India Accused of Maldives Coup Plot |
हाल ही में अमेरिकी मीडिया ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके अनुसार भारत ने मालदीव में राजनीतिक तख्ता पलट (regime change) की योजना बनाई थी। वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि भारत के खुफिया एजेंट्स ने मालदीव के प्रोप-चाइना नेता मुजू को सत्ता से हटाने की कोशिश की थी, लेकिन अंत में यह योजना रद्द कर दी गई। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने यह निर्णय लिया कि पार्लियामेंट में समर्थन की कमी के कारण इस ऑपरेशन को अंजाम देना मुश्किल होगा।
इस आरोप ने भारत के कूटनीतिक संबंधों पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने अपने लेख "ए प्लॉट इन पैराडाइस" में भारत के खिलाफ गंभीर दावे किए हैं, जिसमें बताया गया है कि भारतीय एजेंट्स और मालदीव के राजनेताओं ने एक गुप्त समझौता किया था। हालांकि, इस रिपोर्ट के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं प्रस्तुत किया गया। मालदीव के विपक्षी दलों ने भी इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि भारत इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं होता।
इस रिपोर्ट से भारत-मालदीव संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है। यह रिपोर्ट भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लिखी गई प्रतीत होती है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश इस मौके का फायदा उठाकर भारत की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश कर सकते हैं। अमेरिकी मीडिया की विश्वसनीयता और प्रभाव को देखते हुए, इस प्रकार की खबरें वैश्विक स्तर पर भारत के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं।
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी मीडिया ने भारत को निशाना बनाया है। इससे पहले भी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर विदेशों में हत्या और तख्ता पलट की कोशिशों के आरोप लगाए गए हैं। लेकिन इन आरोपों का समर्थन करने वाले सबूत कभी सामने नहीं आए। अमेरिका की मीडिया विशेष रूप से वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स ने अक्सर भारत को टारगेट किया है, जबकि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के खिलाफ इस प्रकार की रिपोर्टिंग दुर्लभ है।
वाशिंगटन पोस्ट का यह लेख ऐसे समय में प्रकाशित हुआ है जब भारत और अमेरिका के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंध हैं। यह लेख उन संबंधों को प्रभावित कर सकता है। भारत ने हमेशा अपनी मर्यादा में रहते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया है। 1971 में भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने में मदद की थी, लेकिन इसके बाद भी बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया। इसके बावजूद, अमेरिकी मीडिया ने भारत के खिलाफ आरोप लगाने का मौका नहीं छोड़ा।
मालदीव के संदर्भ में भी यह आरोप असंगत लगते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने 85 करोड़ रुपये की लागत से तख्ता पलट की योजना बनाई थी। यह राशि एक बड़े ऑपरेशन के लिए काफी कम है और इस बात की संभावना को नकारती है। इसके अलावा, यह रिपोर्ट बिना किसी ठोस सबूत के सूत्रों के हवाले से बनाई गई है।
अमेरिकी मीडिया की इस रिपोर्ट का फायदा चीन और पाकिस्तान जैसे देश उठा सकते हैं। वे इसे भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यह स्थिति भारत के लिए चिंताजनक है, क्योंकि अमेरिकी मीडिया की साख (credibility) को वैश्विक स्तर पर काफी महत्व दिया जाता है।
इस स्थिति में भारत को अमेरिकी सरकार से सीधे बातचीत करनी चाहिए। यह स्पष्ट करना जरूरी है कि इस प्रकार की रिपोर्टिंग दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स को फेक न्यूज़ फैलाने का आरोप लगाया था।
इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मीडिया की जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए। खासकर जब यह रिपोर्टिंग किसी मित्र देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली हो। भारत को अपनी सॉफ्ट पावर और कूटनीति का इस्तेमाल कर इन आरोपों का खंडन करना चाहिए।
यह प्रकरण भारत और अमेरिका के संबंधों में एक नया मोड़ ला सकता है। इस विवाद का समाधान केवल संवाद और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से ही संभव है। भारत को अपनी छवि को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सक्रिय होना होगा।