि बांग्लादेश को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना चाहिए और अपनी जनता को बेहतर सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए, बजाय इसके कि वे भारत पर निर्भर रहें।
इस विवाद का आर्थिक पहलू भी महत्वपूर्ण है। अगर बांग्लादेश भारत के अस्पतालों पर निर्भर रहना बंद कर दे और अपने देश में उच्च गुणवत्ता वाले अस्पतालों का निर्माण करे, तो न केवल उसकी अर्थव्यवस्था को लाभ होगा, बल्कि उसके नागरिकों को भी सस्ते और सुलभ इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके विपरीत, अगर बांग्लादेशी मरीज सिंगापुर, दुबई या यूरोप जैसे महंगे देशों में इलाज कराने का विकल्प चुनते हैं, तो यह उनके लिए भारी आर्थिक बोझ साबित होगा।
इस विवाद के राजनीतिक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। बांग्लादेश में अगले चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा और अधिक जटिल होता जा रहा है। शेख हसीना सरकार और विपक्षी दलों के बीच खींचतान के बीच यह मामला राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन गया है। भारत ने बांग्लादेश को स्पष्ट संकेत दिया है कि जब तक वहां हिंदू मंदिरों की मरम्मत, हिंदुओं को मुआवजा, और उनके प्रति सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया जाएगा, तब तक इस तरह की सख्ती जारी रहेगी।
इस स्थिति ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। भारत का यह कदम केवल एक कूटनीतिक रणनीति नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश को उसकी सीमाओं और जिम्मेदारियों का अहसास कराने का एक प्रयास भी है। भारत का यह रुख दिखाता है कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में संतुलन और सम्मान बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह तभी संभव है जब सभी पक्ष अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं।